सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

वाट्स एप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में प्रत्येक रविवार को वाट्स एप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन होता है। रविवार 23 फरवरी 2020 को आयोजित 190 वें आयोजन में सर्व श्री योगेंद्र वर्मा व्योम, रवि प्रकाश, श्री कृष्ण शुक्ल, सन्तोष कुमार शुक्ल, राजीव प्रखर, मुजाहिद चौधरी, डॉ अलका अग्रवाल ,अशोक विद्रोही , मनोज मनु ने अपनी हस्तलिपि में रचनाएं साझा की ----












मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता का गीत --पतझड़ बीता फिजा वसंती मिली हमें सौगात ....


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह का गीत - जय भारत जय भारती ...


मुरादाबाद के साहित्यकार योगेंद वर्मा व्योम का नवगीत -- एक समय था आदर पाते खूब चहकते थे जिनकी खुशबु से हम तुम सब रोज महकते थे ....


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रेमवती उपाध्याय का गीत -आहुति प्राण की दे गए देशहित उनके बलिदान की लाज रख लीजिए ....


मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट का गीत --कमजोर नहीं कमजोर नहीं ताकत तुझमें पुरजोर है तेरे हाथों में आने वाले कल की बागडोर है


मुरादाबाद के साहित्यकार शिशुपाल मधुकर का गीत --तुम कुछ भी कहो हम चुप ही रहें यह कैसे तुमने सोच लिया ....


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता की दो काव्य-कृतियों 'अर्चना की कुंडलियाँ' भाग-1' एवं 'अर्चना की कुंडलियाँ भाग-2' का रविवार 23 फरवरी 2020 को भव्य विमोचन

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता द्वारा रचित कुंडलियाँ संग्रह - 'अर्चना की कुंडलियाँ' (भाग-१ एवं भाग-२) का भव्य विमोचन-समारोह, साहित्यपीडिया के तत्वावधान में, आज स्वतंत्रता सेनानी भवन मुरादाबाद में आयोजित किया गया। डॉ० पंकज 'दर्पण' के संचालन में आयोजित इस समारोह का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। मां सरस्वती की वंदना मयंक शर्मा ने प्रस्तुत की।
 समारोह की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध नवगीतकार यश भारती माहेश्वर तिवारी ने कहा -
"कुंडलियाँ काव्य का वह रूप है जो सदियों से लोगों के हृदय को लुभाता रहा है। वर्तमान समय में कुंडलियाँ छंद में रचना कर्म बहुत कम हो रहा है। ऐसे समय में डॉ अर्चना गुप्ता की कुंडलियों के दो संग्रह आना साहित्यिक रूप से तो महत्वपूर्ण हैं ही, कथ्य एवं विषयों के संदर्भ में भी बहुत  महत्वपूर्ण है।"
 मुख्य अतिथि, दर्जा राज्यमंत्री साध्वी गीता प्रधान का कहना था-"अर्चना जी की कुंडलियाँ समाज में जागृति पैदा करने की क्षमता से ओतप्रोत हैं। उनकी कृतियाँ साहित्य जगत में ऊँचाइयों को प्राप्त करेंगी।"
 विशिष्ट अतिथि डॉ० मक्खन 'मुरादाबादी' का कहना था - "सामाजिक विषमताओं पर सशक्त प्रहार करना दोनों ही कुंडलियाँ संग्रहों की विशेषता है। कृतियों में दी गई कुंडलियाँ, विषमताओं को सामने लाते हुए  उनका हल भी प्रस्तुत करती हैं।
 विशिष्ट अतिथि श्री सुरेंद्र राजेश्वरी ने अपने संबोधन में कहा -"डॉ० अर्चना गुप्ता जी की कुंडलियाँ लोगों के अंतस को गहराई से स्पर्श करने में सक्षम हैं।"
 वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० अजय 'अनुपम' ने अपनी अभिव्यक्ति में कहा - "डॉ० अर्चना गुप्ता की कुंडलियाँ समाज को एक नई दिशा देंगी, ऐसी आशा की जा सकती है। कहीं-कहीं शब्दों की डगमगाहट के बावजूद उनकी कुंडलियों के भाव सजगता के साथ उभर कर आए हैं।"
 वरिष्ठ रचनाकार  अशोक विश्नोई का कहना था -
"डॉ० अर्चना गुप्ता जी की कुंडलियाँ समाज में प्रत्येक वर्ग को साथ लेकर चलते हुए सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करती हैं।"
वरिष्ठ कवयित्री डॉ प्रेमवती उपाध्याय ने कहा कि कुंडलियों के माध्यम से डॉ अर्चना ने सामाजिक विसंगतियों को उजागर करने के साथ साथ देश प्रेम की अलख भी जगाई है ।
 वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार 'नाज़' ने  कहा - "डॉ० अर्चना गुप्ता की कुंडलियों के दोनों संग्रह हिन्दी साहित्य की अनमोल धरोहर हैं। कहीं-कहीं शिथिलता के बावजूद वे आम जनमानस तक पहुँचने की सामर्थ्य रखती हैं।"
 युवा रचनाकार राजीव 'प्रखर' ने अपने आलेख में कहा - "रचनाओं की सार्थकता बनाए रखते हुए एक भाव से दूसरे भाव में पहुँचना एवं उनकी सटीक शाब्दिक अभिव्यक्ति करना, किसी भी रचनाकार के लिये एक चुनौती होती है परन्तु डॉ० अर्चना गुप्ता जी की सुयोग्य एवं प्रवाहमयी लेखनी इस चुनौती को न केवल स्वीकार करती है अपितु, भावपूर्ण तथा सटीक कुंडलियों के माध्यम से सोये हुए समाज को जागृत करने के सफल प्रयास में भी रत दिखाई देती है।"
   इस अवसर पर कवयित्री डॉ० अर्चना गुप्ता ने अपनी कुछ कुण्डलियों का पाठ करते हुए कहा -

"तिनसौ सत्तर को बदल, रचा नया इतिहास
मोदी जी ने कर दिया, काम बड़ा ये खास
काम बड़ा ये खास, शाह से हाथ मिलाकर
दिया हमें कश्मीर, तिरंगे को फहराकर
लगे 'अर्चना' आज, हुआ कुछ जादू मंतर
पुलकित है कश्मीर, हटी अब तिनसौ सत्तर।"

"राजमहल के द्वार पर, खड़े सुदामा दीन
उनकी हालत देखकर, श्याम हुए गमगीन
श्याम हुए गमगीन,प्यार से उन्हें बिठाया
धोरे उनके पाँव, नैन से नीर बहाया
लिए 'अर्चना' फाँक, चार दाने चावल के
दूर किए सब कष्ट, दिए सुख राजमहल के"

"मुखड़ा बिल्कुल चाँद सा, केश लगे ज्यों रैन
गोरी के प्यारे लगें, झुके-झुके से नैन
झुके-झुके से नैन, कनक सी उसकी काया
मगर पड़ गया आज, विरह का काला साया
रही 'अर्चना' सोच, सुनाए किसको दुखड़ा
दिखता बड़ा उदास, फूल सा उसका मुखड़ा"

कार्यक्रम में मधु सक्सेना, योगेंद्र वर्मा व्योम, डॉ महेश दिवाकर, डॉ मनोज रस्तोगी, डॉ० संगीता महेश, संजीव आकांक्षी, ओंकार सिंह ओंकार, डॉ० अतुल गुप्ता,  एमके पूर्वी,  सुशील शर्मा, मदन पाल सिंह, विवेक निर्मल, डॉ० सरिता लाल, डॉ० संगीता महेश, राशिद मुरादाबादी, कशिश वारसी, अहमद मुरादाबादी, उमाकांत गुप्ता, संतोष गुप्ता, डॉ आर०सी० शुक्ल, श्रीकृष्ण शुक्ल, मोनिका मासूम, हेमा तिवारी भट्ट, डॉ० ममता सिंह, मीनाक्षी ठाकुर, रघुराज सिंह निश्चल, फक्कड़ मुरादाबादी, मोनिका अग्रवाल, शायर मुरादाबादी, मनोज मनु, अखिलेश वर्मा, शुभम अग्रवाल, रवि चतुर्वेदी,धवल धीक्षित, अभिनीत मित्तल, सरफराज पीपलसानवी, शिशुपाल मधुकर, इला मित्तल, इशांत शर्मा, आवरण अग्रवाल सहित अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
::::::::प्रस्तुति::::::::
राजीव प्रखर
डिप्टी गंज
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
















