सम्मान/पुरस्कार लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सम्मान/पुरस्कार लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 19 फ़रवरी 2024

मुरादाबाद की संस्था कला भारती की ओर से रविवार 18 फरवरी 2024 को आयोजित कार्यक्रम में रामपुर के साहित्यकार जितेन्द्र कमल आनंद को कलाश्री सम्मान

मुरादाबाद की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था कला भारती द्वारा रविवार 18 फरवरी 2024 को आयोजित कार्यक्रम में रामपुर के साहित्यकार जितेंद्र कमल आनंद को कलाश्री सम्मान से अलंकृत किया गया।सम्मान स्वरूप श्री आनंद को अंग वस्त्र, मानपत्र एवं प्रतीक चिह्न अर्पित किए गए। सम्मानित साहित्यकार  जितेन्द्र कमल आनंद का जीवन परिचय राजीव प्रखर ने प्रस्तुत किया तथा अर्पित मानपत्र का वाचन बाबा संजीव आकांक्षी द्वारा किया गया। 

 स्वतंत्रता सेनानी भवन में  रामसिंह निशंक द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ओंकार सिंह ओंकार ने श्री आनंद की सक्रिय एवं समर्पित साहित्य साधना पर विचार रखते हुए कहा कि साहित्य एवं संस्कृति के प्रति श्री जितेन्द्र कमल आनंद की निष्ठा एवं समर्पण सभी के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण है। विपरीत परिस्थितियों का डटकर सामना करते हुए उन्होंने सृजन एवं साहित्य सेवा के जो प्रतिमान स्थापित किए हैं, वे आने वाली पीढ़ियों को भी निरंतर प्रेरित करते रहेंगे। इस अवसर पर आयोजित काव्य गोष्ठी में उन्होंने कहा –

 दस्तक अब देने लगी, मधुर गुनगुनी धूप।

 धरती अब रॅंग रूप की, रानी लगे अनूप।। 

नई कोंपलें पा रहीं, धीरे से विस्तार। 

कलियाॅं ऑंखें खोलकर, देख रहीं संसार।। 

रचना-पाठ करते हुए सम्मानित साहित्यकार जितेन्द्र कमल आनंद ने कहा - 

कवि के गीत वसंती ऋतु में, पवने भी मन-मोहित करते। 

ग्वाल-वाल, राधिका-गोपियों,से अंतस आनन्दित करते। 

मुख्य अतिथि अशोक विश्नोई की अभिव्यक्ति इस प्रकार थी - 

सर, यहाॅं के हालात ठीक हैं, 

चिन्ता न करें।  

मरीज़ भटक रहे हैं, 

हालात अच्छे हैं, 

मोमबत्ती से काम चल रहा है।

विशिष्ट अतिथि धवल दीक्षित ने कहा - 

तू कहे तो सिर्फ कह दूं, 

मुझे बादलों से प्रेम है,

 इन नज़ारों से प्रेम है, 

मुझे तुझसे प्रेम है। 

विशिष्ट अतिथि के रूप में रामपुर के वरिष्ठ रचनाकार रामकिशोर वर्मा ने वर्तमान परिस्थितियों का चित्र खींचते हुए कहा - 

मेरे मन की कामना, बढ़े विश्व में प्यार। 

सब में ही सौहार्द हो, मानवता आधार ।। 

मानवता आधार, कर्म का गाड़ो झंडा। 

सुखी रहें सब लोग, श्रेष्ठ है यह ही फंडा ।। 

भेदभाव को त्याग, छोड़ दें मेरे-तेरे। 

मैं हूँ सबके साथ, विश्व के सारे मेरे ।। 

कार्यक्रम का संचालन  करते हुए राजीव प्रखर के दोहों ने सभी के हृदय को भीतर तक स्पर्श कर लिया। उन्होंने कहा - 

