हिंदी साहित्य संगम लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
हिंदी साहित्य संगम लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 4 सितंबर 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से रविवार तीन सितंबर 2023 को किया गया काव्य-गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य-गोष्ठी रविवार तीन सितंबर 2023 को मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज पर हुई। अशोक विद्रोही द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता रामदत्त द्विवेदी ने की। मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। 

 रचनापाठ करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने समाज को संदेश दिया - 

ऐसे दृश्य दिखाएं जिससे, 

निज संस्कृति का ज्ञान मिले। 

    मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार का कहना था - 

हवा धुऑं से भरी और जल भी है दूषित 

उपाय कीजिए वातावरण बदलने का। 

योगेंद्र पाल विश्नोई की इन पंक्तियों ने भी सभी के हृदय को स्पर्श किया - 

सारा संसार शमशान का घर बना 

जन्म पाया यहीं मौत भी आएगी। 

लाख कोशिश करो किंतु बेकार है 

देह मिट्टी है मिट्टी में मिल जाएगी। 

अशोक विद्रोही ने अपनी पंक्तियों से राष्ट्र प्रेम की अलख जगाई - 

देश भर जाय अब ऐसे आनंद से, 

हों युवा देश के विवेकानंद से। 

है सदी हिन्द की अब समय आ गया। 

देश को आज केसरिया रंग भा गया। 

डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा .... 

 बीत गए कितने ही वर्ष ,

हाथों में लिए डिग्रियां

कितनी ही बार जलीं 

आशाओं की अर्थियां

आवेदन पत्र अब 

लगते तेज कटारों से।

राजीव प्रखर ने अपनी चिर-परिचित शैली में दोहे पढ़ते हुए कहा - 

लाया हूॅं उपहार में, मैं अपने ये बोल। 

मन के धागों से बनी, राखी है अनमोल।। 

जब अंगुल पर बैठ कर, छेड़ी खग ने तान। 

मायूसी की क़ैद से, छूट गयी मुस्कान।।  

जितेन्द्र जौली ने कहा - 

करना है क्या कैसे बताते रहे हैं जो 

भटके तो हमें राह दिखाते रहे है जो। 

ऐसे गुरु के ऋण को चुकाएं भला कैसे, 

दिया बनाके खुद को जलाते रहे हैं जो।  

प्रशांत मिश्र का कहना था - 

यह जग है, एक मुसाफिर खाना 

आज ठहरे हो, कल चले जाओगे। 

कार्यक्रम में कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर, रामकुमार गुप्त आदि भी उपस्थित रहे। रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभार-अभिव्यक्त किया गया ।



















रविवार, 6 अगस्त 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से रविवार 6 अगस्त 2023 को आयोजित काव्य-गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इण्टर कालेज में रविवार 6 अगस्त 2023 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। राम सिंह निःशंक जी द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरम्भ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा .... 

चाहता मैं हूॅं मुझे पास में आने दीजै। 

एक हो जाउॅंगा बस साथ में रहने दीजै।

 मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार ने सुनाया- 

अमन चैन का मैं हूॅं अब भी पुजारी,

 किसी आग का मैं शरारा नहीं हूॅं।

बहुत से तजुर्बे किए जिंदगी में,

मैं बेकार जीवन गुजारा नहीं हूॅं। 

 विशिष्ट अतिथि के रुप में राजीव सक्सेना ने सुनाया- 

सड़कों पर 

चौराहे पर‌ 

जीवन के दौराहे पर

 पल-पल बिकते 

हर जगह दिखते

काठ के लोग 

रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने कहा -

देशवासियों देशभक्ति चाहिए, 

देश पर मर मिटने वाला व्यक्ति चाहिए।

के०पी० सिंह 'सरल' ने सुनाया- 

ज्यों-ज्यों कद युवा बढ़ा, गये बदलते नाम। 

पल्लू से पल्टा हुए, अब हैं पल्टूराम।।

राम सिंह निःशंक ने सुनाया- 

गर्मी बड़ा बबाल है, जी का है जंजाल।

घर में ए.सी. है नहीं, इसका बहुत मलाल।

  योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने दोहे सुनाए-

 सही-ग़लत के पार है, सहनशक्ति का भाव। 

भूख सभी से पूछती, कब हैं आम चुनाव।। 

शहरों के हर स्वप्न पर, कैसे करें यक़ीन। 

उम्मीदों के गाँव हैं, जब तक सुविधाहीन।। 

कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने सुनाया- 

मेरी मीठे बेर से, इतनी ही फ़रियाद।

दे दे मुझको ढूंढ कर, शबरी युग सा स्वाद।।

जलते-जलते आस के, देकर रंग अनेक।

दीपक-माला कर गई, रजनी का अभिषेक।।

युवा कवि जितेन्द्र कुमार जौली ने सुनाया-

 देख मुसीबत घबराते हैं।

 वे पीछे ही रह जाते हैं।। 

जिसने मन में ठान लिया है;

 वे ही कुछ कर दिखलाते हैं। 

प्रशांत मिश्र ने सुनाया-

अपनों का आना सिर्फ हवा का झौंका है, 

चिता पर छोड़ आते समय कितनों ने रोका है।

 पदम बेचैन ने सुनाया- 

कब ऐसा होगा मेरा देश।

 न ही माफिया, न हत्यारे। 

प्यार परस्पर करेंगे सारे 

यही बुजुर्गों का सन्देश। 

 राशिद हुसैन ने सुनाया- 

जिंदा रहने को बहाना चाहिए,

 फिर वही मौसम पुराना चाहिए, 

गम को उसके भूल जाना चाहिए,

 दर्द हो तो मुस्कुराना चाहिए।
















रविवार, 2 जुलाई 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से 2 जुलाई 2023 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में रविवार दो जुलाई 2023 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन मिलन विहार स्थित मिलन धर्मशाला में किया गया। 

      दुष्यंत बाबा द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. महेश दिवाकर ने संदेश दिया - 

दो पल जिनसे भी मिलो, मन में रहे विचार।

 वह दो पल की ज़िंदगी, बन जाए उपहार।।

    मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार ने दोहों से वर्षा का चित्र खींचा - 

सावन में लहरा रहे, ज्वार बाजरा धान। 

परमल, लौकी, तोरई, टिंडे चढ़े मचान।। 

आए बादल झूमकर, पड़ने लगी फुहार। 

मगर टपकाने लग गए, कच्चे बने मकान।।

   विशिष्ट अतिथि के रूप में रामेश्वर वशिष्ठ ने कहा ....

अब नहीं मिलता जग में सरल अन्तःकरण है।

 हर कोई ओढ़े हुए, एक अपना आवरण है।।

वरिष्ठ कवि रामदत्त द्विवेदी का दर्द इन पंक्तियों में झलका - 

नाम देकर के जमाने ने किया हमको अलग। 

वरना हममें और तुममें भेद कुछ होता नहीं। 

एक को हिन्दू बता और दूसरे को मुसलमां, 

कह दिलों में नफरतों के बीज बोता कोई।। 

के. पी. सिंह सरल ने सामाजिक परिस्थितियों का चित्र खींचते हुए कहा - 

माता-पिता से विमुख हो, कभी न करायें प्यार। लिव इन में रहने का चलन, बन्द करें सरकार।।

पद्म सिंह बेचैन की अभिव्यक्ति थी - 

कितने हैं मजबूत इन रिश्तों के धागे। 

पंछी रे तुझ बिन मन नहीं लागे।। 

डॉ. मनोज रस्तोगी ने सावन के संदर्भ में कुछ इस तरह से कहा....

पवन भी नहीं करती शोर। 

वन में नहीं नाचता है मोर। 

नहीं गूंजते हैं घरों में 

अब सावन के गीत। 

खत्म हो गई है अब 

झूलों पर पेंग बढ़ाने की रीत।। 

योगेन्द्र वर्मा व्योम ने अपने दोहों के माध्यम से आह्वान किया - 

मूल्यहीनता से रही, इस सच की मुठभेड़। 

जड़ से जो जुड़़कर जिये, हरे रहे वे पेड़।।

 व्हाट्सएप औ' फेसबुक, ट्वीटर इंस्टाग्राम। 

तन-मन के सुख-चैन को, सबने किया तमाम ।। 

 कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने  दोहों के माध्यम से अपनी भावनाओं को शब्दों में ढालते हुए कहा - 

फाॅंसे बैठा है मुझे, यह माया का जाल। 

चावल मुझसे छीन लो, आकर अब गोपाल। 

मैंने तेरी याद में, ओ मेरे मनमीत। 

पूजाघर में रख दिए, रचकर अनगिन गीत।। 

दुष्यंत बाबा की अभिव्यक्ति थी - 

भाव टमाटर खा रहे, और पैसे नटवर  लाल। 

भूखे खेत किसान सब, न  चावल न   दाल।। 

 रचना पाठ करते हुए जितेन्द्र जौली ने कहा - 

पापी कमा लेते हैं बहुत नाम देखो। 

सरेराह होता है कत्लेआम देखो।।

हमें नहीं पूछता है कोई दुनिया में, 

लोग गुंडों को करते हैं सलाम देखो। 

  रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभार अभिव्यक्त किया गया। 
















शनिवार, 10 जून 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से 10 जून 2023 को आयोजित कार्यक्रम में मुरादाबाद के साहित्यकार रामदत्त द्विवेदी की काव्य कृति 'हम ॲंधेरों को मिटायें' का लोकार्पण

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से महानगर के वरिष्ठ रचनाकार रामदत्त द्विवेदी की काव्य-कृति "हम ॲंधेरों को मिटायें" का लोकार्पण मिलन विहार, मुरादाबाद स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज के सभागार में किया गया। कवयित्री रश्मि प्रभाकर द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता विख्यात व्यंग्य कवि डा मक्खन मुरादाबादी ने की। मुख्य अतिथि वरिष्ठ बाल साहित्यकार राजीव सक्सेना एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में ग़ज़लकार ओंकार सिंह ओंकार और वरिष्ठ कवि योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई मंचासीन हुए। कार्यक्रम का संचालन  राजीव प्रखर ने किया।         

       लोकार्पित कृति के रचनाकार  रामदत्त द्विवेदी का जीवन परिचय राजीव प्रखर ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर साहित्यिक संस्था-अक्षरा की ओर से संस्था के संयोजक योगेन्द्र वर्मा व्योम द्वारा और विजयश्री वेलफेयर सोसाइटी की ओर से विवेक निर्मल द्वारा रामदत्त द्विवेदी  को मानपत्र एवं अंगवस्त्र अर्पित करके सम्मानित किया गया।

      इस अवसर पर कृति के रचनाकार राम दत्त द्विवेदी ने लोकार्पित कृति से रचना पाठ करते हुए कहा - 

हम हैं हिन्दू तुम मुसलमां, दोनों का खूं एक है

एक है अपनी जमीं और आसमाँ भी एक है

जो तुम्हारा है खुदा वह ही हमारा राम है

फिर बताओ क्यों दिलों में नफरतों की टेक है

द्विवेदी जी के साहित्यिक योगदान पर अपने विचार रखते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष प्रख्यात व्यंग्य कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी ने कहा, "श्री द्विवेदी ने कठिन परिस्थितियों में भी संस्था को निरंतर सक्रिय रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुरादाबाद के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि उनका रचनाकर्म इस काव्य कृति के रूप में समाज के सम्मुख आया है।"  

मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ बाल साहित्यकार राजीव सक्सेना ने कहा कि रामदत्त द्विवेदी की 87 वर्ष की आयु में उनकी कविताओं की पहली कृति आना बहुत महत्वपूर्ण है।

 इस अवसर पर महानगर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ महेश दिवाकर, योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', जितेन्द्र कुमार जौली, कृष्ण कुमार नाज़, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, अशोक विश्नोई, विवेक निर्मल, अतुल जौहरी, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, डॉ पूनम बंसल, राम सिंह नि:शंक, नकुल त्यागी, मनोज वर्मा मनु, दुष्यन्त बाबा, रश्मि प्रभाकर, मयंक शर्मा, कृष्णा कुमार गुप्ता, कंचन खन्ना, प्रदीप शर्मा, प्रतीत शर्मा सहित रामदत्त द्विवेदी जी के परिवार के अनेक सदस्यों ने भी उपस्थित रहकर अपने विचार व्यक्त किए और उन्हें बधाई दी। संस्था के महासचिव जितेन्द्र जौली द्वारा आभार-अभिव्यक्त किया गया।