झूठ-मूठ ही क्यों खाते हो,
हिन्दी की सौगंध?
अंग्रेजी संग खुश रहने का,
किया स्वयं अनुबंध !
अपनी माँ को माँ कहने से,
डर क्यों लगता है?
हिन्दी की गोदी में बैठो,
मिट जाएं सब फंद !
हिन्दी भाषा सबकी भाषा,
सकल विश्व में व्याप्त,
सब भाषाओं की जननी है,
तनिक न इसमें द्वन्द्व !
लिखने-पढ़नेमें रुचिकर है,
अपनी प्यारी हिन्दी,
बसी हुई सबके मन में ज्यों,
फूलों में मकरंद !
माँ का पहलाशब्द सभीको,
हिन्दी ने सौंपा,
केवल हिन्दी में बसता है,
ममता का आनंद !
सबको साथमें लेकर चलती,
रखे न मन में मैल,
हिन्दी के बिन पूर्ण न होते,
गीत, गजल के बंद !
हिन्दी पढ़ो पढ़ाओ जग को,
बांटो यह सौगात,
सच कहता हूँ कभी न होगी,
हिन्दी की गति मंद !
विश्व हिन्दी दिवस हमारा,
पावनतम उत्सव हो
सदियों-सदियों तक महकेगी
पावन हिन्दी गंध !
✍️ वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9719275453
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