मैया के द्वार चलो मैया के द्वार चलो
करने श्रंगार चलो लेके फूल हार चलो
मैया के द्वार चलो ------------
ऊंचे पहाड़ों पे मैया का बासा है,
दर्शन के मैया की मन को अभिलाषा है
मैया बुलाती है जय कारा मार चलो
मैया के द्वार चलो ------------
सिंह की सवारी है वर मुद्रा धारी है
लाल लाल चूनर में माँ की छवि न्यारी है
मैया की ऐसी छवि तुम भी निहार चलो
मैया के द्वार चलो ------------
मैया निराली है अष्ट भुजा बाली है
कभी मात चंडी है कभी मात काली है
मैया के रूपों को करते नमस्कार चलो
मैया के द्वार चलो ------------
मैया ही नैना है मैया ही ज्वाला है
मैया का वैष्णव रूप निराला है
माँ की सब पीठों का करने दीदार चलो
मैया के द्वार चलो ------------
चंड मुंड संहारे मधु कैटभ भी मारे
माँ उसके दुख तारे आता जो माँ द्वारे
तुम भी अब कष्टों से होने उद्धार चलो
मैया के द्वार चलो ------------
✍️ सन्तोष कुमार शुक्ल सन्त,रामपुर
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