अंकित कुमार गुप्ता अंक द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से आरंभ गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ मनोज रस्तोगी ने अपने आलेख में कहा -भारतेंदु युग में मुरादाबाद के लाला शालिग्राम वैश्य, पंडित झब्बीलाल मिश्र, पंडित जुगल किशोर मिश्र बुलबुल, पंडित ज्वाला प्रसाद मिश्र, पंडित बलदेव प्रसाद मिश्र, पंडित कन्हैयालाल मिश्र समेत अनेक साहित्यकारों का दोहा लेखन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है । उन्होंने अपने आलेख में अनेक दिवंगत साहित्यकारों द्वारा रचित दोहों का उल्लेख भी किया।
दोहा-लेखन की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए हेमा तिवारी भट्ट ने अपने आलेख में कहा, "महानगर की गौरवशाली दोहा-लेखन परंपरा वर्तमान में काफी सुदृढ़ स्थिति में है। डॉ महेश दिवाकर, डॉ प्रेमवती उपाध्याय, डॉ पूनम बंसल, डॉ कृष्ण कुमार नाज़, योगेन्द्र वर्मा व्योम आदि वरिष्ठ रचनाकारों के अतिरिक्त अंकित गुप्ता 'अंक', राजीव 'प्रखर', मोनिका शर्मा 'मासूम', हेमा तिवारी (स्वयं), डॉ अर्चना गुप्ता, डॉ ममता सिंह समेत अनेक दोहाकार महानगर में उत्कृष्ट दोहा-लेखन के उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
इस अवसर पर मोनिका शर्मा 'मासूम' ने वर्तमान राजनीति पर प्रहार करते हुए कहा-
फाल्गुन पर ऐसा चढ़ा, रंग सियासी यार।
सत्ता को लेकर हुई, फूलों में तकरार।
फाल्गुन पर ऐसा चढ़ा, रंग सियासी यार।
सत्ता को लेकर हुई, फूलों में तकरार।
हेमा तिवारी भट्ट का कहना था -
निराला औ' दिनकर सी, ढूँढ कलम मत आज।
अँगूठे से लिख रहा, ज्ञानी हुआ समाज।
निराला औ' दिनकर सी, ढूँढ कलम मत आज।
अँगूठे से लिख रहा, ज्ञानी हुआ समाज।
अंकित गुप्ता 'अंक' ने कहा-
झोंपड़ियों से पूछतीं, इमारतें दिन-रैन।
तुम में हम-सा कुछ नहीं, फिर भी इतना चैन।
झोंपड़ियों से पूछतीं, इमारतें दिन-रैन।
तुम में हम-सा कुछ नहीं, फिर भी इतना चैन।
अशोक विद्रोही का कहना था-
जो सैनिक कल बाढ़ में, बचा रहे थे जान।
उनको थप्पड़ मारते, वाह रे हिन्दुस्तान।
जो सैनिक कल बाढ़ में, बचा रहे थे जान।
उनको थप्पड़ मारते, वाह रे हिन्दुस्तान।
अभिषेक रुहेला का स्वर था-
दुनिया में बस रहे कुछ, अजब-गज़ब से लोग।
वहीं प्रेम के नाम पर, करते तन का भोग।।
दुनिया में बस रहे कुछ, अजब-गज़ब से लोग।
वहीं प्रेम के नाम पर, करते तन का भोग।।
राजीव 'प्रखर' ने कहा-
बढ़ते पंछी को हुआ, जब पंखों का भान।
सम्बंधों के देखिये, बदल गये प्रतिमान।।
बढ़ते पंछी को हुआ, जब पंखों का भान।
सम्बंधों के देखिये, बदल गये प्रतिमान।।
श्रीकृष्ण शुक्ल ने कहा-
संबंधों में आजकल, नहीं रही वो प्रीत।
लाभ हानि का आंकलन, पहले करते मीत।।
संबंधों में आजकल, नहीं रही वो प्रीत।
लाभ हानि का आंकलन, पहले करते मीत।।
रामपुर से आये ओंकार सिंह 'विवेक' ने आह्वान किया-
रखनी है मज़बूत यदि, रिश्तों की बुनियाद।
समय-समय पर कीजिए, आपस में संवाद।।
रखनी है मज़बूत यदि, रिश्तों की बुनियाद।
समय-समय पर कीजिए, आपस में संवाद।।
के पी सिंह 'सरल' का कहना था
बेटी जब होती विदा, बोझिल होते नैन।
आँसू की सौगात दे, ले जाती सुख-चैन।।
बेटी जब होती विदा, बोझिल होते नैन।
आँसू की सौगात दे, ले जाती सुख-चैन।।
ओंकार सिंह ओंकार ने कहा-
फुलवारी सा खिल उठे, महक उठे घर-द्वार।
बेटी से परिवार को, खुशियाँ मिलें अपार।।
फुलवारी सा खिल उठे, महक उठे घर-द्वार।
बेटी से परिवार को, खुशियाँ मिलें अपार।।
मनोज मनु ने कहा--
स्वर वरदा माँ शारदा, भरे सतत विश्वास।
दिव्य ज्ञान दें तम हरें, करें कंठ में वास।।
स्वर वरदा माँ शारदा, भरे सतत विश्वास।
दिव्य ज्ञान दें तम हरें, करें कंठ में वास।।
विशिष्ट अतिथि शिशुपाल मधुकर ने कहा-
दिन पर दिन महंगे हुए, शिक्षा और इलाज।
सत्ता के दावे मगर, सफल हमारा राज।।
दिन पर दिन महंगे हुए, शिक्षा और इलाज।
सत्ता के दावे मगर, सफल हमारा राज।।
मुख्य अतिथि अशोक विश्नोई ने अपनी बात कुछ तरह व्यक्त की--
भला नहीं होगा कभी, बात समझ लो तात।
अच्छा करना है नहीं, सम्बंधों से घात।।
भला नहीं होगा कभी, बात समझ लो तात।
अच्छा करना है नहीं, सम्बंधों से घात।।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए माहेश्वर तिवारी ने इस तरह के आयोजनों की निरन्तरता पर बल दिया । उन्होंने अनेक दोहों का भी पाठ किया । उनका कहना था --
कुछ मौसम प्रतिकूल था, कुछ था तेज़ बहाव।
मछुआरों ने खींच ली, तट पर अपनी नाव।।
मछुआरों ने खींच ली, तट पर अपनी नाव।।
विशिष्ट अतिथि के रूप में रामदत्त द्विवेदी ने कहा--
आले अब दीवार से, गायब हुए जनाब।
अपने मन की मूर्ति को, मैं रक्खूँ किस ठाँव।।
आले अब दीवार से, गायब हुए जनाब।
अपने मन की मूर्ति को, मैं रक्खूँ किस ठाँव।।
गोष्ठी का संचालन करते हुए संयोजक योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' का कहना था --
कैसे संभलें भूख के, बिगड़े सुर-लय-ताल।
नई सदी के सामने, सबसे बड़ा सवाल।।
कैसे संभलें भूख के, बिगड़े सुर-लय-ताल।
नई सदी के सामने, सबसे बड़ा सवाल।।
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जवाब देंहटाएंइस ऐतिहासिक, सुंदर एवं सार्थक आयोजन में अपना अमूल्य समय देने के लिए सभी का हार्दिक आभार व अभिनंदन। संस्था द्वारा इस प्रकार की विभिन्न विधाओं पर अलग-अलग गोष्ठियों का आयोजन भविष्य में भी जारी रहेगा।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏
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