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रविवार, 1 मार्च 2020

यादगार आयोजन : मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था ‘अक्षरा’ के तत्वावधान में 8 दिसम्बर 2013 को आयोजित समारोह में मुरादाबाद के वरिष्ठ शायर ज़मीर ‘दरवेश’ को किया गया सम्मानित

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था ‘अक्षरा’ के तत्वावधान में हिमगिरी कॉलोनी, मुरादाबाद स्थित शिव मंदिर के सभागार में 8 दिसम्बर 2013 को सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें मुरादाबाद के वरिष्ठ शायर  ज़मीर ‘दरवेश’ को हिन्दी व उर्दू के क्षेत्र में किए गए समग्र साहित्यिक अवदान के लिए अंगवस्त्र, मानपत्र, प्रतीक चिन्ह, श्रीफल भेंटकर ‘देवराज वर्मा उत्कृष्ट साहित्य सृजन सम्मान-2013’ से सम्मानित किया गया।

   अंकित गुप्ता ‘अंक’ द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से आरंभ कार्यक्रम में संस्था के संयोजक योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’ ने बताया कि कुछ अपरिहार्य कारणोंवश इस वर्ष ‘देवराज वर्मा उत्कृष्ट साहित्य सृजन सम्मान-2013’ हेतु प्रविष्टियां आमंत्रित नहीं की जा सकीं । अत: समग्र साहित्यिक अवदान को दृष्टिगत रखते हुए संस्था द्वारा सम्मान हेतु वरिष्ठ शायर ज़मीर ‘दरवेश’ के नाम का चयन किया गया। सम्मानित व्यक्तित्व श्री दरवेश के कृतित्व के संदर्भ में प्रकाश डालते हुए संस्था के संयोजक ने कहा-‘दरवेश जी का समूचा रचनाकर्म हिन्दी और उर्दू साहित्य जगत में एक अलग पहचान तो रखता ही है, महत्वपूर्ण स्थान भी रखता है। उनकी ग़ज़लों में मिठास का एक कारण उनकी कहन का निराला अंदाज़ भी है।  

   अध्यक्षता कर रहे विख्यात नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने कहा कि ‘ज़मीर दरवेश की ग़ज़लें फ़िक्र और अहसास के नये क्षितिज से उदय होती हैं। उनकी ग़ज़लों के शेर हालात पर तंज भी करते हैं और मशविरे भी देते हैं।’ 

    मुख्य अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार  राजीव सक्सेना ने कहा कि ‘श्री दरवेश अपनी ग़ज़लों के माध्यम से चित्रकारी करते हैं, वह अपने शेरों में मुश्किल से मुश्किल विषय पर भी सहजता से अपनी बात कह जाते हैं। यही खासियत है कि उनकी ग़ज़लें श्रोताओं और पाठकों के दिल-दिमाग़ पर छा जाती हैं।’ 

      विशिष्ट अतिथि डॉ. ओम आचार्य ने कहा कि ‘बेहद खूबसूरत ग़ज़लें कहने वाले ज़मीर साहब शेर कहते समय भाषा की सहजता का विशेष ध्यान रखते हैं, उनके शेरों में बनावटीपन या दिखावा कहीं नहीं मिलता।’ 

     सुप्रसिद्ध शायर डॉ. कृष्णकुमार ‘नाज़’ ने कहा कि ‘बहुत कम लोगों को पता है कि ज़मीर साहब बेहतरीन शायर होने के साथ-साथ बहुत अच्छे बालकवि भी हैं। उन्होंने बच्चों के लिए अनेक कहानियाँ तो लिखी ही हैं बहुत सारी बाल कवितायें भी लिखी हैं जो विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित होकर चर्चित भी हुई हैं।’ 

    कार्यक्रम में सम्मान के पश्चात ज़मीर ‘दरवेश’ के एकल काव्य-पाठ का भी आयोजन किया गया जिसमें उन्होंने अपनी कई ग़ज़लें प्रस्तुत करते हुए कहा-

 ‘हर शख़्स के चेहरे का भरम खोल रहा है

 कम्बख़्त ये आइना है सच बोल रहा है

 पैरों को ज़मीं जिसके नहीं छोड़ती वो भी

 पर अपने उड़ानों के लिए तोल रहा है’

 

‘घर के दरवाज़े हैं छोटे और तेरा क़द बड़ा

 इतना इतराकर न चल चौखट में सर लग जायेगा’


‘आदमी को इतना ख़ुदमुख़्तार होना चाहिए

 खुल के हँसना चाहिए, जीभर के रोना चाहिए’

 

‘मैं घर का कोई मसअला दफ़्तर नहीं लाता

 अन्दर की उदासी कभी बाहर नहीं लाता

 तन पर वही कपड़ों की कमी, धूप की किल्लत

 मेरे लिए कुछ और दिसम्बर नहीं लाता’

 

‘महकने लगती है आरी अगर चन्दन को छू जाये

 दुआ देते हैं हम उस तंज पर जो मन को छू जाये’

 कार्यक्रम में ब्रजभूषण सिंह गौतम ‘अनुराग’, अशोक विश्नोई, जिया ज़मीर, अतुल कुमार जौहरी, मनोज वर्मा ‘मनु’, शिवअवतार ‘सरस’, सतीश ‘सार्थक’, रामसिंह ‘निशंक’, विवेक कुमार ‘निर्मल’, अम्बरीश गर्ग, डा.मीना नक़वी, डा. प्रेमवती उपाध्याय, डा. पूनम बंसल, राजेश भारद्वाज, डॉ. अजय ‘अनुपम’, यू.पी.सक्सेना ‘अस्त’, रामदत्त द्विवेदी, रघुराज सिंह ‘निश्चल’, ओमकार सिंह ‘ओंकार’, समीर तिवारी, अंजना वर्मा, सुभाषिणी वर्मा, श्रेष्ठ वर्मा, प्रतिष्ठा वर्मा, दीक्षा वर्मा, रामेश्वरी देवी, पुष्पेन्द्र कुमार सिंह, देवेन्द्र सिंह एडवोकेट, प्रदीप कुमार, प्रेम कुमार, वेदप्रकाश वर्मा कादम्बिनी वर्मा आदि उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन आनंद कुमार ‘गौरव’ ने किया तथा आभार अभिव्यक्ति श्री मनोज वर्मा ‘मनु’ ने प्रस्तुत की ।


















शनिवार, 1 फ़रवरी 2020

मुरादाबाद की संस्था अक्षरा के तत्वावधान में 31 जनवरी 2017 को 'बसंत-काव्योत्सव' का आयोजन

 मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' के तत्वावधान में प्रख्यात नवगीतकार माहेश्वर तिवारी जी के नवीन नगर मुरादाबाद स्थित आवास पर बसंत पंचमी की पूर्व संध्या 31 जनवरी 2017 को 'बसंत-काव्योत्सव' का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर श्री मंसूर उस्मानी ने की। मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी तथा विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय 'अनुपम' रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रसिद्ध संगीतज्ञा बालसुन्दरी तिवारी एवं उनकी शिष्याओं- कशिश भारद्वाज, संस्कृति राजपूत, सलोनी भारद्वाज आदि द्वारा प्रस्तुत संगीतवद्ध सरस्वती वंदना से हुआ। इसके पश्चात उन्होंने राग- देशकार व जैजैवंती के अतिरिक्त महाकवि निराला की कालजयी रचना 'सखी बसंत आया' की संगीतमय प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में उपस्थित कवियों द्वारा काव्यपाठ किया गया।

 प्रख्यात गीतकार माहेश्वर तिवारी ने कहा  -

यह बसंत कैसा

हँसलोना है

खिसिर-खिसिर हँसता है

खुलकर बतियाता है

रस है, पर भरा हुआ

महुआ का दोना है 

मशहूर शायर मंसूर उस्मानी का कहना था -

मैं हूँ खामोश मगर बोल रहा है मुझमें

ऐसा लगता है कोई और छुपा है मुझमें

मुझसे दिल्ली की नहीं दिल की कहानी सुनिए

शहर तो यह भी कई बार लुटा है मुझमें

चर्चित व्यंग्य कवि डॉक्टर मक्खन मुरादाबादी ने कहा -

राजतंत्र की कुर्सी से

चिपकी हर आत्मा

मुझे पापिन दिखाई देती है

मै राजनीति के पड़ोस से भी

होकर नहीं गुजरता

क्योंकि राजनीति मुझे

अपने ही बच्चों को

खा जाने वाली

साँपिन दिखाई देती है

अशोक विश्नोई ने कहा -

कुछ भी करें, देश में अपनी आज़ादी है

कौन कहता है घोटालों से बरबादी है

जिनका मन गंदा है वो कुछ भी कहते हों

अपनी रंगी हुई देह को ढके हुए खादी है

डॉ. कृष्ण कुमार 'नाज़' ने कहा–

पेड़ जो खोखले पुराने हैं

हम परिन्दों के आशियाने हैं

ज़िन्दगी तेरे पास क्या है बता

मौत के पास तो बहाने हैं

डॉ. अजय 'अनुपम'  ने कहा -

शौक पर रंग आ रहा होगा

दर्द पलकें झुका रहा होगा

अश्क गिरते ग़लत दिखे तुमको

इश्क़ मोती लुटा रहा होगा

डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा -

रिझाने के दिन आ गए

लुभाने के दिन आ गए

आपसे हमें प्यार कितना

जताने के दिन आ गए

योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने कहा  -

राजनीति में देखकर,

छलछंदों की रीत

कुर्सी भी लिखने लगी,

अवसरवादी गीत 

ओमकार सिंह 'ओंकार' ने कहा -

फूल खिलते हैं हसीं

हमको रिझाने के लिए

ये बहारों का है मौसम

गुनगुनाने के लिए

मंगलेश लता यादव ने कहा -

आए हैं ॠतुराज बसंत

हम सब स्वागत करने आए हैं

पत्ता-पत्ता फूल-फूल उन्हें देखकर

झूम-झूम और लहर-लहर हरषाए हैं

हेमा तिवारी भट्ट का कहना था -

आया बसंत सखि आया बसंत

हर्ष अनंत सखि लाया बसंत

डॉ. अर्चना गुप्ता का स्वर था  -

रंग बसंती जब खिलते हैं

नयनों से सपने झरते हैं

कली महकती हवा बहकती

गीत मधुर कविमन रचते हैं

डॉ. पूनम बंसल का गीत था -

मौसम ने भी ली अंगड़ाई

चहुंओर मस्ती है छाई

छमछम करती नटखट गोरी

पनघट से गागर भर लाई

लो बसंत ॠतु आई आई

ज़िया ज़मीर ने कहा  -

नन्हे पंछी अभी उड़ान में थे

और बादल भी आसमान में थे

किसलिये कर लिए अलग चूल्हे

चार ही लोग तो मकान में थे

अंकित गुप्ता 'अंक' ने कहा -

जब उरूज पर एक दिन,

पहुंचा उसका नाम

बाज़ारों में लग गए,

ऊँचे-ऊँचे दाम

डॉ. स्वदेश भटनागर का कहना था  -

मेरे घर के बुज़ुर्ग कहते हैं

देवता नेकियों में रहते हैं

शिशुपाल मधुकर ने कहा -

खुद ही बाड़ खेत को अपने

कब खा जाए पता नहीं

बनकर पहरेदार लुटेरा

कब आ जाए पता नहीं

बालसुन्दरी तिवारी ने कहा -

सुनो शायद

आ गए ॠतुराज

पहने पीले फूलों का ताज

स्वागत में तैयार है

पूरी धरती

समीर तिवारी ने कहा  -

शाल बन भीगे नई छितारा गई

पर हवाओं में उदासी छा गई

कार्यक्रम का संचालन युवा कवि  अंकित गुप्ता 'अंक' ने किया तथा आभार अभिव्यक्ति आशा तिवारी ने प्रस्तुत की।






गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

मुरादाबाद की संस्था 'आरोही कला संस्थान' की ओर से 21 फरवरी 2016 को 'बसंत की एक शाम-शब्द पुष्पों के नाम' का आयोजन

 मुरादाबाद की संस्था 'आरोही कला संस्थान' की ओर से मिगलानी सेलिब्रेशन्स के सभागार में 21 फरवरी 2016 को 'बसंत की एक शाम-शब्द पुष्पों के नाम' का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता दिल्ली से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार  आमोद कुमार ने की, मुख्य अतिथि सुविख्यात नवगीतकार माहेश्वर तिवारी रहे। कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित मनोज जैन मधुर (भोपाल), डा. कृष्ण कुमार नाज़, योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', ज़िया ज़मीर, अम्बरीश गर्ग, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, अहमद मुरादाबादी, डा. मनोज रस्तोगी, अंकित गुप्ता अंक, प्रदीप शर्मा आदि ने काव्य पाठ किया। संचालन संस्था के सचिव डॉ. जगदीप भटनागर ने किया।