मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ. अजय अनुपम के मुक्तक-संग्रह ‘अविराम' का लोकार्पण साहित्यिक संस्था - हिंदी साहित्य सदन के तत्वावधान में श्रीराम विहार कालोनी मुरादाबाद स्थित विश्रांति भवन में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने की, मुख्य अतिथि के रूप में व्यंग्य कवि डा मक्खन मुरादाबादी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में पर्यावरण मित्र समिति के संयोजक के. के. गुप्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन योगेंद्र वर्मा व्योम द्वारा किया गया।
कवयित्री डा. पूनम बंसल द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से आरम्भ हुए कार्यक्रम में लोकार्पित कृति- ‘अविराम' से रचनापाठ करते हुए डॉ अजय अनुपम ने मुक्तक सुनाये-
"ड्योढ़ी पर सांकल की आहट नहीं रही
घूंघट उतर गया, शरमाहट नहीं रही/
हाय-हलो पर सिमट गई दुनियादारी/
रिश्तों के भीतर गर्माहट नहीं रही।"
उन्होंने एक और मुक्तक सुनाया -
"पीड़ा या भार नहीं होती/
वह जय या हार नहीं होती/
दुनिया में सब कुछ होती है/
मांँ रिश्तेदार नहीं होती।"
"दर्द दूर करना चाहो तो, सच कहना होगा
गति पाने के लिये, धार के संग बहना होगा
इतिहासों में शब्द बदलकर घटित नहीं मिटता
सुख को परिभाषित करने में, दुख सहना होगा।"
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध नवगीतकार यश भारती माहेश्वर तिवारी ने कहा- "डा. अनुपम के मुक्तक संभावना से सार्थकता तक की यात्रा के साक्षी हैं, उनकी रचनाधर्मिता लोक मंगल के लिए समर्पित है। संग्रह के मुक्तक कविता की व्याख्या से परे की अभिव्यक्ति है। निश्चित रूप से वह मुक्तकों के रूप में साहित्य की भावी पीढ़ी को एक रास्ता दिखा रहे हैं।"
मुख्य अतिथि के रूप में विख्यात व्यंग्य कवि डा मक्खन मुरादाबादी ने कहा कि "अनुपम जी के मुक्तक जीवन की धुकर-पुकर के मुक्तक हैं,जिन्हें उन्होंने पिया भी है और जिया भी है। इनमें उनका वह मन भी खुलकर खुला है जो अन्यत्र कहीं नहीं खुला। इनमें अनुपम जी की वह मुस्कानें भी हैं जो शायद और कहीं नहीं मुस्काईं। इनमें संस्कारों भरी वह शरारतें भी मौजूद हैं जिनका फलक बहुत बड़ा है।"
योगेंद्र वर्मा व्योम ने अपने आलेख का वाचन करते हुए कहा कि ‘'अविराम' पुस्तक के सभी मुक्तक पृथक-पृथक विस्तृत व्याख्या की अपेक्षा रखते हैं। यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इक्कीसवीं सदी के वर्तमान कालखंड का यह सौभाग्य है कि उसके पास एक सशक्त, समृद्ध और विलक्षण मुक्तककार के रूप में डॉ. अजय अनुपम हैं जिनकी लेखनी से सृजित मुक्तक भावी पीढ़ी के लिए प्रकाशपुंज के रूप में पर्याप्त मार्गदर्शन करेंगे।"
शायर ज़िया जमीर ने कहा-"डॉ अजय अनुपम जी का यह दूसरा मुक्तक संकलन देर तक याद रखा जाएगा क्योंकि इसमें मौजूद जज़्बात और एहसासात सिर्फ़ काग़ज़ रंगने या काव्य कौशल की संतुष्टि भर नहीं हैं, बल्कि भोगे हुए हैं। तभी शब्दों के पुल से होते हुए मन के भीतर उतरने और ठहरे रहने की ताक़त रखते हैं।"
लोकार्पित मुक्तक-संग्रह पर आयोजित चर्चा में कवि राजीव प्रखर ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा- ‘जीवन के विभिन्न रंगों को सुंदरता से समेटे डॉ अजय अनुपम के इस मुक्तक-संग्रह के विषय में यह नि:संकोच कहा जा सकता है कि यह मात्र एक उत्कृष्ट मुक्तक-संग्रह ही नहीं अपितु, रचनाकार की लेखनी से होकर पाठकों व श्रोताओं के सम्मुख साकार हुआ जीवन का सार एवं उसकी मनोहारी काव्यात्मक अभिव्यक्ति भी है।’
शायर डॉ आसिफ हुसैन ने कहा कि "अनुपम जी ने अपने मुक्तक संग्रह अविराम में अपने रचना कौशल से साधारण शब्दों को असाधारण रूप देकर समाज को दर्पण दिखाने की जो कामयाब कोशिश की है, उसके लिए वह बधाई के पात्र हैं"
कवयित्री डॉ पूनम बंसल, डॉ अंजना दास, राजन राज, ज्योतिर्विद विजय दिव्य, सुशील शर्मा आदि ने भी डॉ अजय अनुपम को बधाई दी। आभार अभिव्यक्ति डॉ कौशल कुमारी ने प्रस्तुत की।
::::प्रस्तुति::::::::
योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल- 9412805981
हार्दिक अभिनंदन
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