धर्म ध्वजा ले हाथ में, कंठ करें उद्घोष।
पूर्ण बलों के साथ है,राम नाम का जोश।।
आंखें बैठीं आस में,लाओ अक्षत धूप।
वंदन कर श्री राम का,पाएं रूप अनूप।।
वायु अग्नि के साथ में,नीर धरा आकाश।
राम आगमन पर मुदित,करा रहे आभास।।
शबरी रो रो कर कहे,बांधो आकर धीर।
पांच शतक से बाट में,बेर चखो रघुवीर।।
अवधपुरी के साथ में, सूने सरयू घाट।
आएंगे प्रभु राम जी,जोह रहे हैं वाट ।।
पंचतत्व ही अवध हैं,प्राण रूप श्री राम।
प्राण प्रतिष्ठा हो बना,अवध स्वर्ग सा धाम।।
✍️त्यागी अशोका कृष्णम्
कुरकावली, संभल
उत्तर प्रदेश, भारत
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