शनिवार, 14 अगस्त 2021

मुरादाबाद की संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या 14 अगस्त 2021को काव्य-गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति द्वारा स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या 14 अगस्त 2021 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन विश्नोई धर्मशाला, लाइनपार पर किया गया।

 राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने कहा ---

 झूठा ही आश्वासन देते,

 मन का खालीपन भर जाता। 

 किसने सच की सूरत देखी, 

 किसे न झूठा रंग सुहाता। 

 मुख्य अतिथि रघुराज सिंह निश्चल ने देशवासियों में एकता की अलख कुछ इस प्रकार जगाई  - 

 जिनके कारण स्वतंत्र हुए, 

 उनकी यश गाथाएँ गाओ। 

 प्रिय तिरंगा झंडा अपना,

 हर गृह भारत के लहराओ।

  विशिष्ट अतिथि के रूप में ओंकार सिंह ओंकार ने अपनी ग़ज़ल से देशभक्ति की अलख जगाते हुए कहा - 

  ज़द में उदासियों की वतन देखते चलें। 

  आओ! फिर एक बार चमन देखते चलें। 

संचालन कर रहे अशोक विद्रोही ने देशवासियों से का आह्वान करते हुए कहा  - 

हे भारत माता तुझे नमन, 

तन-मन-धन अर्पित कर देंगे। 

एक रोज परम वैभव का पद, 

माँ तुझे समर्पित कर देंगे। 

वरिष्ठ कवयित्री डॉ. प्रेमवती उपाध्याय ने देशभक्ति की अलख जगाते हुए कहा - 

बिना ज्ञान के मोहपाश ने जकड़ी गीता है।

भरा हुआ घर बार मगर अंतर्घट रीता है।

 कृपाल सिंह धीमान ने तिरंगे को नमन किया --- लहराता स्वच्छंद तिरंगा, 

 लाल किले पर शान से

 हमें प्यार है जान से,

 बढ़कर अपने हिन्दुस्तान से।

विवेक निर्मल ने सरदार पटेल का स्मरण करते हुए अपनी भावाभिव्यक्ति की - 

राष्ट्रभक्ति का भाव मिटाया राजनीति का खेल था। जिसने भारत एक बनाया, उसका नाम पटेल था।

रचनापाठ करते हुए युवा कवि राजीव प्रखर ने देश के शूरवीरों को इस प्रकार नमन किया  - 

निराशा ओढ़ कर कोई, 

न वीरों को लजा देना। 

नगाड़ा युद्ध का तुम भी,

 बढ़ा कर पग बजा देना। 

 तुम्हें सौगंध माटी की, 

 अगर मैं काम आ जाऊँ, 

 बिना रोये प्रिये मुझको,

  तिरंगों से सजा देना। 

मनोज मनु ने देशवासियों को संदेश देते हुए कहा  - 

कैसे आज़ादी मिली, कैसे हिन्दुस्तान।

कैसे वीरों ने दिए, इस पर तन-मन-प्राण।।

ओजस्वी कवि प्रशांत मिश्र ने कहा - 

जब आधी रात 

बिजली का तार 

काट दिया जाता है, 

अखबारों को छपने से ही

 रोक दिया जाता है। 

इस अवसर पर रमेश गुप्ता ने भागवत गीता के श्लोकों की व्याख्या की। रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने आभार अभिव्यक्त किया ।














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