क्लिक कीजिए
रविवार, 12 मई 2024
रविवार, 14 अप्रैल 2024
शनिवार, 13 अप्रैल 2024
गुरुवार, 28 मार्च 2024
सोमवार, 25 मार्च 2024
मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' की ओर से 23 मार्च 2024 शनिवार को योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' के दोहा-संग्रह 'उगें हरे संवाद' का लोकार्पण एवं काव्य गोष्ठी आयोजित
मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' की ओर से नवगीतकार माहेश्वर तिवारी के गौर ग्रीशियस स्थित आवास 'हरसिंगार' में शनिवार 23 मार्च 2024 को आयोजित गोष्ठी में साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' के दोहा-संग्रह 'उगें हरे संवाद' का लोकार्पण किया गया। कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम में डॉ.अजय 'अनुपम' द्वारा लोकार्पित कृति पर समीक्षा प्रस्तुत की गई तथा लोकप्रिय शायर ज़िया ज़मीर द्वारा लिखित समीक्षा आलेख का वाचन राजीव प्रखर ने किया।
लोकार्पण के पश्चात् एक काव्य-गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता करते हुए माहेश्वर तिवारी ने अपने भावों को शब्द दिये-
गीतों भरी सुबह लगती है, रंगों डूबी शाम।
याद बहुत आते हैं कल के रिश्ते और प्रणाम।
मुख्य अतिथि डॉ.अजय अनुपम ने कहा-
जिस पल से होने लगा, नेता का धन दून।
लगे तभी से सूखने, छप्पर पर कानून।।
जैसे बच्चे खेलते, कुर्ता पकड़े रेल।
कुनबेदारी ले गई, नेताजी को जेल।।
विशिष्ट अतिथि विशाखा तिवारी ने होली का सुंदर चित्रण करते हुए कहा -
पैंया पड़ूं कर जोरी,
श्याम मो से न खेलो होरी।
संचालन करते हुए योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने कहा-
मनके सारे त्याग कर, कष्ट और अवसाद।
पिचकारी करने लगी, रंगो से संवाद।।
गुझिया से कचरी लड़े, होगी किसकी जीत।
एक कह रही है ग़ज़ल, एक लिख रही गीत।।
कवयित्री डॉ.पूनम बंसल के होली गीत ने सभी को वाह करने पर विवश कर दिया-
फागुन का है मस्त महीना पिचकारी की धार लिए।
रूठों को हम चलो मनाएं,रंगों का उपहार लिए।।
जीवन में मस्ती की सरगम लेकर आई है होली।
रंगों में यूं भीगा तन मन सजनी साजन की हो ली।।
डॉ.कृष्ण कुमार नाज़ के अशआर सभी को झूमने पर विवश कर गये -
बादलों की सुरमई छतरी यहाँ तानी गई,
तब कहीं तपते हुए सूरज की मनमानी गई।
शुक्रिया तेरा, मेरी ख़ानाबदोशी शुक्रिया,
तू मिली तो गर्दिशों की ज़ात पहचानी गई।
डॉ. मनोज रस्तोगी का कहना था -
घर-घर में करना आह्वान है।
मत का करना सही दान है।।
परिवार सहित चलें बूथ पर।
बाद में करना जलपान है।।
राजीव प्रखर ने अपने दोहों के रंग इस प्रकार छोड़े -
बदल गई संवेदना, बदल गए सब ढंग।
पहले जैसे अब कहाॅं, होली के हुड़दंग।।
गुमसुम पड़े गुलाल से, कहने लगा अबीर।
चल गालों पर खींच दें, प्यार भरी तस्वीर।।
कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट का कहना था -
टेसू शाखों पर खिले, घुली प्रेम की भंग।
साजन ने जब आ सखी,मुझ को डाला रंग ।।
हंसी ठिठौली नेह की,भरती सारे घाव।
हास और परिहास का, बना रहें सद्भाव।।
मीनाक्षी ठाकुर ने वर्तमान परिस्थितियों पर तीखा व्यंग्य किया -
पुते चुनावी रंगों में फिर गिरगिटिया अय्यार।
उल्लू और गधे आपस में, जमकर हिस्सेदार बने।
दीन धर्म के ही सौदे को, जगह- जगह बाज़ार तने।
लेकर लच्छे वाले भाषण दल -बदलू तैयार।।
मनोज मनु भी अपने गीत से सभी के हृदय को जीतते हुए चहके -
होली पर हुरियारों देखो, कसर न दमभर रखना,
रंगों का त्योहार है सबके तन संग मन भी रंगना।
ठिठुरन भुला बसंत घोलता मन मादकता हल्की,
करती है किस तरह प्रकृति, रचना हर एक पल की,
फिर मन भावन फागुन खूब खिलाता टेसू अंगना।
इस अवसर पर विशेष रूप से दयानंद आर्य कन्या महाविद्यालय के प्रबंधक उमाकांत गुप्त, संतोष रानी गुप्त, अक्षरा तिवारी, आशा तिवारी उपस्थित रहे। समीर तिवारी द्वारा आभार अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा।
राजीव प्रखर
सह संयोजक- हस्ताक्षर, मुरादाबाद।
मोबाइल- 9368011960
सोमवार, 18 मार्च 2024
श्री अरविंदो सोसाइटी के तत्वावधान में 17 मार्च 2024 को काव्यगोष्ठी का आयोजन
मुरादाबाद की संस्था अरविंदो सोसाइटी के तत्वावधान में कम्पनी बाग स्थित स्वतंत्रता सेनानी भवन में राष्ट्र चेतना विषय पर केंद्रित काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। मनोज 'मनु' द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य भूषण डॉ महेश 'दिवाकर' ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में सरिता लाल, विशिष्ट अतिथि के रूप में धवल दीक्षित, फक्कड़ मुरादाबादी एवं वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन विवेक 'निर्मल' के द्वारा किया गया।
डॉ प्रेमवती उपाध्याय के संयोजन में हुए इस कार्यक्रम के सह-संयोजक दुष्यन्त 'बाबा' ने अपनी कविता पढ़ते हुए कहा-
'हरि-हरि में मतभेद कर, फँसे भक्त भव कूप।
दृग माया का मैल है, सब ही उसके रूप'
राजीव प्रखर ने पढ़ा-
'जलते-जलते आस के, देकर रंग अनेक।
दीपक-माला कर गई, रजनी का अभिषेक'
शुभम कश्यप ने अध्यात्म विषय पर अपनी अभिव्यक्ति कुछ इन पंक्तियों से की-
भक्ति से श्रद्धा बढ़ी, ऊंचा मिला मुक़ाम।
जब से कर दी ज़िंदगी, गोविंद तेरे नाम'
डॉ मनोज रस्तोगी ने गीत प्रस्तुत किया -
'घर-घर में करना आह्वान है।
मत का करना सही दान है।।
परिवार सहित चलें बूथ पर।
बाद में करना जलपान है' ।।
अचल दीक्षित ने सुनाया-
'देखो-देखो बसंत आया है
चंचल चितवन चित्त चकराया है'
वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई ने अपने हास्य-व्यंग्य के माध्यम से सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
वरिष्ठ साहित्यकार योगेंद्र वर्मा 'व्योम' ने रचना प्रस्तुति से आनंदित करते हुए पढ़ा-
केवल अपनापन रहे, हर मन का सिरमौर।
साहित्यकार अशोक 'विद्रोही' ने सुनाया-
'साल पाँच सौ गुजर गए अब भाग्य बदलने वाले हैं,
श्री रामचंद्र फिर से अपने मंदिर में आने वाले हैं'
अनन्त 'मनु' ने अपने पिता मनोज मनु का गीत प्रस्तुत किया तो श्री राघव ने
'ऋतुएं भी कुछ ऐसे, करवट बदलने लगी हैं
बसंत में भी पेड़ों से पत्तियां गिरने लगी हैं'
सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर मंचासीन साहित्य भूषण महेश 'दिवाकर', डॉ सरिता लाल, हास्य कवि फक्कड़ मुरादाबादी, ओंकार सिंह 'ओंकार', रघुराज सिंह 'निश्छल', राम सिंह 'निशंक' एवं समाजसेवी धवल दीक्षित ने भी राष्ट्र चेतना विषयक विचार एवं रचनाएँ प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम संयोजिका डॉ प्रेमवती उपाध्याय के द्वारा आभार अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम पूर्णता को प्राप्त हुआ।
:::::प्रस्तुति:::::::
दुष्यंत 'बाबा'
9758000057