शुक्रवार, 14 मार्च 2025

मुरादाबाद मंडल के कुरकावली (जनपद संभल) निवासी साहित्यकार त्यागी अशोका कृष्णम् की रचना ....होली के हुलास में


होली के हुलास में

अंग-अंग खिल उठे, रंग रंग मिल उठे, 

पीने लगे जब सब,एक ही गिलास में।

ऐसी जोड़ तोड़ वाली, व्याकरण पढ़ी गयी,

कुछ भी न फर्क रहा, संधि व समास में।

रस छंद सुर ताल, करने लगे कमाल, 

गीत व गजल बैठ, गये आस-पास में।

कौन चाची  कौन ताई, कौन दादी भाभी कौन,

कुछ भी न होश रहा, होली के हुलास में।।

✍️त्यागी अशोका कृष्णम्

कुरकावली, संभल 

उत्तर प्रदेश, भारत

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