कल से लॉकडाउन खुल रहा है। शाम की चाय पीते हुए ज्यों ही पुत्र ने बताया, शर्मा जी के हृदय को अनकही सी राहत मिली। शर्मा जी रिटायर्ड प्रोफ़ेसर थे। अधिकांश समय मित्रों से मिलने-जुलने व पढ़ने-लिखने में व्यतीत होता था। इधर जब से कोरोना फैला, घर में बंदी से बनकर रह गये थे। पुत्र का जनरल स्टोर था। राशन व दैनिक आवश्यकता की वस्तुएँ मिलने के कारण दुकान सुबह जल्दी ही लॉकडाउन के बावजूद भी खुल जाती थी, जिससे घर की व्यवस्था में भी बदलाव आ गया था। सुबह बहू जल्दी उठकर पुत्र को चाय-नाश्ता बना कर देती। पोते को भी पुत्र साथ ही मदद के लिये ले जाता। बहू और शर्मा जी घर में रह जाते। घरेलू नौकरानी भी लॉकडाउन में आ नहीं रही थी। बहू पुत्र के साथ ही सुबह उठकर रसोई में जुट जाती, जिससे शर्मा जी की सुबह की चाय लेट हो गयी थी। बहुत बार तो चाय मिलने तक दोपहर के बारह बज जाते। उस पर बहू अनेक बार छोटे-बड़े काम में मदद के लिये कह देती, उसे अकेले परेशान देख स्वयं शर्मा जी भी मदद कर देते। किन्तु दिनचर्या अव्यवस्थित सी हो गयी थी। पुत्र व पोता दोपहर बाद दुकान से लौटते तो बहू समेत सब खा-पीकर सो जाते।
लॉकडाउन से पूर्व शर्मा जी सुबह परिवार के अन्य सदस्यों के जागने से पूर्व ही नहा-धोकर अपनी व बहू की चाय बनाते, बहू की चाय उसे देते, फिर स्वयं चाय बिस्कुट का नाश्ता करके टहलने निकल जाते। दोपहर तक मित्रों से मिलकर लौटते तो खाना खाकर कुछ देर आराम करते फिर शाम की चाय बहू व पोते के साथ पीकर पुत्र के पास कुछ समय दुकान पर बिता आते।
किन्तु लॉकडाउन में समस्त दिनचर्या अव्यवस्थित हो गयी थी। पोते का विद्यालय बंद, पुत्र की दुकान के समय में बदलाव से उनकी व बहू की दिनचर्या के साथ ही, सबकी दिनचर्या में बदलाव होने से सभी असहज से होकर रह गये थे। आज ज्यों ही लॉकडाउन के समाप्त होने की सूचना पुत्र ने परिवार को दी तो समस्त परिवार के चेहरों पर अनकहा सा सुकून दिखाई दिया जिसे महसूस कर शर्मा जी मानो अनचाहे तनाव से मुक्त हो गये।
✍️ कंचन खन्ना, कोठीवाल नगर, मुरादाबाद, उ०प्र०, भारत
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