सकल जगत में मच रही,भारत की है धूम।
चंदामामा आपके, घर आएँगे घूम।।1।।
ध्वज चंदा पर गाड़ कर ,भारत बना विशेष।
अंतरिक्ष की दौड़ में, बना अग्रणी देश।।2।।
नित-नित भारत गढ़ रहा,नए -नए प्रतिमान।
मुग्ध-मग्न हो भज रहा, नित्य राम ही राम।।3।।
एक ओर आदित्य हैं, दूजी ओर प्रज्ञान।
तुला सरीखे तोल लो, ज्ञान और विज्ञान।।4।।
आज विश्व है देखता,नित भारत की ओर ।
प्रज्ञा भारत में भरी, जिसका ओर न छोर।।5।।
वर्षों रही निहारती, धरा चाँद को ओर।
मिलना कैसे हो भला, रहते हो उस छोर।।6।।
चंदा मामा ने दिया, बहना को संदेश।
तेरे आने पर बनूँ, मैं भी यहाँ विशेष।।7।।
राखी ले बहना चली,लिए मिलन की आस।
अँखियों में आशा भरी, और हृदय विश्वास।।8।।
बाँह पसारे था खड़ा, पथ को रहा निहार।
रोली-राखी हो सजी, भगिनी मिले दुलार।।9।।
राखी बाँधी हाथ में, आशिष दिया विशेष।
अग्रिम है शुभकामना, मंगल मिले अशेष।।10।।
✍️शशि त्यागी
अमरोहा
उत्तर प्रदेश, भारत
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