दीप प्रज्ज्वलित करके यारो,
आओ तम को दूर भगायें।
अन्तर्मन को करें प्रकाशित,
जन-जन में जागृति हम लायें।
मन के कलुषित पाप मिटेंगे,
द्वेष कुहासा छट जायेगा।
जीवन है अनमोल धरा पर,
हर बन्धन फिर कट जायेगा।
मुक्त कण्ठ से गीत खुशी के,
आओ सब मिलजुलकर गायें।
दीप प्रज्ज्वलित करके यारो
आओ तम को दूर भगायें।
सुख,समृद्धि अरु खुशहाली का
सूर्य उदय होगा घर-घर में।
निर्धन की किस्मत चमकेगी
खूब धान्य होगा हर कर में।
मुस्काते बच्चों के चेहरे,
उछल-कूद करते इतरायें।
दीप प्रज्ज्वलित करके यारो,
आओ तम को दूर भगायें।
चौदह बरस बाद फिर रघुवर
लौटेंगे अपने महलों में।
वनवासी कष्टों को सहकर
दुष्ट दलन कर कठिन पलों में।
सभी नगरवासी खुश होकर
स्वागत में हँस दीप जलायें।
दीप प्रज्ज्वलित करके यारो
आओ तम को दूर भगायें।
✍️नवल किशोर शर्मा नवल
बिलारी
जनपद मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत

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