शौर्य से रणशंख ध्वनि में,
गूंज गर्जन की जगा दो।
रक्त से लोहित मचलती,
बेड़ियों की झनन गा दो।।
मर मिटे कितने उपासक,
प्राण करतल में समेटे।
गल गए कितने तिमिर में,
कफन-पट सिर पर लपेटे ।।
अपरिचित अज्ञात से वे,
काल-सागर में समाए,
कौन जाने कौन थे वे ?
गीत उनके भी सुना दो।।
शौर्य से रणशंख ध्वनि में,
गूँज गर्जन की जगा दो। शौर्य (1)
बाँधकर लटका विटप से,
डाल फंदा सिर झुकाए।
तान दी संगीन, कुछ को,
'काल-पानी' में डुबाए।।
क्रूर, निर्लज यातना दे,
उर विदारक कुफ्र ढाए।
हण्टरों के घात निर्मम,
वे करुण अर्चन सुना दो।। शौर्य... (2)
प्यार में नृप ताज गढ़ते,
मकबरा मृत पर बनाते।
'शांतिवन', 'रजघाट' सजते,
धूम से बरसी मनाते ।।
वे शलभ से जल मिटे पर,
उर्स-पर्व न कुछ मनाएँ।
दर्द भर दो गीत गा दो।। शौर्य.....(3)
तोप-गोली से उड़ाया
ग्राम तक उनके जलाए।
घेर 'जलियाँ में हजारों,
भूनकर भू पर सुलाए।।
टांग उलटा द्रुम वनों से,
आग में जिन्दा जलाए।
झाँक लो इतिहास अपना
आज दो आँसू बहा दो। शौर्य .....(4)
घोष था टुकड़े न होंगे,
रक्त रंजन भी न होगा।
बंद मंदिरालय करेंगे,
'राम-राज' स्वराजहोगा।।
पूर्व-पश्चिम में घटा क्या,
शांति के चिथड़े उड़ाए।
दर्द भर जयकार करके,
आज उनके प्रण सुना दो।। शौर्य.... (5)
एकता खण्डित हुई फिर,
रक्त की नदियाँ बहाई ।
भेद निज 'कश्मीर' स्वर्णिम,
फूट ने 'हिंसा' जगाई।
'जिन्न' दीमक से चिपटते,
प्यार के दीपक बुझाए।
चाँद भी लपटें उगलता,
क्रूर परिवर्तन सुना दो ।।
शौर्य से रण शंख ध्वनि में,
गूँज गर्जन की जगा दो।(6)
✍️ ईश्वर चन्द्र गुप्त ईश
::::::::प्रस्तुति:::::::::
डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9456687822
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