मंगलवार, 13 सितंबर 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ अजय अनुपम के गीत संग्रह --- 'दर्द अभी सोये हैं' की राजीव प्रखर द्वारा की गई समीक्षा ..... भंवर से किनारे की ओर लाता गीत-संग्रह

 एक रचनाकार अपने मनोभावों को पाठकों/श्रोताओं के समक्ष प्रकट करता ही है परन्तु, जब पाठक/श्रोता उसकी अभिव्यक्ति में स्वयं का सुख-दु:ख देखते हुए ऐसा अनुभव करें कि रचनाकार का कहा हुआ उनके ही साथ घट रहा है, तो उस रचनाकार की साधना सार्थक मानी जाती है। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय 'अनुपम' की प्रवाहमयी लेखनी से होकर साहित्य-जगत् के सम्मुख आया गीत-संग्रह - 'दर्द अभी सोये हैं' इसी तथ्य को प्रमाणित करता है।

      एक आम व्यक्ति के हृदय में पसरे इसी दर्द पर केन्द्रित एवं उसके आस-पास विचरण करतीं इन 109 अनुभूतियों ने यह दर्शाया है कि रचनाकार का हृदय भले ही व्यथित हो परन्तु, उसने आशा एवं सकारात्मकता का दामन भी बराबर थामे रखा है। यही कारण है कि ये 109 अनुभूतियाॅं वेदना की इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करते हुए, उजली आशा का मार्ग तलाश लेती हैं। 

     पृष्ठ 17 पर उपलब्ध गीत - 'दर्द अभी सोये हैं' से आरम्भ होकर वेदना के अनेक सोपानों से मिलती, एवं उनमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से विद्यमान आशा की किरणों में नहाती हुई यह पावन गीत-माला, जब पृष्ठ 126 की रचना - 'मैं तो सहज प्रतीक्षारत हूॅं' पर विश्राम लेती है, तो एक संदेश दे देती है कि अगर एक और ॲंधेरे ने अपनी बिसात बिछा रखी है तो उसे परास्त करने में उजली आस भी पीछे नहीं रहेगी। साथ ही दैनिक जीवन की मूलभूत समस्याओं तथा पारिवारिक व अन्य सामाजिक संबंधों पर दृष्टि डालते हुए, उनके यथासंभव हल तलाशने के प्रयास भी संग्रह को एक अलग ऊॅंचाई प्रदान कर रहे हैं। अतएव,  औपचारिकता वश ही कुछ पंक्तियों अथवा रचनाओं का  यहाॅं उल्लेख मात्र कर देना, इस उत्कृष्ट गीत-संग्रह के साथ अन्याय ही होगा। वास्तविकता तो यह है कि ये सभी 109 गीत पाठकों के अन्तस को गहनता से स्पर्श कर लेने की अद्भुत क्षमता से ओत-प्रोत हैं, ऐसा मैं मानता हूॅं। निष्कर्षत: यह गीत-संग्रह मुखरित होकर यह उद्घोषणा कर रहा है कि दर्द भले ही अभी सोये हैं परन्तु, जब जागेंगे तो आशा के झिलमिलाते दीपों की ओर भी उनकी दृष्टि अवश्य जायेगी।

मुझे आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि सरल व सहज भाषा-शैली में पिरोया गया एवं आकर्षक साज-सज्जा व छपाई के साथ, सजिल्द स्वरूप में तैयार यह गीत-संग्रह गीत-काव्य की अनमोल धरोहर तो बनेगा ही, साथ ही वेदना व निराशा का सीना चीरकर, उजली आशा की धारा भी निकाल पाने में सफल सिद्ध होगा। 



कृति : दर्द अभी सोये हैं (गीतसंग्रह)

संपादक : डा. कृष्णकुमार 'नाज़'

कवि : डा. अजय 'अनुपम'

प्रथम संस्करण : 2022

मूल्य : 200 ₹

प्रकाशक : गुंजन प्रकाशन

सी-130, हिमगिरि कालोनी, काँठ रोड, मुरादाबाद (उ.प्र., भारत) - 244001 

समीक्षक : राजीव 'प्रखर' 

डिप्टी गंज,

मुरादाबाद

8941912642, 9368011960


सोमवार, 12 सितंबर 2022

मुरादाबाद के युवाओं की संस्था ’अल्फाज़’ ने अपने तीसरे वार्षिकोत्सव पर 11 सितंबर 2022 को आयोजित किया कवि सम्मेलन एवं मुशायरा--- जश्न-ए-अल्फाज़

मुरादाबाद के युवाओं के जोश से भरी संस्था 'अल्फाज़' ने अपने तीन वर्ष पूर्ण करने पर रविवार 11 सितंबर 2022 को कवि सम्मेलन एवं मुशायरा.... जश्न-ए-अल्फाज़ का आयोजन किया।

     दीन दयाल नगर स्थित ट्रीट ओ क्लॉक कैफे में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि  बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ विशेष गुप्ता, धवल दीक्षित, प्रिया अग्रवाल, फक्कड़ मुरादाबादी, ललित कौशिक आदि  ने माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके किया। 

 कार्यक्रम में बरेली से आए युवा साहित्यकार एडवोकेट मध्यम सक्सेना, ज़िया ज़मीर, चंदौसी से मोहम्मद हनीफ, राजीव प्रखर, मयंक शर्मा, नोएडा से अंकुश सिंह और फक्कड़ मुरादाबादी ने काव्य पाठ किया।

     अतिथियों में सूरज सक्सेना, डॉ मनोज रस्तोगी, कपिल कुमार, विवेक निर्मल, अनुज अग्रवाल, डॉ पूनम बंसल, दुष्यंत बाबा, शरद कौशिक, आशुतोष शर्मा, एच. पी. शर्मा, मंजू लता सक्सेना आदि ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम अल्फ़ाज़ की संस्थापिका अभिव्यक्ति सिन्हा और सह - संस्थापक अमर सक्सेना की देखरेख में हुआ। संचालन राघव गुप्ता ने किया। मुस्कान, उत्कर्ष, सचिन और हिमांशु का विशेष योगदान रहा। इस दौरान केक काटकर संस्था के तीन वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया गया।  सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

 अभिव्यक्ति सिन्हा ने बताया कि अल्फाज़ युवा साथियों को उनकी कला का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, जहां वे बेझिझक अपना हुनर दिखा सकते हैं । कार्यक्रम में कांठ से कक्षा केंद्र की टीम का पूरा सहयोग रहा। इस अवसर पर नमिता, अंजना, मीना, नई किरण संस्था, पूजा राणा, विपिन, मुकुल, साहिल, पल्लवी, वंदना, आदि बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे। आभार  अमर सक्सेना ने अभिव्यक्त किया।