रविवार, 14 सितंबर 2025

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेन्द्र सिंह बृजवासी का गीत ......अपनी प्यारी हिन्दी


झूठ-मूठ  ही क्यों खाते हो,

हिन्दी        की       सौगंध?

अंग्रेजी संग खुश रहने का,

किया      स्वयं  अनुबंध !


अपनी माँ को माँ कहने से,

डर     क्यों      लगता    है?

हिन्दी   की  गोदी  में  बैठो,

मिट     जाएं    सब  फंद !


हिन्दी  भाषा सबकी भाषा,

सकल   विश्व    में   व्याप्त,

सब भाषाओं की जननी है,

तनिक    न    इसमें  द्वन्द्व !


लिखने-पढ़नेमें रुचिकर है,

अपनी      प्यारी      हिन्दी,

बसी हुई सबके मन में ज्यों,

फूलों         में     मकरंद !


माँ का पहलाशब्द सभीको,

हिन्दी          ने         सौंपा,

केवल हिन्दी  में  बसता  है,

ममता       का     आनंद !


सबको साथमें लेकर चलती,

रखे     न    मन     में    मैल,

हिन्दी के बिन  पूर्ण  न  होते,

गीत,   गजल      के    बंद !


हिन्दी पढ़ो पढ़ाओ जग  को,

बांटो          यह       सौगात,

सच कहता हूँ कभी न होगी,

हिन्दी     की     गति  मंद !


विश्व   हिन्दी  दिवस   हमारा,

पावनतम       उत्सव       हो

सदियों-सदियों तक महकेगी

पावन        हिन्दी       गंध !

    

✍️ वीरेन्द्र  सिंह "ब्रजवासी"

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर 9719275453

                

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