सोमवार, 31 जनवरी 2022

अखिल भारतीय साहित्य परिषद मुरादाबाद की ओर से तीस जनवरी 2022 को शहीदों के सम्मान में हुई ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी

 


अखिल भारतीय साहित्य परिषद ,मुरादाबाद की ओर से देश के अमर शहीदों के सम्मान में गूगल मीट के माध्यम से एक ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी का आयोजन रविवार 30 जनवरी 2022 को किया गया। कवि राजीव 'प्रखर' द्वारा प्रस्तुत माँ सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवयित्री एवं मुरादाबाद इकाई की अध्यक्ष डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने राष्ट्रप्रेम की अलख जगाते हुए कहा - 

"राष्ट्र की अर्चना, राष्ट्र आराधना, निशि दिवस हम करें ,राष्ट्र वंदन करें ।।

राष्ट्रहित जो मरे ,राष्ट्रहित जो जिये, उनके चरणों मे  शत शत नमन हम करें ।।"

 मुख्य अतिथि वरिष्ठ इतिहासकार तथा साहित्यकार डॉ. अजय 'अनुपम' ने मुक्तक प्रस्तुत किए- 

"दर्पण की धूल हटाओ, देश हमारा है। 

भीतर का सत्य जगाओ, देश हमारा है।

हर फूल, शूल अपना होता है, क्यारी में मिलकर,

उपवन विकसाओ, देश हमारा है।"

विशिष्ट अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने वर्तमान परिदृश्य का चित्र खींचते हुए अपने दोहों में कहा -

"राजनीति में देखकर, छलछंदों की रीत।

कुर्सी भी लिखने लगी, अवसरवादी गीत।।

आज़ादी के बाद का, बता रहा इतिहास।

सिर्फ़ चुनावों के समय, वोटर होता ख़ास।।"

 विशिष्ट अतिथि कवयित्री सरिता लाल ने अपनी आस्था कुछ इस प्रकार व्यक्त की- 

"शहीदों की आत्मायें भी शायद 

अब तक मुक्त नहीं हो पायीं हैं, 

बद्दुआ तो नहीं दे सकतीं अपने देश को, 

लेकिन दुआओं के लिए भी हाथ नहीं उठा पायीं हैं।।"

विशिष्ट अतिथि डॉ. संगीता महेश ने मंगलकामना करते हुए 

कहा -

"आकाश से पृथ्वी तक मेरा भारत सूर्य सम चमके, 

रब से दुआ हम दिन रात करते हैं। 

आओ अपने प्यारे भारत की बात करते हैं।" 

 संचालन करते हुए राजीव 'प्रखर' ने अपनी अभिव्यक्ति इस प्रकार की - 

"निराशा ओढ़कर कोई, न वीरों को लजा देना।

नगाड़ा युद्ध का तुम भी, बढ़ाकर पग बजा देना।

तुम्हें सौगन्ध माटी की, अगर मैं काम आ जाऊँ, 

बिना रोये प्रिये मुझको, तिरंगों से सजा देना।

कवि प्रशांत मिश्र ने अपनी आंदोलित करती रचना में कहा- 

"शत्रु ह्रदय प्रति-साँस, भारत माता की जय-जय कार करें, आओ...! सिंहनाद करें।" 

कवयित्री डाॅ. रीता सिंह ने वीरों का वंदन करते हुए सुनाया- 

"वीरों का वंदन, माथे का चंदन।

 आओ करें नमन, इनको करें नमन।"

कवि अशोक 'विद्रोही' ने शहीदों को नमन करते हुए कहा-

"मान माता तेरा हम बढ़ाएंगे, धूल माथे से तेरी लगाएंगे।

 एक क्या सौ जन्म तुझ पे कुर्बान माँ, भेंट अपने सरों की चढ़ाएंगे।।" 

कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट के उदगार थे - 

"नेतृत्व चाहिए, नेतृत्व चाहिए। 

हमें बोस भगत से व्यक्तित्व चाहिए। 

नया सवेरा हमें लाना होगा। 

विवेकानंद बन जाना होगा।।"

कवयित्री मोनिका 'मासूम' ने अपनी हृदयस्पर्शी ग़ज़ल में कहा - 

"निहां है दर्द भी हँसती हुई आँखों में पढ़कर देखिए। 

लगा कर मौत सीने से कभी सरहद पे लड़कर देखिए। 

बहुत आसाँ है महलों को खङा करना खयालों में कभी, 

हकीकत की ज़मी पे नींव की दो ईंट गढ़ कर देखिए।" 

शायर व कवि मनोज 'मनु' ने अपने दोहे प्रस्तुत करते हुए कहा -

"शब्द नहीं एक भाव है, आज़ादी की बात।

स्वाभिमान की राष्ट्र को, मिलने दें सौगात।।

नमन शहीदों आपको, मेरा शत शत बार।

बलिदानों से आपके , हर दिन अब त्यौहार।।" 

कार्यक्रम में वरिष्ठ व्यंग्यकार अशोक विश्नोई एवं कवयित्री डॉ. सुगंधा अग्रवाल ने उपस्थित रहकर सभी का उत्साहवर्धन किया। मोनिका 'मासूम'  द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम विश्राम पर पहुँचा।


1 टिप्पणी:

  1. सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामना। आप सभी के सहयोग से कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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