नीम तुम्हारी छाॅंव में, आकर बरसों बाद।

 फिर से ताज़ा हो उठी, बाबूजी की याद।। 

जोड़े जब संवाद ने, मन से मन के तार। 

मान गया अवसाद भी, कान पकड़कर हार।।   

रघुराज सिंह निश्चल का कहना था - 

आ गए ऋतुराज प्यारे आ गए हैं, ‌

सबकी ऑंखों के दुलारे आ गए हैं।

 उमाकांत गुप्त ने व्यंग्य के तीर छोड़े - 

पत्ते बावन ऐसे फेंटे, 

दहला राजा बन जाता है, 

दुग्गी होती रानी।

वरिष्ठ रचनाकार वीरेन्द्र बृजवासी की पंक्तियों ने भी सभी के हृदय को स्पर्श किया - 

तन वैरागी, मन वैरागी। 

जीवन का हर क्षण वैरागी। 

जीवन को जीवन पहनाने, 

सारा घर ऑंगन वैरागी। 

श्रीकृष्ण शुक्ल की अभिव्यक्ति थी - 

आभासी दुनिया ने सारे रंग बदल डाले हैं। 

डिजिटल युग ने जीवन के सब ढंग बदल डाले हैं। 

अब तो मित्रो 

ऑनलाइन शादी भी हो जाती है, 

वर विदेश में वधू देश में भाॅंवर पड़ जाती है। 

रामसिंह निशंक ने कहा - 

स्वस्थ रहते हुए सौ वर्ष तक जिओ। 

सौ वर्ष तक जीवन का अमृत पिओ। 

डॉ. मनोज रस्तोगी ने सुंदर चित्र खींचा - 

सूरज की पहली किरण 

उतरी जब छज्जे पर, 

आंगन का सूनापन उजलाया।   

 योगेन्द्र वर्मा व्योम की मनभावन अभिव्यक्ति इस प्रकार रही - 

तूने समझा कर्म को, देख रहा है कौन। 

किन्तु मुखर होता अधिक, भीतर का ही मौन।। 

पहले मन में झाँक फिर, बस पल भर को सोच। 

सम्बन्धों के पाँव में, आयी कैसे मोच।। 

मनोज मनु के उद्गार इस प्रकार रहे -

 राम ही संकल्प पावन, राम का वंन्दन करें; 

पूर्ण  अभिलाषा हुई सब, आओ !अभिनन्दन करें। 

शायर ज़िया ज़मीर ने कहा - 

ख़ाक थे कहकशां के थे ही नहीं। 

हम किसी आस्मां के थे ही नहीं। 

उसने ऐसे किया नज़र अन्दाज़, 

जैसे हम दास्तां के थे ही नहीं। 

बाबा संजीव आकांक्षी द्वारा आभार अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा। 



























































सोमवार, 4 दिसंबर 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ आर सी शुक्ल को राजेन्द्र मोहन शर्मा 'श्रृंग' स्मृति सम्मान से हिन्दी साहित्य संगम ने तीन दिसंबर 2023 को किया सम्मानित

मुरादाबाद के  साहित्यकार डॉ आर सी शुक्ल को राजेन्द्र मोहन शर्मा 'श्रृंग' स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के संस्थापक कीर्तिशेष श्रृंग जी की पुण्यतिथि के अवसर पर, संस्था की ओर से यह वार्षिक सम्मान समारोह 3 दिसंबर 2023 रविवार को  मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज में हुआ। रामसिंह निशंक द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता रघुराज सिंह निश्चल ने की। मुख्य अतिथि डॉ आर सी शुक्ल एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ महेश दिवाकर एवं ओंकार सिंह ओंकार मंचासीन हुए, जबकि कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। सम्मान स्वरूप श्री शुक्ल को अंगवस्त्र, मानपत्र, प्रतीक चिह्न एवं श्रीफल अर्पित किए गए। 

    श्री शुक्ल का जीवन परिचय राजीव प्रखर एवं अर्पित मान पत्र का वाचन योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया। संस्था के संस्थापक कीर्तिशेष राजेन्द्र मोहन शर्मा 'श्रृंग' के विषय में अपने विचार रखते हुए श्री ओंकार सिंह ओंकार ने कहा - "कीर्तिशेष श्रृंग जी मानवीय मूल्यों से जुड़े ऐसे उत्कृष्ट रचनाकार थे जिनकी रचनाएं समाज को निरंतर प्रेरित कर रही हैं।" 

    सम्मानित साहित्यकार डॉ आर सी शुक्ल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के विषय में प्रकाश डालते हुए डॉ महेश दिवाकर का कहना था - "साहित्य व समाज के लिए डॉ आर सी शुक्ल  का योगदान अनमोल है। उनका सृजन अन्तस की गहराई में उतर कर मानवीय संवेदनाओं को साकार करता है।"

     इस अवसर पर श्री शुक्ल ने काव्य-पाठ करते हुए कहा - "सारा जीवन बीत गया अनुमानों में। पर यह रहस्य रह गया, समझ के बाहर ही, किस आशय को लिये जगत् में जीता हूॅं।" 

       अध्यक्षता कर रहे रघुराज सिंह निश्चल ने कहा - "विपरीत परिस्थितियों में भी डाॅ आर सी शुक्ल निरंतर सृजनरत रहकर सभी के सम्मुख उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। उनकी संचेतना व जीवट उनकी रचनाओं में स्पष्ट दिखाई देते हैं।"

     वरिष्ठ रचनाकार रामदत्त द्विवेदी का कहना था - "डॉ आर सी शुक्ल साहित्य में ऊॅंचाई पर होने के बाद भी आम जनमानस के लोकप्रिय बहुमुखी साहित्यकार हैं।" 

    काव्य पाठ एवं अभिव्यक्ति की श्रृंखला में विभिन्न रचनाकारों योगेन्द्र वर्मा व्योम, राजीव प्रखर, कंचन खन्ना, रामसिंह निशंक, नकुल त्यागी, पद्म सिंह, रामदत्त द्विवेदी आदि ने भी अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से कीर्तिशेष राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग एवं डॉ आर सी शुक्ल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। राजीव प्रखर द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा।