मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इण्टर कालेज में रविवार 6 अगस्त 2023 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। राम सिंह निःशंक जी द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरम्भ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा ....
चाहता मैं हूॅं मुझे पास में आने दीजै।
एक हो जाउॅंगा बस साथ में रहने दीजै।
मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार ने सुनाया-
अमन चैन का मैं हूॅं अब भी पुजारी,
किसी आग का मैं शरारा नहीं हूॅं।
बहुत से तजुर्बे किए जिंदगी में,
मैं बेकार जीवन गुजारा नहीं हूॅं।
विशिष्ट अतिथि के रुप में राजीव सक्सेना ने सुनाया-
सड़कों पर
चौराहे पर
जीवन के दौराहे पर
पल-पल बिकते
हर जगह दिखते
काठ के लोग
रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने कहा -
देशवासियों देशभक्ति चाहिए,
देश पर मर मिटने वाला व्यक्ति चाहिए।
के०पी० सिंह 'सरल' ने सुनाया-
ज्यों-ज्यों कद युवा बढ़ा, गये बदलते नाम।
पल्लू से पल्टा हुए, अब हैं पल्टूराम।।
राम सिंह निःशंक ने सुनाया-
गर्मी बड़ा बबाल है, जी का है जंजाल।
घर में ए.सी. है नहीं, इसका बहुत मलाल।
योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने दोहे सुनाए-
सही-ग़लत के पार है, सहनशक्ति का भाव।
भूख सभी से पूछती, कब हैं आम चुनाव।।
शहरों के हर स्वप्न पर, कैसे करें यक़ीन।
उम्मीदों के गाँव हैं, जब तक सुविधाहीन।।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने सुनाया-
मेरी मीठे बेर से, इतनी ही फ़रियाद।
दे दे मुझको ढूंढ कर, शबरी युग सा स्वाद।।
जलते-जलते आस के, देकर रंग अनेक।
दीपक-माला कर गई, रजनी का अभिषेक।।
युवा कवि जितेन्द्र कुमार जौली ने सुनाया-
देख मुसीबत घबराते हैं।
वे पीछे ही रह जाते हैं।।
जिसने मन में ठान लिया है;
वे ही कुछ कर दिखलाते हैं।
प्रशांत मिश्र ने सुनाया-
अपनों का आना सिर्फ हवा का झौंका है,
चिता पर छोड़ आते समय कितनों ने रोका है।
पदम बेचैन ने सुनाया-
कब ऐसा होगा मेरा देश।
न ही माफिया, न हत्यारे।
प्यार परस्पर करेंगे सारे
यही बुजुर्गों का सन्देश।
राशिद हुसैन ने सुनाया-
जिंदा रहने को बहाना चाहिए,
फिर वही मौसम पुराना चाहिए,
गम को उसके भूल जाना चाहिए,
दर्द हो तो मुस्कुराना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें