बुधवार, 27 मई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार निवेदिता सक्सेना की लघु कथा -------- हे भगवान



नोनू और मनु मीरा के दो बेटे, दोनों ही छोटे थे।
,शैतान,नटखट ,चुलबुले दोनों दुनिया से अनजान सिर्फ अपनी दुनिया में मगन,।बचपन का आनंद लेकर जी रहे थे।
मीरा जब भी उन्हें  सुलाती तब अक्सर कहानिया सुनाया करती थी ,और कहानी के अंत  में अपने बच्चों से कहती कि बेटा छोटे बच्चों की पुकार भगवान बहुत जल्दी सुनते हैं ,इसलिए हमेशा भगवान से अपने घर परिवार की सलामती की प्रार्थना किया ।
करो दोनों बच्चे हाथ जोड़कर भगवान का धन्यवाद करते । दोनोंआपस में साथ साथ खेलते भी बहुत है और लड़ाई भी बहुत करते थे ना कभी कभी मीरा बहुत परेशान हो जाती थी जोर से चिल्लाने लगती,,,,,,,,' हे भगवान; मुझे उठा ले,  और कभी-कभी तो उन पर हाथ भी उठा देती , पर वह दोनों अपनी मस्ती में मस्त रहते थे नोनू छोटा था ,और मनु बड़ा ।
नादान नोनू अपनी मां की झुंझलाहट को देखता और बार बार दोबारा गलती ना करने के लिए कहता पर अबोधबालक फिर अपने भाई से लड़ाई लड़ता मां झुंझलाहट में अक्सर बड़बड डाती रहती ।;हे भगवान ;मुझे उठा ले, !
आज घर पर मेहमान आने वाले थे बहुत सारा काम था और उस पर  रविवार का दिन  बच्चे भी घर पर थे छोटे-छोटे बच्चों को संभालना मेहमानों के खातिर करना मीरा एक बार फिर झुंझला रही थी ,रात भर कमर दर्द से परेशान रही थी ।
सुबह सुबह कुछ लोगो के आने की खबर ,
मीरा महमान नवाजी में बहुत आगे थी तबियत कैसी भी हो पर किसी के आने की खबर उसमे ऊर्जा भर देती थी,।
 बच्चे बीच बीच में लड़ाई भी कर रहे थे ,बहुत देर से समझाने की कोशिश कर रही थी , बच्चे तो बच्चे  माने कैसे  एक बार फिर सर पकड़ कर बैठ गई मीरा।
: हे भगवान मुझे उठा ले;
 नादान नोनू बार-बार इस तरह से अपनी मां को करते देख एक दिन कह उठा हे भगवान आप बच्चो की बात जल्दी सुनते हो , मेरी बात सुन लो ,मेरी मां जो बार बार कहती है ,मुझे उठा लो ,
मुझे उठा लो ,
उनकी प्रार्थना सुन लो,, हे भगवान,,।

 ✍️ निवेदिता सक्सेना
मुरादाबाद 244001

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