बस इतना तू जान ले प्राणी
संग न कुछ भी जाएगा
धरा पे सब कुछ धरा रहेगा
हंस तेरा उड़ जाएगा ।
नाव पुरानी जरजर काया
कब तक तू बह पाएगा
बाहर भीतर बहे है लावा
कब तक तू सह पाएगा
इस दुनिया के छोड़ के धंधे
राम नाम गुन गाए जा
धरा पे सब कुछ धरा रहेगा
हंस तेरा उड़ जाएगा
उगता सूरज बहती नदिया
उपवन रोज सजाएगा
मगन फकीर श्वास हठीला
निशिदिन झांझ बजाएगा
मोह माया को छोड़ दे बंदे
राम नाम गुन गाए जा
धरा पे सब कुछ धरा रहेगा
हंस तेरा उड़ जाएगा
✍️ शशि त्यागी
अमरोहा
बहुत सुंदर रचना लिखी है बहन आपने
जवाब देंहटाएंआपको 🌹शुभकामनाओं सहित बहुत-बहुत बधाई 🌹
जी चाहता है इसकी धुन बना कर संगीत के माध्यम से भी जन जन तक पहुंचाऊं
🙏🙏🙏🙏 बहुत बहुत धन्यवाद आपका । कृपया अपना नाम पता भी लिखिए ।
हटाएंबहुत सुन्दर ।अनुपम
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएं