शुक्रवार, 17 मार्च 2023

मुरादाबाद की साहित्यकार (वर्तमान में जकार्ता इंडोनेशिया निवासी) वैशाली रस्तोगी की तीन काव्य कृतियों मेरे चारों धाम (दोहा संग्रह), करती खुद को मैं नमन (कविता संग्रह), तथा शुभ-प्रभात (हाइकु संग्रह) का जनपद संभल की साहित्यिक संस्था परिवर्तन ट्रस्ट(पंजी) के तत्वावधान में आयोजित भव्य समारोह में किया गया लोकार्पण

मुरादाबाद  मंडल के जनपद संभल की साहित्यिक  संस्था परिवर्तन ट्रस्ट(पंजी) के तत्वावधान में जकार्ता (इंडोनेशिया) की साहित्यकार वैशाली रस्तोगी की तीन काव्य कृतियों मेरे चारों धाम (दोहा संग्रह), करती खुद को मैं नमन (कविता संग्रह), तथा शुभ-प्रभात (हाइकु संग्रह) का लोकार्पण पर्व एवं साहित्यकार सम्मान समारोह का आयोजन गुरुवार 16 मार्च 2023 को व्हाइट हाउस, बुद्धि विहार दिल्ली रोड मुरादाबाद में किया गया। 

       कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष  दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्पण करके किया गया। परिवर्तन ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष प्रदीप कुमार "दीप" ने माँ सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की तदोपरांत वैशाली रस्तोगी की तीनों पुस्तकों का लोकार्पण कार्यक्रम अध्यक्ष हास्य व्यंग्य के प्रख्यात साहित्यकार डॉ मक्खन मुरादाबादी, विशिष्ट अतिथि चर्चित साहित्यकार  डॉ मनोज रस्तोगी, डॉ पंकज दर्पण अग्रवाल, डॉ अर्चना गुप्ता, संचालक त्यागी अशोका कृष्णम् तथा अश्विनी रस्तोगी के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ। 

       समारोह में  मयंक शर्मा, प्रदीप कुमार "दीप"  दीक्षा सिंह, मोहनी रस्तोगी, साक्षी रस्तोगी,  अणिमा रस्तोगी , अश्वनी रस्तोगी एवं त्यागी अशोका कृष्णम् ने वैशाली रस्तोगी की कविताओं का सुमधुर काव्यपाठ किया।

       प्रख्यात व्यंग्य कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी ने वैशाली रस्तोगी को एक होनहार कवयित्री बताते हुए कहा कि उनकी रचनाएं, विदेशी मिट्टी पर अपनी मिट्टी के भाव की उपज हैं। इनमें अपने सांस्कृतिक और संस्कारी प्रवाह के साथ साथ सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों की न उधड़ने वाली बुनावट के ताने बाने की प्रगाढ़ झलक अपना रंग भर कर गौरवान्वित हुई है। वैशाली का रहना सहना भले विदेश का है पर उसके भीतर रची बसी धुकर पुकर अपने भारतीय परिवेश की ही है, जिसे उसका संवेदनात्मक मन एक पल के लिए भी नहीं छोड़ता।

      व्यंग्य कवि डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा कि वैशाली रस्तोगी ने अपने दोहों के माध्यम से भारतीय सभ्यता, संस्कृति, रीति-रिवाजों एवं परम्पराओं का सरलता के साथ सटीक वर्णन किया है। इसके अतिरिक्त अपनी रचनाओं के माध्यम से वह नारी सशक्तिकरण पर बल देती हैं तो वर्तमान भौतिकतावादी युग में खत्म होती जा रही मानवीय संवेदनाओं और आपसी रिश्ते नातों में बिखराव पर चिंता जताती हैं । शृंगार रस से परिपूर्ण रचनाओं के माध्यम से जहां वह शाश्वत प्रेम और विरह वेदना को अभिव्यक्त करती हैं वहीं सामाजिक विसंगतियों और कुरीतियों पर पैने प्रहार भी करती हैं । 

     साहित्यपीडिया की संस्थापक डॉ अर्चना गुप्ता ने वैशाली रस्तोगी की लेखनी को अपने देश की संस्कृति की खुशबू से लबरेज बताते हुए कहा वह एक लंबे समय से विदेश में रहते हुए भी देश की माटी से जुड़ी हुई हैं। वैश्विक स्तर पर हिंदी जगत में उनकी एक विशिष्ट पहचान है, उनकी रचनाएं आम जनजीवन से जुड़ी हुई हैं।

      अमरोहा की साहित्यकार शशि त्यागी ने वैशाली रस्तोगी के हाइकु भोले नंदन/ शुभगुणकानन/ शुभागमन का उदाहरण देते हुए उनके आध्यात्मिक सृजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

      वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ पंकज दर्पण अग्रवाल ने कहा  "वैशाली रस्तोगी हिदुस्तान के बाहर रहकर भी अपने दिल में हिंदी और हिंदुस्तान के लिए प्रेम एवं समर्पण का सागर भरे हुए हैं।" वरिष्ठ साहित्यकार श्री कृष्ण शुक्ल ने कहा कि वैशाली रस्तोगी के दोहों के केंद्र में भक्ति एवं आध्यात्म है।

        युवा कवि एवं समीक्षक दुष्यंत बाबा ने वैशाली रस्तोगी के सृजन को अध्यात्म, दर्शन, और प्रकृति के साथ साधारणीकरण करते हुए मानवीय संवेदनाओं का स्पर्श करने वाला बताया।

        इस अवसर पर साहित्य, समाज, एवं संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले साहित्यकारों, युवाओं एवं नारी शक्ति को सम्मानित किया गया। डॉ. पंकज दर्पण अग्रवाल ने मुरादाबाद सांस्कृतिक समाज संस्था की ओर से वैशाली रस्तोगी का सम्मान करते हुए उन्हें शॉल  और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया।

      कार्यक्रम का संचालन संयुक्त रूप से प्रदीप कुमार दीप एवं त्यागी अशोका कृष्णम् के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के समापन पर वैशाली रस्तोगी ने मधुर कंठ से अपनी रचनाओं का पाठ करते हुए कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों, व साहित्यकारों, का आभार व्यक्त किया। 

       इस अवसर पर अशोक विश्नोई, योगेंद्र वर्मा व्योम, राजीव प्रखर, धवल दीक्षित, अशोक विद्रोही, नकुल त्यागी, वीरेंद्र रस्तोगी, शिखा रस्तोगी, संजय शंखधार आदि मौजूद रहे।


































































































 ::::::::::प्रस्तुति:::::::::

त्यागी अशोका कृष्णम्

संस्थापक अध्यक्ष

परिवर्तन ट्रस्ट (पंजी) 

कुरकावली, संभल

उत्तर प्रदेश, भारत 

गुरुवार, 16 मार्च 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार योगेंद्र वर्मा व्योम की रचना .....गुझिया इठलाकर बल खाकर पिचकारी से बोली चल आ जा हम खेलें होली .....

 क्लिक कीजिए



मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में बरेली निवासी ) सुभाष रावत राहत बरेलवी का गीत.... .नाथ नगरी पधारों घनश्याम जी .....

 क्लिक कीजिए

👇👇👇👇👇👇👇👇



रविवार, 12 मार्च 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिंदी साहित्य सदन के तत्वावधान में 11 मार्च 2023 को डॉ अजय अनुपम मुक्तक-कृति 'अविराम' का लोकार्पण

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ. अजय अनुपम के मुक्तक-संग्रह ‘अविराम' का लोकार्पण साहित्यिक संस्था - हिंदी साहित्य सदन के तत्वावधान में श्रीराम विहार कालोनी मुरादाबाद स्थित विश्रांति भवन में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने की, मुख्य अतिथि के रूप में व्यंग्य कवि डा मक्खन मुरादाबादी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में पर्यावरण मित्र समिति के संयोजक के. के. गुप्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन योगेंद्र वर्मा व्योम द्वारा किया गया। 

       कवयित्री डा. पूनम बंसल द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से आरम्भ हुए कार्यक्रम में लोकार्पित कृति- ‘अविराम' से रचनापाठ करते हुए डॉ अजय अनुपम ने मुक्तक सुनाये- 

"ड्योढ़ी पर सांकल की आहट नहीं रही

घूंघट उतर गया, शरमाहट नहीं रही/

हाय-हलो पर सिमट गई दुनियादारी/

रिश्तों के भीतर गर्माहट नहीं रही।" 

उन्होंने एक और मुक्तक सुनाया -

 "पीड़ा या भार नहीं होती/

वह जय या हार नहीं होती/

दुनिया में सब कुछ होती है/

मांँ रिश्तेदार नहीं होती।"  

"दर्द दूर करना चाहो तो, सच कहना होगा

गति पाने के लिये, धार के संग बहना होगा

इतिहासों में शब्द बदलकर घटित नहीं मिटता

सुख को परिभाषित करने में, दुख सहना होगा।"

    कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध नवगीतकार यश भारती माहेश्वर तिवारी ने कहा- "डा. अनुपम के मुक्तक संभावना से सार्थकता तक की यात्रा के साक्षी हैं, उनकी रचनाधर्मिता लोक मंगल के लिए समर्पित है। संग्रह के मुक्तक कविता की व्याख्या से परे की अभिव्यक्ति है। निश्चित रूप से वह मुक्तकों के रूप में साहित्य की भावी पीढ़ी को एक रास्ता दिखा रहे हैं।" 

          मुख्य अतिथि के रूप में विख्यात व्यंग्य कवि डा मक्खन मुरादाबादी ने कहा कि "अनुपम जी के मुक्तक जीवन की धुकर-पुकर के मुक्तक हैं,जिन्हें उन्होंने पिया भी है और जिया भी है। इनमें उनका वह मन भी खुलकर खुला है जो अन्यत्र कहीं नहीं खुला। इनमें अनुपम जी की वह मुस्कानें भी हैं जो शायद और कहीं नहीं मुस्काईं। इनमें संस्कारों भरी वह शरारतें भी मौजूद हैं जिनका फलक बहुत बड़ा है।" 

   योगेंद्र वर्मा व्योम ने अपने आलेख का वाचन करते हुए कहा कि ‘'अविराम' पुस्तक के सभी मुक्तक पृथक-पृथक विस्तृत व्याख्या की अपेक्षा रखते हैं। यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इक्कीसवीं सदी के वर्तमान कालखंड का यह सौभाग्य है कि उसके पास एक सशक्त, समृद्ध और विलक्षण मुक्तककार के रूप में डॉ. अजय अनुपम हैं जिनकी लेखनी से सृजित मुक्तक भावी पीढ़ी के लिए प्रकाशपुंज के रूप में पर्याप्त मार्गदर्शन करेंगे।" 

      शायर ज़िया जमीर ने कहा-"डॉ अजय अनुपम जी का यह दूसरा मुक्तक संकलन देर तक याद रखा जाएगा क्योंकि इसमें मौजूद जज़्बात और एहसासात सिर्फ़ काग़ज़ रंगने  या काव्य कौशल की संतुष्टि भर नहीं हैं, बल्कि भोगे हुए हैं। तभी शब्दों के पुल से होते हुए मन के भीतर उतरने और ठहरे रहने की ताक़त रखते हैं।"  

        लोकार्पित मुक्तक-संग्रह पर आयोजित चर्चा में कवि राजीव प्रखर ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा- ‘जीवन के विभिन्न रंगों को सुंदरता से समेटे डॉ अजय अनुपम के इस मुक्तक-संग्रह के विषय में यह नि:संकोच कहा जा सकता है कि यह मात्र एक उत्कृष्ट मुक्तक-संग्रह ही नहीं अपितु, रचनाकार की लेखनी से होकर पाठकों व श्रोताओं के सम्मुख साकार हुआ जीवन का सार एवं उसकी मनोहारी काव्यात्मक अभिव्यक्ति भी है।’ 

       शायर डॉ आसिफ हुसैन ने कहा कि "अनुपम जी ने अपने मुक्तक संग्रह अविराम में अपने रचना कौशल से साधारण शब्दों को असाधारण रूप देकर समाज को दर्पण दिखाने की जो कामयाब कोशिश की है, उसके लिए वह बधाई के पात्र हैं" 

     कवयित्री डॉ पूनम बंसल, डॉ अंजना दास, राजन राज, ज्योतिर्विद विजय दिव्य, सुशील शर्मा आदि ने भी डॉ अजय अनुपम को बधाई दी। आभार अभिव्यक्ति डॉ कौशल कुमारी ने प्रस्तुत की।













::::प्रस्तुति::::::::

योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल- 9412805981