सोमवार, 18 अक्टूबर 2021

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार संतोष कुमार शुक्ल संत की रचना ----हर चोला मक्कार हो गया, सच कहना दुश्वार हो गया।

 


अजब गजब बातें बतलाकर, 

अजब ढंग से करके हल्ला। 

सब्ज बाग  दिखलाकर कहते, 

सबसे अच्छा अपना गल्ला।। 

नाम अजब है, काम अजब है, 

अजब यहां व्यापार हो गया।। 

हर चोला मक्कार हो गया।। 

सच कहना दुश्वार हो गया।। 


धर्म ध्वजा का कर आरोहण । 

जनता में भर के सम्मोहन  ।।

बस्त्र गेरुए धारण करके । 

सन्त महन्त गिरि बन करके ।।

स्वयं स्वघोषित ब्रह्म कहाकर। 

पुन्य पाप का भय दिखलाकर ।।

प्रवचन लच्छे दार सुनाकर,

मंदिर मठ बाजार हो गया।। 

धर्म बड़ा व्यापार हो गया। 

हर चोला मक्कार हो गया।। 

सच कहना दुश्वार हो गया।। 


कर्जे माफ करेंगे सारे ।

हमको बस कुर्सी दिलवा रे ।।

ऊपर का हिस्सा दे जा रे। 

तू नीरव मोदी बन जा रे।।

बिजली पानी मुफ़्त मिलेगा । 

बिल का पैसा कौन भरेगा ? 

कर द्वारा अर्जित धन पर भी, 

नेता का अधिकार हो गया।। 

जनता का धन पार हो गया।। 

हर चोला मक्कार हो गया।। 

सच कहना दुश्वार हो गया।। 


अजब गजब ढपली के रागों ।

फटे हुए कपड़े के धागो ।।

तभी सवेरा जब तुम जागो। 

आंखें खोलो अरे अभागों ।।

लोकतंत्र में राजा तुम हो, 

सोच समझ कर वटन दबाओ।। 

जिसकी लाठी भैंस उसी की, 

यह तो अत्याचार हो गया।।

पैसा ही सरकार हो गया।। 

हर चोला मक्कार हो गया।। 

सच कहना दुश्वार हो गया।। 


✍️ सन्तोष कुमार शुक्ल सन्त

रामपुर, उत्तर प्रदेश, भारत



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