पिता से बढ़कर दुनिया में ना है कोई ओर
जुबां पर आज दिल की बात आ गई।
पिता ही घर परिवार चलाते
पिता सारी जिम्मेदारी निभाते
पिता ही है घर के सरदार
इनसे बढकर ना कोई ओर
जुबां पर आज दिल की बात आ गई।।
पिता एक वृक्ष की तरह है
जो मजबूती से टिके रहते
बिना स्वार्थ के सबका
पालन पोषण करतें
पिता ही है घर के आधार
इनसे बढकर न कोई ओर
जुबां पर आज दिल की बात आ गई।।
दुख सारे खुद वो सहते
खुशियां सबको देते रहते
पल भर में सबके जज्बात समझते
ऐसे हैं वो प्राणाधार
इनसे बढकर न कोई ओर
जुबां पर आज दिल की बात आ गई।।
पिता से बढ़कर दुनिया में है ना कोई ओर
जुबां पर आज दिल की बात आ गई।।
✍️ चन्द्रकला भागीरथी, धामपुर जिला बिजनौर
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