मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से बसंत पंचमी बुधवार 14 फरवरी 2024 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन योगेन्द्र पाल विश्नोई के लाइनपार स्थित आवास पर किया गया।
कवयित्री रश्मि चौधरी द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा ....
फॅंस रहा अज्ञान के अंधकार में,
फिर रहा हूॅं मैं दिशा भटका हुआ संसार में,
ज्ञान का दीपक दिखाओ, प्यारी माॅं!
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. महेश दिवाकर ने भाषा-सम्मान के प्रति अभिव्यक्ति की -
घोर दासता में डूबा है, भारत मत बर्बाद करो।
छोड़ विधर्मी भाषाओं को, तन-मन को आजाद करो।।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. राकेश चक्र ने भारत की उपलब्धियों को प्रणाम किया -
भारत है ये नया देश का नभ, भू पर सम्मान बढ़ा है।
चन्द्रयान पहुॅंचाया शशि पर फहराए ध्वज मान बढ़ा है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने अपने इन वसंती दोहों से सभी को इस पर्व के उल्लास में डुबोया -
देखी नटखट भ्रमर की, जब कलियों से प्रीत।
चुपके-चुपके लेखनी, लगी चुराने गीत।।
आहत बरसों से पड़ा, रंगों में अनुराग।
आओ टेसू लौट कर, बुला रहा है फाग।।
संयोजक योगेन्द्र पाल विश्नोई की पंक्तियों ने प्रेम को अभिव्यक्ति दी -
प्यार की कल्पना ही करो मित्रवर,
प्यार की गंध मौसम में घुल जायेगी।
कवि रघुराज सिंह निश्चल की पंक्तियों ने भी वसंत का सुंदर चित्र खींचा -
आ गए ऋतुराज प्यारे आ गए हैं।
सबकी ऑंखों के दुलारे आ गए हैं।
कवि राम सिंह निशंक ने महर्षि दयानंद के प्रति अपने उद्गार व्यक्त किये -
दयानंद धरा पर जो आए न होते।
वेदों के मंत्र हमने गाए न होते।
वरिष्ठ रचनाकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने जाड़े की धूप का चित्र कुछ इस प्रकार खींचा -
सूरज की पहली किरण,
उतरी जब छज्जे पर,
ऑंगन का सूनापन उजलाया।
इसी क्रम में सुप्रसिद्ध नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम के मनभावन वसंती दोहे भी सभी के हृदय को स्पर्श कर गए। आपने कहा -
खुश हो कहा वसंत ने, देख धरा का रूप।
ठिठुरन के दिन जा चुके, जिओ गुनगुनी धूप।।
महकी धरती देखकर, पहने अर्थ तमाम।
पीली सरसों ने लिखा, ख़त वसंत के नाम।।
वहीं वरिष्ठ कवि मनोज मनु ने माॅं शारदे का अभिनंदन करते हुए कहा -
हे! गरिमा मयी ज्ञान दायिनी ,
दिव्य ज्ञान व्यवहारित कर दो।
हे !सरस्वती .. हे! स्वर वरदा,
वाणी मेरी सुभाषित कर दो।
कवयित्री रश्मि चौधरी की अभिव्यक्ति थी -
तुम्हारे चरणों में आकर माॅं कुछ बात बन जाए।
तुम्हारा आशीष मेरे लिए सौगात बन जाए।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित रचनाकारों द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कृष्ण कुमार बेदिल (मेरठ) एवं श्री एम. पी. कमल (पंवासा) के निधन पर शोक व्यक्त किया गया तथा दो मिनट का मौन रखते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में रविन्द्र विश्नोई, सुरेंद्र आर्य, रमेश गुप्त आदि साहित्य प्रेमी भी उपस्थित रहे।
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