मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की मासिक काव्य गोष्ठी 14 अक्टूबर 2024 सोमवार को आयोजित की गई । गोष्ठी की अध्यक्षता रामदत्त द्विवेदी ने की मुख्य अतिथि के रूप में डॉ महेश दिवाकर एवं विशिष्ट अतिथि डॉ राकेश चक्र रहे। सरस्वती वंदना रघुराज सिंह निश्चल ने प्रस्तुत की एवं मंच संचालन अशोक विद्रोही द्वारा किया गया।
डॉ महेश दिवाकर द्वारा कवियों को जागृत करते हुए कहा देश की परिस्थितियों बहुत विषम होती जा रही हैं। साहित्यकारों का कर्तव्य है ऐसे समय में क्रांतिकारी गीत लिखें । लोगों की आत्मा को जागने वाली रचनाएं लिखें और अपने देश को बचाने के लिए वर्तमान असंतोष को अपने गीतों में व्यक्त करें।
योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई ने कहा -
आंसू की स्याही से लिखो मोती जैसे बोल ,
अपने गीतों की पुस्तक को धीरे-धीरे खोल।
किसे जरूरत है जो बोले पाप पुण्य की बात।
यहाँ प्रश्नों के उत्तर हो जाते गोलम गोल ।
अशोक विद्रोही ने देश प्रेम के भाव इस प्रकार व्यक्त किये–
रोके से भी रुक न सके हम वो दरिया तूफानी हैं।
मां जीजा के वीर शिवा राणा की अमर कहानी हैं
निकल पड़े यदि रण में तो मुश्किल है कि पीछे हट जायें,
इंच इंच कट जायेंगे हम सच्चे हिन्दुस्तानी हैं।
वीरेंद्र सिंह बृजवासी ने पढा़-
सर्वदा अलस्य त्यागो नहीं श्रम से दूर भागो ।
कठिनता की चाशनी में सफलता का मंत्र पागो।
राम सिंह निशंक ने कहा -
नगर गांव में प्रदूषण नित नित बढ़ता जाए ,
वायु शुद्ध कैसे रहे इसका करो उपाय।
अशोक विश्नोई ने कहा-
मर चुका आंखों का पानी लिख,
उजड़े हुए घरों की कहानी लिख।
क्या सोचता है प्यारे उठा कलम,
रोते हुए बच्चों की जवानी लिख ।
ओंकार सिंह ओंकार ने इस प्रकार अपनी अभिव्यक्ति दी-
पुतला रावण का सभी फूंक रहे हर साल ।
उसकी मगर बुराइयां लोग रहे हैं पाल ।
राजीव प्रखर ने कहा....
सूना-सूना जब लगा, बिन बिटिया घर-द्वार ।
चीं-चीं चिड़िया को लिया, बाबुल ने पुचकार।।
रघुराज सिंह निश्चल ने पढ़ा....
यह देश अगर सबका होता तो भारत क्या ऐसा होता।
भारत अखंड भारत रहता यह हाल न भारत का होता ।।
:::::प्रस्तुति::::::
अशोक विद्रोही
उपाध्यक्ष
राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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