नये साल का आओ मिलकर, हम अभिनन्दन करते हैं।
रोली, केसर, तिलक लगा कर, इसका वन्दन करते हैं।।
सच्ची, मीठी वाणी बोले, नहीं किसी का बुरा करें।
हर मुश्किल का करें सामना, अन्यायी से नहीं डरें।
वैर भाव सब आज मिटा कर, मन को चन्दन करते हैं।
रोली, केसर , तिलक लगा कर, इसका वन्दन करते हैं।।
ऊँच -नीच सब भेदभाव का, आओ अब हम अन्त करें।
सतरंगी कुछ फूल खिलाकर, आशाओं के रंग भरें।
बिखरा कर के छटा निराली , मन को उपवन करते हैं।
रोली, केसर, तिलक लगा कर, इसका वन्दन करते हैं।।
देखे हमने जो भी सपने, अब उनको साकार करें।
देश प्रेम की अलख जगा कर, हर मन में विश्वास भरें।
करे प्रगति ये देश हमारा, ऐसा चिन्तन करते हैं।
रोली, केसर, तिलक लगा कर, इसका वन्दन करते हैं।
नये साल का मिल कर आओ, हम अभिनन्दन करते हैं।
रोली, केसर, तिलक लगा कर, इसका वन्दन करते हैं।।
✍️ डाॅ ममता सिंह, मुरादाबाद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें