शनिवार, 17 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार संतोष कुमार शुक्ल संत की रचना ----- मैया के द्वार चलो मैया के द्वार चलो, करने श्रंगार चलो लेके फूल हार चलो


मैया के द्वार चलो मैया के द्वार चलो 

करने श्रंगार चलो लेके फूल हार चलो 

मैया के द्वार चलो ------------

ऊंचे पहाड़ों पे मैया का बासा है, 

दर्शन के मैया की मन को अभिलाषा है 

मैया बुलाती है जय कारा मार चलो 

मैया के द्वार चलो ------------

सिंह की सवारी है वर मुद्रा धारी है 

लाल लाल चूनर में माँ की छवि न्यारी है 

मैया की ऐसी छवि तुम भी निहार चलो 

मैया के द्वार चलो ------------

मैया निराली है अष्ट भुजा बाली है 

कभी मात चंडी है कभी मात काली है 

मैया के रूपों को करते नमस्कार चलो 

मैया के द्वार चलो ------------

मैया ही नैना है मैया ही ज्वाला है 

मैया का वैष्णव रूप निराला है 

माँ की सब पीठों का करने दीदार चलो 

मैया के द्वार चलो ------------

चंड मुंड संहारे मधु कैटभ भी मारे 

माँ उसके दुख तारे आता जो माँ द्वारे 

तुम भी अब कष्टों से होने उद्धार चलो 

मैया के द्वार चलो ------------

✍️ सन्तोष कुमार शुक्ल सन्त,रामपुर

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