रविवार, 15 अगस्त 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम का गीत ----- चलो द्वेष के इस मरुथल में देश प्रेम के सुमन खिलायें.....


 

मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में मुम्बई निवासी ) प्रदीप गुप्ता की रचना ---हो भले आराम कितना देश के बाहर कहीं,लौट फिर प्यार देता है यही अपना वतन .....


 

मुरादाबाद की साहित्यकार कंचन खन्ना की कविता ---जश्न आजादी का अबके, कुछ ऐसे मनाना है ....





 

मुरादाबाद की साहित्यकार (वर्तमान में जकार्ता इंडोनेशिया निवासी) वैशाली रस्तोगी की कविता ----प्यारा तिरंगा


 

शनिवार, 14 अगस्त 2021

मुरादाबाद की संस्था रैड सोसायटी की ओर से स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार 14 अगस्त 2021को कवि सम्मेलन का आयोजन

मुरादाबाद की संस्था रैड सोसायटी की ओर से स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार 14 अगस्त 2021को सेनानी भवन कम्पनी बाग में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

   वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी ने काव्यपाठ करते हुए कहा----

सुन रहे यह साल आदमखोर है ,

हर तरफ चीख दहशत शोर है, 

मत कहो यह वायरस जहरीला बहुत,

आदमी ही आजकल कमजोर है 

चर्चित कवि विवेक निर्मल का स्वर था--

देशभक्ति का भाव मिटाया राजनीति का खेल था,

 जिसने भारत एक बनाया उसका नाम पटेल था

युवा गीतकार मयंक शर्मा ने मुक्तक प्रस्तुत करते हुए कहा---

उन्नत मां का भाल करे जो उनका वंदन होता है

 बलिदानी संतानों का जग में अभिनंदन होता है

 माटी में मिल कर खुशबू जो नीलगगन तक छोड़ गए

 ऐसे वीरों की धरती का कण कण चंदन होता है

आवरण अग्रवाल " श्रेष्ठ " ने कहा---

 हम वो हैं जो अपने रकीबों से भी प्यार करते हैं। 

 अपने वतन के लिए अपनी जान निसार करते हैं । 

यूं तो महबूब की मोहब्बत में सब कुछ फना कर सकते हैं । 

पर जब बात वतन की हो तो उसको भी मना कर सकते हैं। 

आर्यन प्रताप ने कहा -----

हमें गर्व है हम उस भारत मां के ऐसे बेटे हैं,

जान गंवा कर भी भारत का मान नहीं घटने देंगें,

बन जाएंगे भगत सिंह और बिस्मिल हम बन जाएंगे,

अपने वीर सपूतों का सम्मान नहीं घटने देंगे।

शिवम वर्मा का कहना था ----

न हो नफरत कोई नहीं दंगा रहे,

 बस दिलों में अमन की ही गंगा बहे,

 बात वीरों की हो या अमीरों की हो,

 सबसे ऊपर ये मेरा तिरंगा रहे,

राशिद मुरादाबादी ने कहा ----

ना पूछो जमाने वालों की क्या हमारी कहानी है,

हमारी तो पहचान यह है कि हम हिंदुस्तानी हैं

ईशांत शर्मा "ईशु" का कहना था----

अब तिरंगे का अपमान सहा नहीं जाता, 

देख कर दुराचार चुपचाप रहा नहीं जाता, 

लाल रंग शौर्य का तुम को दफन करेगा, 

श्वेत रंग शांति का तुम्हारा कफन बनेगा,

       मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए मण्डलायुक्त  आन्जनेय कुमार सिंह ने मुरादाबाद की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विरासत, इतिहास और परंपरा के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि  आज जरूरत है कि हम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संपूर्ण जीवन परिचय से युवा पीढ़ी को अवगत कराएं और उनके भीतर पुस्तकें पढ़ने की रुचि जाग्रत करें।उन्होंने कहा कि टाउन हाल पर एक वृहद पुस्तकालय की योजना को प्रशासन द्वारा साकार रूप दिया जा रहा है।इसमें नेत्रहीन भी पढ़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि देश के कई क्रान्तिकारी अलग-अलग विचारधारा के थे, लेकिन उन सभी का एक ही लक्ष्य था आजादी। आजादी के लिए हमने अपने पूर्वजों को खोया । उन्होंने कहा कि जो लोग गुमनामी का शिकार हुए, उनका भी इतिहास संकलित किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि अशफाक उल्ला खां पक्के और सच्चे मुसलमान,  सरदार भगत सिंह पक्के सिख और चन्द्रशेखर आज़ाद पक्के ब्राहमण (हिन्दू) थे, लेकिन इन सभी का एकमात्र उद्देश्य आजादी ही था।

उप श्रमायुक्त पीके सिंह, मेजर राजीव ढल , डॉ प्रदीप शर्मा, सरदार गुरविंदर सिंह, देवेन्द्र सिंह सिसौदिया,विश्वबन्धु विश्नोई ने विचार व्यक्त किये।इस अवसर पर सेनानी उत्तराधिकारी संगठन द्वारा सेनानियों की परिचय पुस्तिका "नमन" ,एहसास सेवा समिति की ओर से शमादान, परशुराम सेवा समिति ने "व्रत-उत्सव पत्रिका" भेंट कर मंडलायुक्त का अभिनंदन किया गया।

   कार्यक्रम में सुशील कुमार शर्मा, परवेज नाजिम, अनिमेष शर्मा, संजय स्वामी, आशीष त्रिवेदी, आर.एन.कत्याल,  जुनैदउद्दीन, जितेन्द्र कुमार गुप्ता, बल्देव राज अरोड़ा, मोइनुद्दीन, कशिश चौहान, कपिल परिवर्तन द चेंज,  गोपाल हरि, कुशलपाल सिंह, पवन वशिष्ठ, अभिनव दीक्षित, दक्षिता पाठक,  यश दिवाकर, मोहित शर्मा आदि उपस्थित रहे। संचालन समिति के महामंत्री एवं अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के महामंत्री धवल दीक्षित ने किया तथा अध्यक्षता संगठन के अध्यक्ष इशरत उल्ला खाँ ने की।












:::::::::: प्रस्तुति:::::::

धवल दीक्षित, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद की संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या 14 अगस्त 2021को काव्य-गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति द्वारा स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या 14 अगस्त 2021 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन विश्नोई धर्मशाला, लाइनपार पर किया गया।

 राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने कहा ---

 झूठा ही आश्वासन देते,

 मन का खालीपन भर जाता। 

 किसने सच की सूरत देखी, 

 किसे न झूठा रंग सुहाता। 

 मुख्य अतिथि रघुराज सिंह निश्चल ने देशवासियों में एकता की अलख कुछ इस प्रकार जगाई  - 

 जिनके कारण स्वतंत्र हुए, 

 उनकी यश गाथाएँ गाओ। 

 प्रिय तिरंगा झंडा अपना,

 हर गृह भारत के लहराओ।

  विशिष्ट अतिथि के रूप में ओंकार सिंह ओंकार ने अपनी ग़ज़ल से देशभक्ति की अलख जगाते हुए कहा - 

  ज़द में उदासियों की वतन देखते चलें। 

  आओ! फिर एक बार चमन देखते चलें। 

संचालन कर रहे अशोक विद्रोही ने देशवासियों से का आह्वान करते हुए कहा  - 

हे भारत माता तुझे नमन, 

तन-मन-धन अर्पित कर देंगे। 

एक रोज परम वैभव का पद, 

माँ तुझे समर्पित कर देंगे। 

वरिष्ठ कवयित्री डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने देशभक्ति की अलख जगाते हुए कहा - 

बिना ज्ञान के मोहपाश ने जकड़ी गीता है।

भरा हुआ घर बार मगर अंतर्घट रीता है।

 कृपाल सिंह धीमान ने तिरंगे को नमन किया --- लहराता स्वच्छंद तिरंगा, 

 लाल किले पर शान से

 हमें प्यार है जान से,

 बढ़कर अपने हिन्दुस्तान से।

विवेक निर्मल ने सरदार पटेल का स्मरण करते हुए अपनी भावाभिव्यक्ति की - 

राष्ट्रभक्ति का भाव मिटाया राजनीति का खेल था। जिसने भारत एक बनाया, उसका नाम पटेल था।

रचनापाठ करते हुए युवा कवि राजीव प्रखर ने देश के शूरवीरों को इस प्रकार नमन किया  - 

निराशा ओढ़ कर कोई, 

न वीरों को लजा देना। 

नगाड़ा युद्ध का तुम भी,

 बढ़ा कर पग बजा देना। 

 तुम्हें सौगंध माटी की, 

 अगर मैं काम आ जाऊँ, 

 बिना रोये प्रिये मुझको,

  तिरंगों से सजा देना। 

मनोज मनु ने देशवासियों को संदेश देते हुए कहा  - 

कैसे आज़ादी मिली, कैसे हिन्दुस्तान।

कैसे वीरों ने दिए, इस पर तन-मन-प्राण।।

ओजस्वी कवि प्रशांत मिश्र ने कहा - 

जब आधी रात 

बिजली का तार 

काट दिया जाता है, 

अखबारों को छपने से ही

 रोक दिया जाता है। 

इस अवसर पर रमेश गुप्ता ने भागवत गीता के श्लोकों की व्याख्या की। रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने आभार अभिव्यक्त किया ।














मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष ईश्वर चन्द्र गुप्त ईश की कविता ---अज्ञात शहीद। उनकी यह कविता संस्कार भारती मुरादाबाद द्वारा प्रकाशित संस्कार दीपिका मुरादाबाद नगर विशेषांक 1992 में प्रकाशित हुई थी।


शौर्य से रणशंख ध्वनि में,

गूंज गर्जन की जगा दो।

रक्त से लोहित मचलती,

बेड़ियों की झनन गा दो।।

मर मिटे कितने उपासक,

प्राण करतल में समेटे।

गल गए कितने तिमिर में,

कफन-पट सिर पर लपेटे ।।

अपरिचित अज्ञात से वे,

काल-सागर में समाए,

कौन जाने कौन थे वे ?

गीत उनके भी सुना दो।।

शौर्य से रणशंख ध्वनि में,

गूँज गर्जन की जगा दो। शौर्य (1)


बाँधकर लटका विटप से,

डाल फंदा सिर झुकाए।

तान दी संगीन, कुछ को,

'काल-पानी' में डुबाए।।

क्रूर, निर्लज यातना दे,

उर विदारक कुफ्र ढाए।

हण्टरों के घात निर्मम,

वे करुण अर्चन सुना दो।। शौर्य... (2)


प्यार में नृप ताज गढ़ते,

मकबरा मृत पर बनाते।

'शांतिवन', 'रजघाट' सजते,

धूम से बरसी मनाते ।।

वे शलभ से जल मिटे पर,

उर्स-पर्व न कुछ मनाएँ।

दर्द भर दो गीत गा दो।। शौर्य.....(3)


तोप-गोली से उड़ाया

ग्राम तक उनके जलाए।

घेर 'जलियाँ में हजारों,

भूनकर भू पर सुलाए।।

टांग उलटा द्रुम वनों से,

आग में जिन्दा जलाए।

झाँक लो इतिहास अपना

आज दो आँसू बहा दो। शौर्य .....(4)


घोष था टुकड़े न होंगे,

रक्त रंजन भी न होगा।

बंद मंदिरालय करेंगे,

'राम-राज' स्वराजहोगा।।

पूर्व-पश्चिम में घटा क्या,

शांति के चिथड़े उड़ाए।

दर्द भर जयकार करके,

आज उनके प्रण सुना दो।। शौर्य.... (5)


एकता खण्डित हुई फिर,

रक्त की नदियाँ बहाई ।

भेद निज 'कश्मीर' स्वर्णिम,

फूट ने 'हिंसा' जगाई।

'जिन्न' दीमक से चिपटते,

प्यार के दीपक बुझाए।

चाँद भी लपटें उगलता,

क्रूर परिवर्तन सुना दो ।।

शौर्य से रण शंख ध्वनि में,

गूँज गर्जन की जगा दो।(6)


✍️ ईश्वर चन्द्र गुप्त ईश





::::::::प्रस्तुति:::::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8,जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर  9456687822