अन्दर की बात है, यूं नहीं बतायेंगे।
अपने ही जाल में, शिकारी फस जायेंगे।।
सपने सयाने हुए, अपने बेगाने हुए।
किसी पे भरोसा अब, हम न कर पायेंगे।।
उत्तराधिकारी तो, बेटा ही होता है।
अनर्गल प्रलापों से, हम क्या डर जायेंगे।।
अन्दर की बात है - - - -
चारा ही खाया था, नाम दिया घोटाला।
खाता यदि और कुछ तो, करते क्या तुम लाला ?
जानवर तो कोई नहीं, गुजरा कचहरी से।
आपके ही बाप का, गया क्या तिजोरी से ?
भैंस जाये ट्रक से, अथवा दुपहिये से !!
आपको तकलीफ क्या है, हमको समझायेंगे ?
अन्दर की बात है - - -
डाल डाल तुम सब तो, पात पात हम भी हैं।
खाने की आदत में, बच्चे भी कम नहीं हैं।।
चारा हमनें खाया, बच्चों ने मिट्टी है।
जांच ब्यूरो की भी, गुम सिट्टी पिट्टी है।।
पिताजी का नाम, बच्चे आगे बढ़ायेंगे।
सम्मन पर लालू, सपरिवार लिखे जायेंगे।।
अन्दर की बात है - - -
रुपया घोटाले गया, दो रुपये इन्क्वायरी में।
जेल भेजने को, चार खर्चे सरकारी में।।
आगे कचहरी का, अभी और खर्चा है।
आपकी तिजोरी का, यह भी एक पर्चा है।।
भैंस है हमारी, क्योंकि! लाठी भी हमारी है।
आँख भी तरेरेंगे, हाँक भी ले जायेंगे।।
अन्दर की बात है - - -
✍️ सन्तोष कुमार शुक्ल सन्त
ग्राम-झुनैया, तहसील - मिलक,
जनपद - रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल : 9560697045
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