रविवार, 14 सितंबर 2025

मुरादाबाद मंडल के कुरकावली (जनपद संभल) के साहित्यकार त्यागी अशोका कृष्णम् की घनाक्षरी.



आंचल में भरे हुए,ढेर सारे हीरे मोती।

भाव प्रेम भरा हुआ, विजय उद्घोष है।

बिहारी का कृष्ण प्रेम,जायसी की नागमती।

मीरा की दीवानगी है,भूषण का रोष है।

भाल ऊंचा किए हुए,सीना तान खड़ी हुई।

संस्कृत की प्रिय पुत्री,नहीं पितृ दोष है।

दुनिया में भाषा बोली,बोली जाती चाहे जो भी।

भाषा हिंदी प्रिय बड़ी, बड़ा शब्द कोष है।


✍️त्यागी अशोका कृष्णम्

कुरकावली,संभल

उत्तर प्रदेश, भारत

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