(1)
देश भक्ति के भाव लिए हम बच्चे हिंदुस्तान के
सदा ऋणी हम गीत गा रहे सैनिक वीर जवान के
(2)
वर्दी पहन आज हम आए झंडा लेकर शान से
भरे हुए आभास हमारे भीतर हैं अभिमान के
(3)
टेढ़ी आँख न देखे कोई दुश्मन खुलकर सुन ले
रँगे हुए हैं प्रष्ठ हमारी गाथा से बलिदान के
(4)
अगर समय आया तो हम भी फाँसी को चूमेंगे
जो शहीद हो गए देश पर वंशज उस पहचान के
(5)
हाथों में बंदूकें लेकर लड़ना हमें सुहाता
हुई जरा - सी आहट गोली हम मारेंगे तान के
✍️ रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615451
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गुड़िया के कानों को यूंही,
नाम मुम्बई भाया,
मुम्बई जाना है रो रोकर,
पापा को बतलाया।
लोट-पोट हो गई धरा पर,
सबने ही समझाया,
लेकिन जिदके आगे कोई,
सफल नहीं हो पाया।
दादी अम्मा ने समझाया,
दादू ने बहलाया,
चौकलेट, टॉफी,रसगुल्ला,
लाकर उसे दिखाया।
पापाजी बाजा ले आए,
भैया लड्डू लाया,
चुपजा कहकरके मम्मी ने,
थोड़ा सा धमकाया।
चाचाजी ने तब गुड़िया को,
बाइस्कोप दिखलाया,
जुहू, पारले, चौपाटी सब,
गुड़िया को समझाया।
घुमा -घुमाकर बाइस्कोप में,
मुंबई शहर दिखाया,
शांत हुई गुड़िया रानी ने,
हंसकर के दिखलाया।
✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, मुरादाबाद/उ,प्र,
मोबाइल फोन नम्बर -- 9719275453
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मेरी गुड़िया की शादी में,
नानी निश्चित आना।
जिया रूठ जाएगी वरना ,
पड़े बहुत पछताना।।
गुड्डा मेरा ऑनलाइन आया,
संग बाराती लाया।
लड़की वालों के मन को भी,
इसने बहुत लुभाया।।
मेरी लाडली गुड़िया रानी,
मम्मी को है भाती।
सोच सोच कर गुड़िया रानी,
रोज-बहुत शर्माती।।
इक दूजे की चाहत है तो
क्या कर सके जमाना।
मेरी गुड़िया की शादी में
नानी निश्चित आना।।
पहले मेहंदी की रस्में हैं,
उसके बाद सगाई।
ढोल नगाड़े गाजे बाजे ,
बजने लगी शहनाई।।
मेंहदी, कंगन ,रोली ,झुमके,
पायल टीका साजे।
अश्व सजा कर बड़ी शान से,
दूल्हे राज विराजे।।
गुड़िया की शादी में खाना,
नानी को बनवाना।
जिया रूठ जाएगी वरना,
पड़े बहुत पछताना।।
सर्दी बढ़ती जाती हैं पर,
जोश नहीं कम होगा।
मेरी गुड़िया की शादी का,
दादी को गम होगा।।
दादी मेरी ठसके वाली ,
मेरी प्रिय सहेली।
साथ निभाती मेरा हर दम,
मैं हूं नहीं अकेली।।
किन्तु विदाई पर दादी मां
तुम मत नीर बहाना।
जिया रूठ आएगी वरना,
पड़े बहुत पछताना।।
सजे धजे गुड़िया गुड्डे अब ,
होने लगी सगाई।
डॉक्टर मम्मी ने दोनों की,
सुंदर ड्रेस बनाई।।
झूम झूम कर नाच रहे हैं,
सारे लड़के वाले।
आज दुल्हनिया ले जाएंगे,
ये सब हैं मतवाले।।
अच्छे अच्छों को सिंखला दें,
नागिन डांस दिखाना ।
मेरी गुड़िया की शादी में
नानी निश्चिंत आना ।।
दादा,नाना,पापा आओ,
मंगल बेला आई।
फेरे ,कन्या दान हुआ लो!
होने लगी विदाई ।।
आंखें सबकी गंगा जमुना,
जैसे जल बरसाती।
जिया चली जाएगी एक दिन,
यूं नैना छलकाती।।
भैया मुझसे अब न लड़ना,
करके कोई बहाना।
जिया रूठ जाएगी वरना,
पड़े बहुत पछताना।।
✍️ अशोक विद्रोही, 412 प्रकाश नगर लाइनपार मुरादाबाद मोबाइल फोन 82188 25541
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मैंने घोंसला बनाया,
श्रम तिनकों से सजाया,
बड़े चाव से ।
घंटों बैठा रहा मम्मी,
मैं तो आस में,
कोई गौरैया न आई ,
उसके पास में।
पूरा असली सा बनाया ,
नकली वृक्ष भी बनाया ,
अपने आप से।
कोई गौरैया न आई
उसके पास में।
खूब दाना भी बिखराया,
प्याली पानी की रख आया।
पलकें मग में बिछाई बड़े चाव से।
कोई गौरैया न आई
उसके पास में।
कितना क्रूर है यह मानव,
करे वृक्षों का समापन।
उजड़े पंछी का बसेरा
मन उदास रे।
कोई गौरैया न आई
उसके पास में।
रेखा ने संकल्प उठाया।
उसने पूरा बाग लगाया।
अब तो आने लगी
नन्हीं चिड़िया बाग में।
मेरा मन अब रहा न उदास है।
✍️ रेखा रानी, गजरौला ,जनपद अमरोहा
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खन-खन करती गुल्लक देखो,
लगती कितनी प्यारी।
बूंद-बूंद से भरता सागर,
नुस्खा बहुत पुराना।
आने वाले सुंदर कल का,
इसमें ताना-बाना।
कठिन समय में देती है यह,
सबको हिम्मत भारी।
खन-खन करती गुल्लक देखो,
लगती कितनी प्यारी।
जन्म-दिवस या त्योहारों पर,
जो भी पैसा पाओ।
उसमें से आधा ही खर्चो,
आधा सदा बचाओ।
बच्चो समय-समय पर इसको,
भरना रक्खो जारी।
खन-खन करती गुल्लक देखो,
लगती कितनी प्यारी।।
अपने पूरे दल को जाकर,
इसके लाभ बताना।
फिर तुम सारी सेना मिलकर,
जन-जन को समझाना।
अपनी प्यारी बच्चा पलटन,
कभी न हिम्मत हारी।
खन-खन करती गुल्लक देखो,
लगती कितनी प्यारी।
✍️ राजीव 'प्रखर', मुरादाबाद
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वो अमिया का पेड़, निबुआ की डाली ,
वो मिट्टी की खुशबू ,हवा है कुछ जानी -पहचानी।
वो बचपन की बातें, कुछ खट्टी -मीठी।
वो खेल -खेल में रूठना -मनाना।
वो दोस्तों की टोली जो आज भी न भूली ।
वो दादी माँ की झिड़की ,वहीं खड़ी रह लड़की ।
आवाज उनकी सुनकर सन्न हो जाना ,
सच ही है क्या था वो जमाना ।
खुद की न खबर थी ,न समय का पता था ।
बचपन क्या होता है, बस इतना पता था ।
कोई लौटा दे ,आज फिर मेरा वो बचपन ।
लाखों-हजारों में अच्छा मेरा बचपन ।
जो यादों में बस कर ही पास मेरे रह गया ।
अतीत की स्मृतियों सा साथ मेरे हो गया ।
✍️ शोभना कौशिक, मुरादाबाद
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जो सदा सत्य के पथ पर चलता है ,
देश का वह गौरव मान बनता है ।
तन मन अपना न्योछावर इसपर कर ,
तिरंगे की जय जय कार करता है ।
नही करता कभी परवाह जान की ,
वह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है ।
वह वीर लगाकर टीका मस्तक पर ,
इस धरती माँ की रक्षा करता है ।
✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा
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(1)
बचपन के दिन याद है मुझको ,
याद नहीं अब , कुछ भी तुझको ।
तेरा मेरा वो स्कूल को जाना ,
इंटरवल में टिक्की खाना ,
भूल गया है ,सब कुछ तुझको ।
कैसे तुझको याद दिलाऊ ,
स्कूल में जाकर तुझे दिखाऊ ,
याद आ जाए ,शायद तुझको ।
(2)
भूला नहीं हूं सब याद है मुझको ,
मैं तो यूं ही ,परख रहा तुझको ।
तेरा मेरा वो याराना ,
स्कूल को जाना , पतंग उड़ाना ,
कैसे भूल सकता हूं , मैं तुझको ।
याद है तेरी सारी यादें ,
बचपन के वो कसमे वादे ,
आज मुझे कुछ , बताना है तुझको ।
"तू सबसे प्यारा है मुझको"
✍️ विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
Vivekahuja288@gmail.com
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