मुरादाबाद की संस्था जैमिनी साहित्य फाउंडेशन की ओर से महाराजा हरिश्चन्द्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय में रविवार 22 जून 2025 को आयोजित समारोह में युवा साहित्यकार डॉ मुहम्मद जावेद की कृति किस्से कहानियां (लोक कथाएं) का लोकार्पण किया गया। इस कृति का संपादन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी ने किया है।
फाउंडेशन के संस्थापक स्मृतिशेष डॉ विश्व अवतार जैमिनी के चित्र पर माल्यार्पण से आरम्भ समारोह की अध्यक्षता करते हुए सोशल एक्टिविस्ट डॉ राकेश रफीक ने कहा लोक कथाओं के माध्यम से बच्चे अपनी संस्कृति और समाज से समरसता कायम कर लेते थे। आज मैकाले शिक्षा पद्धति और संयुक्त परिवारों के विघटन ने बच्चों को अपनी सांस्कृतिक, सामाजिक परंपराओं और विरासत से वंचित कर दिया है।
मुख्य अतिथि बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ विशेष गुप्ता ने कहा लोक कथाओं के माध्यम से जहां हम अपनी संस्कृति, सभ्यता और जीवन मूल्यों से परिचित होते हैं वहीं वह हमें संस्कारित भी करती हैं।
जैमिनी साहित्य फाउंडेशन की संरक्षिका आशा जैमिनी ने कहा लोक कथाओं का उद्देश्य मनोरंजन करना कभी नहीं रहा। इनके माध्यम से अनुभवों का आदान प्रदान, मानवता की शिक्षा, सद्कर्म का महत्व, अनुचित कार्यों से दूर रहने का संदेश दिया जाता रहा है।
फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ काव्य सौरभ जैमिनी ने कहा लोककथाएं हमें मनोरंजन के साथ साथ आत्म सम्मान, साहस और पारस्परिक सद्भावना के साथ जीवन जीने की कला सिखाती हैं।
कृति के संपादक डॉ मनोज रस्तोगी ने संचालन करते हुए कहा लालपुर गंगवारी गांव में जन्में डॉ मुहम्मद जावेद की यह कृति जैमिनी साहित्य फाउंडेशन द्वारा युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच लखनऊ के सहयोग से प्रकाशित हुई है। इस कृति में पचास शिक्षाप्रद लोककथाएं है। स्मृतिशेष विश्व अवतार जैमिनी को समर्पित यह कृति न सिर्फ विस्मृत हो चुकीं लोककथाओं को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करेगी बल्कि उन्हें संरक्षित करने में भी योगदान देगी।
जे. एल. एम, इंटर कालेज कुंदरकी के पूर्व प्रधानाचार्य मुहम्मद इरफान ने कहा बच्चों को संस्कारित करने में लोक कथाओं का सर्वाधिक योगदान है। डॉ मुजाहिद फराज ने कहा इंटरनेट के युग में किस्से-कहानियों से नई पीढ़ी का दूर हो जाना चिंताजनक है। योगेन्द्र वर्मा व्योम ने कहा आज माता पिता की व्यस्तता और मोबाइल फोन ने बच्चों को लोक कथाओं से दूर कर दिया है। फरहत अली खान ने बाल पत्रिकाओं और बाल साहित्य से बच्चों को जोड़ने पर जोर दिया। उर्दू साहित्य शोध केंद्र के संस्थापक डॉ मुहम्मद आसिफ हुसैन ने कहा डॉ जावेद ने सरल भाषा और रोचक शैली में लोक कथाओं को प्रस्तुत किया है।
समारोह में डॉ प्रेमवती उपाध्याय, डॉ राकेश जैसवाल, हरि प्रकाश शर्मा, प्रो रियाजउद्दीन, हाजी अतीक, अजीजुर्रहिम, डॉ राकेश चक्र, डॉ पूनम बंसल, मुजाहिद चौधरी, धवल दीक्षित,मुशाहिद पाशा, दुष्यंत बाबा, असद मौलाई, मनोज मनु, कौशल क्रांतिकारी, डॉ कृष्ण कुमार नाज, डॉ रामानंद बाजपेई, जाबिर हुसैन,राशिद हुसैन, डॉ उजैर, मुहम्मद शावेज़ आदि ने भी विचार व्यक्त किए। आभार डॉ मुहम्मद जावेद ने व्यक्त किया।
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