रविवार, 23 फ़रवरी 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार कंचनलता पांडेय ने आगरा में आयोजित ताज महोत्सव में सुनाया --ये बारिश की बूंदें जलाने लगी हैं हवाएं जलन को बढ़ाने लगी हैं ....


मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ अजय अनुपम से विकास भटनागर की बातचीत


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह से बातचीत


मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी से बातचीत


मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार नाज से बातचीत


मुरादाबाद के साहित्यकार अम्बरीष गर्ग से उदयभान की बातचीत


मुरादाबाद के प्रख्यात हास्य व्यंग्य कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी से बातचीत


मुरादाबाद की साहित्यकार मोनिका मासूम की गजल -अब वो रहते हैं साथ गैरों के जो यह कहते थे हम तुम्हारे हैं ...


मुरादाबाद के साहित्यकार यशभारती माहेश्वर तिवारी का गीत- झर रहा अगली सुबह का गीत होंठो से सभी के .....


शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश का गीत -सबसे अच्छा काम प्रदर्शन धरना जाम लगाना .....

गीत
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सबसे अच्छा काम प्रदर्शन, धरना ,जाम लगाना
                        (1)
बीच सड़क पर रखो कुर्सियाँ या दरियाँ बिछवाओ
उसके  ऊपर  ढेर  शामियाने  सुंदर  लगवाओ
आ  जाएगा मुफ्त कहीं से चाय ,नाश्ता ,खाना
सबसे अच्छा काम प्रदर्शन, धरना, जाम लगाना
                         (2)
सरकारों को कोसो ,सत्तादल को विलेन बताओ
लाउडस्पीकर पर भाषण देने की कला बढ़ाओ
नेतागिरी  इसी  मौके  पर  होती  है  चमकाना
सबसे अच्छा काम प्रदर्शन, धरना, जाम लगाना
                            (3)
माँगे रखो असंभव ऐसी झुकने कभी न पाओ
बड़े- बड़ों को सुलह कराने अपने दर पर लाओ
इंटरव्यू     लेने     आएँगे    पत्रकार  रोजाना
सबसे अच्छा काम प्रदर्शन, धरना, जाम लगाना
                         (4)
इतनी बड़ी बनो ताकत सब विधि-विधान झुक जाएँ
पुलिस और कानून तुम्हें सब हाथ जोड़ समझाएँ
सबको  लगे  खीर  है टेढ़ी तुमको मनवा पाना
सबसे अच्छा काम प्रदर्शन ,धरना, जाम लगाना
--------------------------------

 *रचयिता : रवि प्रकाश
 बाजार सर्राफा
 रामपुर
 उत्तर प्रदेश,भारत
 मोबाइल फोन नंबर 999761 5451

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' की ओर से 21फरवरी 2020 को हुआ दोहा-गोष्ठी का आयोजन





















  •                                             
साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' की ओर से शुक्रवार 21 फरवरी 2020 को मिलन विहार मुरादाबाद स्थित मिलन धर्मशाला में दोहा-गोष्ठी का  अनूठा आयोजन किया गया, जिसमें रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर दोहों का पाठ किया वहीं मुरादाबाद में दोहों के गौरवशाली इतिहास पर विस्तार से चर्चा भी की गई ।
  अंकित कुमार गुप्ता अंक द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से आरंभ गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ मनोज रस्तोगी ने अपने आलेख में कहा -भारतेंदु युग में मुरादाबाद के लाला शालिग्राम वैश्य, पंडित झब्बीलाल मिश्र, पंडित जुगल किशोर मिश्र बुलबुल, पंडित ज्वाला प्रसाद मिश्र, पंडित बलदेव प्रसाद मिश्र, पंडित कन्हैयालाल मिश्र  समेत अनेक साहित्यकारों का दोहा लेखन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है । उन्होंने अपने आलेख में अनेक दिवंगत साहित्यकारों द्वारा रचित दोहों का उल्लेख भी किया।
 दोहा-लेखन की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए हेमा तिवारी भट्ट ने अपने आलेख में कहा, "महानगर की गौरवशाली दोहा-लेखन परंपरा वर्तमान में काफी सुदृढ़ स्थिति में है। डॉ महेश दिवाकर, डॉ प्रेमवती उपाध्याय, डॉ पूनम बंसल, डॉ कृष्ण कुमार नाज़, योगेन्द्र वर्मा व्योम आदि वरिष्ठ रचनाकारों के अतिरिक्त अंकित गुप्ता 'अंक', राजीव 'प्रखर', मोनिका शर्मा 'मासूम', हेमा तिवारी (स्वयं), डॉ अर्चना गुप्ता, डॉ ममता सिंह समेत अनेक दोहाकार महानगर में उत्कृष्ट दोहा-लेखन के उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
 
इस अवसर पर मोनिका शर्मा 'मासूम'  ने  वर्तमान राजनीति पर प्रहार करते हुए कहा-
फाल्गुन पर ऐसा चढ़ा, रंग सियासी यार।
सत्ता को लेकर हुई, फूलों में तकरार।


हेमा तिवारी भट्ट का कहना था -
निराला औ' दिनकर सी, ढूँढ कलम मत आज।
अँगूठे से लिख रहा, ज्ञानी हुआ समाज।


अंकित गुप्ता 'अंक' ने कहा-
झोंपड़ियों से पूछतीं, इमारतें दिन-रैन।
तुम में हम-सा कुछ नहीं, फिर भी  इतना चैन।

 
अशोक विद्रोही का कहना था-
जो सैनिक कल बाढ़ में, बचा रहे थे जान।
उनको थप्पड़ मारते, वाह रे हिन्दुस्तान।


अभिषेक रुहेला का स्वर था-
दुनिया में बस रहे कुछ, अजब-गज़ब से लोग।
वहीं प्रेम के नाम पर, करते तन का भोग।।


राजीव 'प्रखर' ने कहा-
बढ़ते पंछी को हुआ, जब पंखों का भान।
सम्बंधों के देखिये, बदल गये प्रतिमान।।


श्रीकृष्ण शुक्ल ने कहा-
संबंधों में आजकल, नहीं रही वो प्रीत।
लाभ हानि का आंकलन, पहले करते मीत।।

 
रामपुर से आये ओंकार सिंह 'विवेक' ने आह्वान किया-
रखनी है मज़बूत यदि, रिश्तों की बुनियाद।
समय-समय पर कीजिए, आपस में संवाद।‌।

 
के पी सिंह 'सरल' का कहना था
बेटी जब होती विदा, बोझिल होते नैन।
आँसू की सौगात दे, ले जाती सुख-चैन।।

 
ओंकार सिंह ओंकार ने कहा-
फुलवारी सा खिल उठे, महक उठे घर-द्वार।
बेटी से परिवार को, खुशियाँ मिलें अपार।।


मनोज मनु ने कहा--
स्वर वरदा माँ शारदा, भरे सतत विश्वास।
दिव्य ज्ञान दें तम हरें, करें कंठ में वास।।

  
विशिष्ट अतिथि शिशुपाल मधुकर ने कहा-
दिन पर दिन महंगे हुए, शिक्षा और इलाज।
सत्ता के दावे मगर, सफल हमारा राज।।

 
मुख्य अतिथि अशोक विश्नोई ने अपनी बात कुछ तरह व्यक्त की--
भला नहीं होगा कभी, बात समझ लो तात‌।
अच्छा करना है नहीं, सम्बंधों से घात।।


 गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए माहेश्वर तिवारी ने इस तरह के आयोजनों की निरन्तरता पर बल दिया । उन्होंने अनेक दोहों का भी पाठ किया । उनका कहना था --
कुछ मौसम प्रतिकूल था, कुछ था तेज़ बहाव।
मछुआरों ने खींच ली, तट पर अपनी नाव।।

 
विशिष्ट अतिथि के रूप में रामदत्त द्विवेदी  ने कहा--
आले अब दीवार से, गायब हुए जनाब।
अपने मन की मूर्ति को, मैं रक्खूँ किस ठाँव।।


 गोष्ठी का संचालन करते हुए संयोजक योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' का कहना था --
कैसे संभलें भूख के, बिगड़े सुर-लय-ताल।
नई सदी के सामने, सबसे बड़ा सवाल।।


वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अजय अनुपम  ने कहा --
सीमित कर उपभोग को, संयम शिष्टाचार।
जो अपनाते वे हरें, पर्यावरण विकार।।

संस्था के सह-संयोजक राजीव 'प्रखर' द्वारा आभार अभिव्यक्त किया गया ।

:::::::प्रस्तुति ::::::
राजीव प्रखर
डिप्टी गंज
मुरादाबाद -244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर -8941912642

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई का शाहजहांपुर में होगा सम्मान

मुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई को जनपद शाहजहांपुर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था प्रेरणा द्वारा शिवकुमार शिवांशु स्मृति सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। उन्हें यह सम्मान उनके वर्ष 2018 में प्रकाशित कविता संग्रह स्पंदन के लिए दिया जाएगा।
 संस्था के संस्थापक विजय तन्हा के अनुसार यह समारोह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित श्री रामसेवक शुक्ल के 115 वें जन्मदिवस श्री रामनवमी 2 अप्रैल को पुवायां शाहजहांपुर में आयोजित किया जाएगा । समारोह में श्री विश्नोई के अतिरिक्त डा . ब्रजेश कुमार मिश्र  (मुजफ्फरनगर) को 'गीत मैं गाता रहा' गीत संग्रह के लिए डा. गिरिजानन्दन त्रिगुणायत आकुल स्मृति सम्मान, डा ओम प्रकाश हयारण दर्द  (झांसी) को 'अतीत की परछाइयां' गीत संग्रह के लिए गंगाधर मिश्र गंग स्मृति सम्मान, डा. महेश चंद्र  (दिल्ली) को
 'तेरी पीड़ा है नदी' दोहा संग्रह के लिये कबीर दास स्मृति सम्मान, डा. कमल कान्त तिवारी  (बरेली) को 'दर्पण मैं दिखलाता हूं' गीत एवं कविता संग्रह के लिए अग्निवेश शुक्ल स्मृति सम्मान , आचार्य भगवत दुबे  (जबलपुर) को 'भूखे भील गए' नवगीत संग्रह के लिए सुदामा पाण्डेय धूमिल स्मृति सम्मान , श्री अनुराग मिश्र गैर (अंबेडकरनगर) को 'खेत के पांव' ग़ज़ल संग्रह के लिए दुष्यन्त कुमार स्मृति सम्मान ,श्री ऋषिपाल धीमान  (अहमदाबाद) को 'तस्वीर लिख रहा हूं' गजल संग्रह के लिये दामोदर स्वरूप विद्रोही स्मृति सम्मान, श्री आत्म प्रकाश (अहमदाबाद) को
 'भर्तृहरि के तीन शतक' कुण्डलियाँ के लिए संत तुलसीदास स्मृति सम्मान, श्री बृजेश्वर सिंह त्यागी (मुजफ्फरनगर) को 'बया का घर' के लिए चरनजीत सिंह दारूवाला स्मृति सम्मान, श्री टिल्लन वर्मा  (उझानी) को 'शब्दों की मायानगरी' गजल संग्रह के लिए राजबहादुर विकल स्मृति सम्मान, श्री सुनील कुमार  (बहराइच) को ' खुशियों की तलाश में' कविता संग्रह के लिए रामधारी सिंह दिनकर स्मृति सम्मान , श्री नरेंद्र श्रीवास्तव (मध्य प्रदेश) को
'ये और बात है' कविता संग्रह के लिए हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मृति सम्मान, श्री दिनेश चंद्र प्रसाद दिनेश (कोलकाता) को 'अगर इजाजत हो' कविता संग्रह के लिए गजानन माधव मुक्तिबोध सम्मान स्मृति सम्मान,  डॉ प्रतिमा कुमारी पाराशर  (बिहार) को 'अंतर्व्यथा शूर्पणखा की' खंडकाव्य के लिए विश्वनाथ त्रिपाठी व्यग्र स्मृति सम्मान, डा.  चित्रा जैन (उज्जैन) को  'अनुगूँज' कविता व गीत संग्रह के लिए राम कुमार मिश्र मधुकर स्मृति सम्मान, डॉ पुष्पा लता  (मुजफ्फरनगर) को एक और उर्मिला'  खंडकाव्य के लिए सुमित्रा नन्दन पंत स्मृति सम्मान , डा.  अर्चना प्रकाश  (लखनऊ) को 'भारत देश महान' कविता संग्रह के लिए सुभद्रा कुमारी चौहान स्मृति सम्मान, डा.  मीनाक्षी शर्मा लहर  (साहिबाबाद)को
 'अजनबी शहर'  गजल संग्रह के लिए राजकुमार शर्मा राज स्मृति सम्मान , श्रीमती विनय लक्ष्मी भटनागर  (चंडीगढ़) को 'भावों का पंछी' गीत संग्रह के लिए जयशंकर प्रसाद गुप्त स्मृति सम्मान, श्रीमती रजनी धीमान  (अहमदाबाद) को 'रोशनी है दांव पर'  ग़ज़ल संग्रह के लिए माखनलाल चतुर्वेदी स्मृति सम्मान, श्रीमती अमिता शुक्ला (पुवायाँ) को
'शब्दों की माला' कविता संग्रह के लिए मुंशी प्रेमचंद स्मृति सम्मान, श्रीमती रश्मि लता मिश्रा (छत्तीसगढ़) को 'मेरीअनुभूति' कविता संग्रह के लिये सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला सम्मान, श्रीमती जया मोहन  (प्रयागराज) को 'मेरी सतरंगी कविताएं' कविता संग्रह के लिए कृष्ण कुमार मिश्र अचूक स्मृति सम्मान,  श्रीमती  विनीता शुक्ला  (लखनऊ) को 'एक्वेरियम की मछलियां' कविता संग्रह के लिए मैथिली शरण गुप्त स्मृति सम्मान, श्रीमती विजया गुप्ता (मुजफ्फरनगर) को 'एक सिन्दूरी शाम' गीत संग्रह के लिये बदरी विशाल स्मृति सम्मान,  श्रीमती रेखा लोढ़ा स्मित  (भीलवाड़ा) को 'रोशनी है दांव पर' ग़ज़ल संग्रह के लिए महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान, श्रीमती नीलम रानी गुप्ता (बरेली) को।'रुह से कविता' लंबी कविता के लिए पंकज वरुण स्मृति सम्मान से सम्मानित किया जाएगा ।

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ पूनम बंसल का गीत -- इस बदलते समय की यही रीत है सामने सच खड़ा झूठ की जीत है.... ....


गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई का कहना है - बनाये मूर्ख संसद को कलाकारी उसी में है ...


मुरादाबाद के शायर रिफ़त मुरादाबादी कहते हैं -- पाकीजा दामन को जो करते हैं तार तार ,उनको सजा ए मौत सरेआम दीजिये ....


मुरादाबाद के शायर डॉ मुजाहिद फराज का कहना है - बहुत कठिन है हिमायत में बोलना सच की ...


मुरादाबाद के शायर मंसूर उस्मानी कहते हैं -- मैंने तो जिंदगी को तेरे नाम कर दिया , अब मुझको तो इंतजार तेरे फैसले का है ...


मुरादाबाद के प्रख्यात साहित्यकार यशभारती माहेश्वर तिवारी के नवगीत


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता की गजल


मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट का गीत