गए साल जैसा नहीं हाल होगा,
है उम्मीद अच्छा नया साल होगा।
बढ़ेगी न केवल अमीरों की दौलत,
ग़रीबों के हिस्से भी कुछ माल होगा।
रहेगा सजा आशियाँ रौशनी का,
घरौंदा अँधेरे का पामाल होगा।
जगत में सभी और देशों से ऊँचा,
सखे!हिंद का ही सदा भाल होगा।
न होगा फ़क़त फाइलों-काग़ज़ों में,
हक़ीक़त में भी मुल्क ख़ुशहाल होगा।
✍️ ओंकार सिंह विवेक, रामपुर
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