शुक्रवार, 1 जनवरी 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष हुल्लड़ मुरादाबादी की रचना ----भूल जा शिकवे, शिकायत, ज़ख्म पिछले साल के साथ मेरे मुस्कुरा ले, साल आया है नया । यह रचना हमें भेजी है उनकी सुपुत्री मनीषा चड्डा ने



यार तू दाढ़ी बढ़ा ले, साल आया है नया 

नाई के पैसे बचा ले, साल आया है नया 


तेल कंघा पाउडर के खर्च कम हो जाएँगे 

आज ही सर को घुटा ले, साल आया है नया 


जो पुरानी चप्पलें हैं उन्हें मंदिरों पर छोड़ कर

कुछ नए जूते उठा ले, साल आया है नया 


मैं अठन्नी दे रहा था तो भिखारी ने कहा

तू यहीं चादर बिछा ले, साल आया है नया


दो महीने बर्फ़ गिरने के बहाने चल गए

आज तो "यार" नहा ले, साल आया है नया


भूल जा शिकवे, शिकायत, ज़ख्म पिछले साल के 

साथ मेरे मुस्कुरा ले, साल आया है नया


दौड़ में यश और धन की जब पसीना आए तो 

'सब्र' साबुन से नहा ले, साल आया है नया


मौत से तेरी मिलेगी, फैमिली को फ़ायदा

आज ही बीमा करा ले, साल आया है नया 

✍️ हुल्लड़ मुरादाबादी

::::प्रस्तुति:::::

मनीषा चड्डा सुपुत्री स्मृतिशेष हुल्लड़ मुरादाबादी

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