शनिवार, 31 अक्टूबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी वर्मा की कविता ---- नर और नारी की जंग


 नर व नारी की जंग हो गई

 कौन है श्रेष्ठ बात दबंग हो गई

 नर ने अपनी बात रखी सारी

 नारी है कमजोर अबला बेचारी

 तूने ना जिंदगी नर के बिना गुजारी

 हर पल लेना पड़ा तुझे नर का ही सहारा

 हरदम है मिला तुझे नर का ही साया 

तेरी कहानी तुझ पर ही खत्म हो चली

 नारी फिर कैसे नर से श्रेष्ठ हो गई

 पूरा काल से अब तक 

ना तू अपने दम पर खड़ी हो सकी

 फिर क्यों कहती है तू नर से भी बड़ी हो चली

 मांग में सिंदूर जो हमारे नाम का सजा

 तभी तेरा अस्तित्व है कायम हुआ

 मां बनने का एहसास भी तुझे नर से ही मिला

 तभी तेरा जीवन है खुशियों से खिला

 अरे समाज में हर पहचान तुझे नर से है मिली

 नाम ही काफी है नर का फिर कैसे तू बड़ी हो चली

नारी ने उत्तर दिया जनाब का 

वेद पुराण गवाह है हर बात का

 नारी के हर दुख हर एहसास का

 जगत जननी मां दुर्गा के स्वरूप का

 आगे जिसके हाथ जोड़ देवता आए थे सभी 

कर दो देवी रक्षा द्वार तेरे देव खड़े सभी

 मां दुर्गा ने काली रूप में  संहार मचाया था 

देवताओं को भी पापी दैत्यों से बचाया था

 सभी देवों की शक्ति का रूप है नारी 

नहीं कोई कमजोर अबला बेचारी

 नर की कुंठित मानसिकता का शिकार है नारी 

नर है सर्वोपरि ऐसी अहंकारी प्रवृत्ति की मारी 

आज नर इस तरह गिर चुका है

 नारी को पल-पल कुचल रहा है

 अपना अस्तित्व बचाने को जैसे

 नारी से हर पल लड़ रहा है

 इसीलिए हर गली मोहल्ले में

 नारी की इज्जत का जैसे जनाजा निकल रहा है

नर क्या रक्षा करेगा नारी की अस्मिता की

 जिसको फिक्र है तो सिर्फ अपने अस्तित्व की 

नर होने पर गौरवान्वित हो जाता है 

फिर क्यों नारी की अस्मिता का तमाशा बनाता है

 अपने अहम की आग में स्वयं ही जल रहा है नर

 मैं हूं बड़ा कह कह कर नारी को डस रहा है नर

 नारी तो शब्द भी नर से बड़ा है

 पर इस पर भी नारी को गुमान कहां है 

कोख में नौ महीने रखती है बालक नारी

 नर को हो जाए जरा तकलीफ तो हिला दे दुनिया सारी

 नारी ना होती तो मां का आंचल पाते ही कैसे

 नारी ना होती तो गिर कर संभल पाते ही कैसे

 नारी ना होती तो जिंदगी को समझ पाते ही कैसे

 नारी ना होती तो नर कहलाते ही कैसे

 फिर कहती हूं है नर

 नारी नहीं कमजोर अबला बेचारी

 वह तो दया प्रेम ममता की मूरत है प्यारी 

दुनिया का बोझ उठाए पृथ्वी है नारी

 दुनिया को सुकून दे जाए वह हवा है प्यारी 

पर नर ना समझ पाएगा इसे 

वह स्वयं अपने अहम की आग में जले

 ऊंचा उठेगा उस दिन नर जरूर

 टूटेगा जिस दिन नर होने का गुरुर

 सीख लेगा जिस दिन नारी का करना सम्मान 

हे नर तू हो जाएगा उस ईश्वर से भी महान।


✍️ मीनाक्षी वर्मा, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश ।

2 टिप्‍पणियां: