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गुरुवार, 15 दिसंबर 2022

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति ने 14 दिसंबर 2022 को आयोजित की काव्य-गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की मासिक काव्य-गोष्ठी बुधवार 14 दिसंबर 2022 को विश्नोई धर्मशाला, लाइनपार पर आयोजित की गई। राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ रचनाकार रामदत्त द्विवेदी ने की। मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार राजीव सक्सेना एवं विशिष्ट अतिथि के रुप में  के. पी. सरल मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री रामसिंह निशंक ने किया। 

      उपस्थित रचनाकारों में प्रशांत मिश्र, राजीव प्रखर, ओंकार सिंह ओंकार, रामसिंह निशंक, रमेश गुप्ता, रघुराज सिंह निश्चल, रामेश्वर वशिष्ठ, योगेन्द्र पाल विश्नोई, कुन्दन लाल एवं डॉ. मनोज रस्तोगी ने अपनी-अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से विभिन्न सामाजिक पहलुओं को उजागर किया। योगेन्द्र पाल विश्नोई ने आभार-अभिव्यक्त किया।


















सोमवार, 14 नवंबर 2022

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति ने 14 नवम्बर 2022 को आयोजित की काव्य-गोष्ठी

 मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन सोमवार 14 नवंबर 2022 को लाइनपार स्थित विश्नोई धर्मशाला में किया गया। 

रामसिंह निशंक द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई ने कहा...

समस्या अब कैसे हो हल। 

सोचकर बीते जाते पल। 

जहाॅं ठहरा डर लगता है, 

बिछी बारूद संभल कर चल। 

 मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि रामदत्त द्विवेदी ने कहा ....

तू न मेरी बात कर, औ' न मेरी बात सुन। 

सोच अपने फायदे की, बस वही तू पाथ चुन।

 विशिष्ट अतिथि के रुप में ग़ज़लकार ओंकार सिंह ओंकार की अभिव्यक्ति इस प्रकार रही - 

समय मिले तो खेलो खेल। 

खेल-खेल में कर लो मेल। 

बात पते की तुम्हें बताऊं, 

छोड़ दुश्मनी कर लो मेल। 

     वरिष्ठ कवयित्री डॉ प्रेमवती उपाध्याय की इन पंक्तियों ने सभी के हृदय को स्पर्श किया- 

नीम बोकर तो निबोली से भरा ऑंगन रहा। 

फल मधुर जिस पर लगें, वह बेल तो बोई नहीं। 

एचपी शर्मा की इन पंक्तियों ने भी सभी को सोचने पर विवश किया - 

भूत के जनक

वर्तमान के अनुज

भाग्य की पीठ सहलाकर

अपने धैर्य का मूल्यांकन कर रहा हूॅं।

रामसिंह निशंक का कहना था - 

चकाचौंध ने इक दूजे का, अपनापन छीन लिया।

 मोबाइल ने बच्चों से उनका, बचपन छीन लिया। 

डॉ मनोज रस्तोगी ने वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों का चित्र उकेरा - 

उड़ रही गंध ताज़े खून की, 

बरसा रहा ज़हर मानसून भी। 

  योगेन्द्र वर्मा व्योम का कहना था-  

रामचरितमानस जैसा हो, 

घर-ऑंगन का अर्थ। 

मात-पिता, पति-पत्नी,

भाई, गुरू-शिष्य संबंध। 

पनपें बनकर अपनेपन के, 

अभिनव ललित निबंध। 

अहम-वहम रिश्ते-नातों

 का करते सदा अनर्थ। 

 संचालन  करते हुए राजीव प्रखर कहा - 

मन की ऑंखें खोल कर, देख सके तो देख। 

कोई है जो रच रहा, कर्मों के अभिलेख।

 पंछी ने की प्रेम से, जब जगने की बात। 

बोले मेंढक कूप के, अभी बहुत है रात। 

इसके अतिरिक्त रामेश्वर वशिष्ठ, योगेंद्र पाल विश्नोई, रमेश गुप्ता, चिंतामणि शर्मा आदि ने भी रचनाएं प्रस्तुत की। अंत में उपस्थित रचनाकारों ने रंगमंच कलाकार, साहित्यकार एवं संगीतकार अमितोष शर्मा के  निधन पर दो मिनट का मौन रखते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। 












बुधवार, 14 सितंबर 2022

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति ने "हिंदी दिवस" पर 14 सितंबर 2022 को आयोजित समारोह में ओज के उभरते कवि "प्रशांत मिश्र" को किया सम्मानित । कवियों ने किया काव्य पाठ ....

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति द्वारा हिन्दी दिवस पर  बुधवार 14 सितंबर 2022 को जंभेश्वर धर्मशाला लाइनपार मुरादाबाद में काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में ओज के उभरते  कवि "प्रशांत मिश्र" को सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें अंग वस्त्र, स्मृति चिह्न और सम्मान पत्र प्रदान किया गया । अध्यक्षता योगेंद्र पाल विश्नोई ने की। 

 मुख्य अतिथि डॉ महेश दिवाकर ने कहा -

आओ मिलकर हम करें हिंदी का उत्थान

 हिंदी भाषा देश की करे विश्व कल्याण

 विशिष्ट अतिथि ओंकार सिंह " ओंकार " ने कहा -

अरुण को सवेरे नमन कर रहा हूं,

मैं उर्जित स्वयं अपना तन कर रहा हूं

 वरिष्ठ कवि रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने कहा-

अब नहीं मिलता,सरल अंत:करण है।

हर कोई ओढ़े हुए एक आवरण है

वरिष्ठ कवि राम दत्त द्विवेदी ने कहा - 

छोड़ो हिंदी कविता में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग

क्योंकि हमें अपनी हिंदी को मुक्त करना है

के.पी सिंह सरल ने कहा 

मात-पिता पूजे नहीं अब पूजे है काग

क्यों झूठे ही गा रहा श्राद्ध पक्ष के राग

वीरेंद्र सिंह बृजवासी ने पढ़ा-

सब की बड़ी बहन है हिंदी, 

सच्ची सरल कहन है हिंदी।

काव्य गोष्ठी का संचालन करते हुए अशोक विद्रोही ने कहा .....

मेरा प्यारा देश महान

आज है सारे जग की शान!

गूंज रहा है गौरव गान

हिन्दी! हिन्दू!! हिन्दुस्तान!!!

राम सिंह निशंक ने कहा -

अपनी प्यारी भाषा हिंदी,गरिमा इसकी है न्यारी

 विश्व पटल पर इसका दिखना किसे नहीं अच्छा लगता

योगेंद्र वर्मा व्योम ने कहा -

जीवन की परिभाषा हिंदी !

जन-जन की अभिलाषा हिंदी

डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा -

महकी आकाश में चांदनी की गंध

अधरों की देहरी लांघ आये छंद

राहुल शर्मा ने कहा ---

खाली थी मेरी जेब परेशान तो मैं था
ये क्या हुआ कि आपके तेवर बदल गए

राजीव प्रखर ने कहा -

मानो मुझको मिल गये, सारे तीरथ-धाम।

जब हिंदी में लिख दिया,मैंने अपना नाम।

मनोज वर्मा 'मनु ने कहा -

हिंदी यदि पाती रहे जन मन में आकार।

निज भाषा उत्थान के सपने हों साकार।।

शुभम कश्यप ने कहा-

समाई बैठी है शब्दों की चासनी हिंदी ।

हमारे देश के लोगों की है मृदुभाषिनी हिंदी।

गोष्ठी में  चिंतामणि, नकुल त्यागी, एल एस  तोमर आदि कवियों ने भी काव्यपाठ किया। योगेंद्रपाल विश्नोई एवं रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने आभार अभिव्यक्त किया। 






































✍️ अशोक विद्रोही 

अध्यक्ष

राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत