मुरादाबाद की संस्था अरविंदो सोसाइटी के तत्वावधान में कम्पनी बाग स्थित स्वतंत्रता सेनानी भवन में राष्ट्र चेतना विषय पर केंद्रित काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। मनोज 'मनु' द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य भूषण डॉ महेश 'दिवाकर' ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में सरिता लाल, विशिष्ट अतिथि के रूप में धवल दीक्षित, फक्कड़ मुरादाबादी एवं वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन विवेक 'निर्मल' के द्वारा किया गया।
डॉ प्रेमवती उपाध्याय के संयोजन में हुए इस कार्यक्रम के सह-संयोजक दुष्यन्त 'बाबा' ने अपनी कविता पढ़ते हुए कहा-
'हरि-हरि में मतभेद कर, फँसे भक्त भव कूप।
दृग माया का मैल है, सब ही उसके रूप'
राजीव प्रखर ने पढ़ा-
'जलते-जलते आस के, देकर रंग अनेक।
दीपक-माला कर गई, रजनी का अभिषेक'
शुभम कश्यप ने अध्यात्म विषय पर अपनी अभिव्यक्ति कुछ इन पंक्तियों से की-
भक्ति से श्रद्धा बढ़ी, ऊंचा मिला मुक़ाम।
जब से कर दी ज़िंदगी, गोविंद तेरे नाम'
डॉ मनोज रस्तोगी ने गीत प्रस्तुत किया -
'घर-घर में करना आह्वान है।
मत का करना सही दान है।।
परिवार सहित चलें बूथ पर।
बाद में करना जलपान है' ।।
अचल दीक्षित ने सुनाया-
'देखो-देखो बसंत आया है
चंचल चितवन चित्त चकराया है'
वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई ने अपने हास्य-व्यंग्य के माध्यम से सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
वरिष्ठ साहित्यकार योगेंद्र वर्मा 'व्योम' ने रचना प्रस्तुति से आनंदित करते हुए पढ़ा-
केवल अपनापन रहे, हर मन का सिरमौर।
साहित्यकार अशोक 'विद्रोही' ने सुनाया-
'साल पाँच सौ गुजर गए अब भाग्य बदलने वाले हैं,
श्री रामचंद्र फिर से अपने मंदिर में आने वाले हैं'
अनन्त 'मनु' ने अपने पिता मनोज मनु का गीत प्रस्तुत किया तो श्री राघव ने
'ऋतुएं भी कुछ ऐसे, करवट बदलने लगी हैं
बसंत में भी पेड़ों से पत्तियां गिरने लगी हैं'
सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर मंचासीन साहित्य भूषण महेश 'दिवाकर', डॉ सरिता लाल, हास्य कवि फक्कड़ मुरादाबादी, ओंकार सिंह 'ओंकार', रघुराज सिंह 'निश्छल', राम सिंह 'निशंक' एवं समाजसेवी धवल दीक्षित ने भी राष्ट्र चेतना विषयक विचार एवं रचनाएँ प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम संयोजिका डॉ प्रेमवती उपाध्याय के द्वारा आभार अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम पूर्णता को प्राप्त हुआ।
:::::प्रस्तुति:::::::
दुष्यंत 'बाबा'
9758000057
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें