रविवार, 8 मई 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष दयानन्द गुप्त की रचना ----


मां शुभे स्नेह की आदि स्रोत,

अविरल अस्वार्थ, निर्मल अजस्त्र

आदर्श भावना भाव भूति

कल्याण मूर्ति, वरदान हर्ष।

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जीवन पयस्विनी जगज्जननी,

मुद मोद मंगले मनननीय!

महिमावलीय प्रति चरण-चरण

लुंठित गुण गण ,ओ वंदनीय।

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उज्ज्वल उदार उर से तेरे

वात्सल्य धवल सुरसरि फूटी

छूटी सन्तति से जग डाली

तेरी न कभी डाली छूटी।


रे जगत जननी जग अर्चनीय हे!

बार बार नित वर्णनीय हे !

संसृति शून्य असार स्नेह में

अतुल सर्व शुभ गणननीय है।

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रचयिता: स्व.दयानन्द गुप्त

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