रविवार, 28 मार्च 2021

मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर) की साहित्यकार चंद्रकला भागीरथी की कविता ---रंगों के नशे में झूमते नर नार


 होली का है पर्व निराला।

सबके मन को हरने वाला।।


मीठे व्यंजनों की भरमार।

सभी के घरों मे आती बहार।।


कई रंगों की होती होली।

लाल, गुलाबी, नीली, पीली।।


कहीं फूलों से खिलती होली।

कहीं गुलाल पानी की धार।।


एक दूसरे के गले मिलकर।

सभी होते है मस्ती में चूर।।


एक दूसरे को देते बधाई।

प्यार करते है भर पूर।।


और मथुरा की महिलायें।

होली खेलती डंडे मार।।


गाने गाते ढोल नगाड़े बजाते।

रंगों के नशे में झूमते नर नार।।


पाप पर पुण्य की होती जीत।

भागीरथी कहती अपने गीत।।


होली का है पर्व निराला।

सबके मन को हरने वाला। 

✍️चन्द्र कला भागीरथी, धामपुर, जिला बिजनौर उतर प्रदेश

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