रविवार, 21 अप्रैल 2024

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष हुल्लड़ मुरादाबादी की चार कुण्डलियाँ

 


सोना, सोनू सोनिया, तीन हैं इसके नाम

ज्यों ज्यों बढ़ती जायेगी, कृपा करेंगे राम

 कृपा करेंगे राम, राम की माया न्यारी 

 राज करेगी शक्ति बनकर शील दुलारी

 कह 'हुल्लड़' कविराय, के अब काहे का रोना

 दुर्गा का अवतार यही है हीरा, सोना ।


एक मनीषी को हुआ, पुत्री पाकर हर्ष 

नाम मनीषा रख उम्र भई कुछ वर्ष 

उम्र भई कुछ वर्ष कि बोले मां की वानी 

बातचीत में लगती है यह मेरी नानी 

कह 'हुल्लड़' कविराय, बनाती मन को नेक

इतना कह सकता हूं कृष्णा है लाखों में ऐक ।


कृष्णा मेरी बावरी, दिया हमेशा साथ 

इस पारो को मिल गया, एक द्वारकानाथ 

एक द्वारका नाथ, ढूंढता फिरता कंकर

यह कहती है इसे मिले हैं भोले शंकर 

कह 'हुल्लड़' कविराय जगत है माया तृष्णा 

कब समझेगी बात हृदय की मेरी कृष्णा ।


सरला, शशि या वन्दना, शब्द हुए खामोश 

बहुत पुरानी बात है, नहीं था मुझको होश 

नहीं था मुझको होश, नेह की माया न्यारी 

नहीं उतरती जनम जनम तक नेह खुमारी 

कह हुल्लड़ कविराय, बनाया मुझको बिरला 

बहुत सरल हैं मेरी तीनों, दीदी सरला ।


::::::::प्रस्तुति::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8,जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर 9456687822

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