सोमवार, 20 अक्टूबर 2025

मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह 'ओंकार' की सजल ......आज तो दीपावली है ....


दीप-शोभा को निरखकर, खिल गई मन की कली है। 

हर तरफ दिखता उजाला, आज तो दीपावली है।।


हो रहे बच्चे मगन सब,  छोड़कर वे बम पटाखे। 

फुलझड़ी को छोड़ने की, होड़ अब उनमें चली है।। 


झालरें अब टँग रही हैं, द्वार, घर, दीवार पर। 

रोशनी से जगमगाती, दिख रही सुंदर गली है।। 


बन रहे पकवान घर-घर, गृहणियाँ मिलकर बनातीं, 

एक पूड़ी बेलती है,  दूसरी ने फिर तली है।। 


बेटियाँ आँगन सजातीं,  खींचकर सुंदर रँगोली। 

दिख रहा सुंदर अधिक है, घर जहाँ छोटी लली है।। 


पूजते 'ओंकार' मिलकर, आज देवी लक्ष्मी को। 

स्वच्छ मन से पूजता जो, लक्ष्मी उसको फली है।।

 

✍️ओंकार सिंह 'ओंकार' 

मुरादाबाद 244001

भारत, उत्तर प्रदेश

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