मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हिन्दी साहित्य संगम' की ओर से आज गूगल मीट पर नव वर्ष को समर्पित काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें रचनाकारों ने नव वर्ष पर मंगलकामनाएं करते हुए अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने की। मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. रीता सिंह रहीं। माँ शारदे की वंदना राजीव 'प्रखर' ने प्रस्तुत की तथा कार्यक्रम का संचालन जितेन्द्र 'जौली' द्वारा किया गया।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा ----
मंगलमय हो आनंदमय हो,
नूतन वर्ष का शुभ आगमन
हो परिवार में शांति और
सुखों का हो आगमन।
चर्चित साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम का कहना था---
सब सुखी हों स्वस्थ हों उत्कर्ष पायें
हैं यही नववर्ष की शुभकामनाएँ
अब न भूखा एक भी जन देश में हो
अब न कोई मन कहीं भी क्लेश में हो
अब न जीवन को हरे बेरोजगारी
अब न कोई फैसला आवेश में हो
हम नयी कोशिश चलो कुछ कर दिखायें
हैं यही नववर्ष की शुभकामनाएँ
कवयित्री डॉ. रीता सिंह का स्वर था -----
मैया तेरा नटखट लाला,
किशन द्वारिकाधीश बना
कल तक जिसने मटकी फोडी
आज वही जगदीश बना ।।
युवा साहित्यकार राजीव 'प्रखर' ने मुक्तक प्रस्तुत किया-----
दिलों से दूरियाँ तज कर, नये पथ पर बढ़ें मित्रों।
नया भारत बनाने को, नयी गाथा गढ़ें मित्रों।
खड़े हैं संकटों के जो, बहुत से आज भी दानव,
बनाकर श्रंखला सुदृढ़, चलो उनसे लड़ें मित्रों।
साहित्यकार अरविंद 'आनन्द' ने गजल प्रस्तुत करते हुए कहा-----
हादसों से सज़ा आज अख़बार है ।
झूठ और सच में हर वक़्त तकरार है ।
ज़ख़्म इतने सियासत ने हमको दिये।
अब लगे है फ़रेबी हर सरकार है।
कवयित्री इन्दु रानी ने कहा-----
हाँ रही हूँ मै समर्पित पर मेरा क्या योग है
वस्तु सम मापी गई औ वस्तु सम ही जोग है
युवा कवि जितेन्द्र 'जौली' ने कहा -----
कुछ ऐसा तुम काम करो जो, न कर पाया जमाना
याद रखेगी दुनिया तुमको, था कोई दीवाना।
ओजस्वी कवि प्रशान्त मिश्र का कहना था -----
गम है ज़िन्दगी तो रोते क्यों हो,
नैनों के नीर से जख्मों का दर्द कम नहीं होता,
अपने हम से रूठ जाते हैं...
कार्यक्रम में विकास 'मुरादाबादी' एवं नकुल त्यागी भी उपस्थित रहे।
:::::: प्रस्तुति::::::
राजीव 'प्रखर'
कार्यकारी महासचिव
8941912642
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