शनिवार, 2 सितंबर 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' की ओर से मंडल के जनपद बिजनौर के साहित्यकार दुष्यंत कुमार की जयंती पर दो सितंबर 2023 को गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर के साहित्यकार दुष्यंत कुमार की जयंती के अवसर पर साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' के तत्वावधान में कंपनी बाग स्थित प्रदर्शनी कार्यालय के भवन में शनिवार 2 सितंबर 2023 को कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता  सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि डॉ. मक्खन मुरादाबादी ने की। मुख्य अतिथि अपर नगर मजिस्ट्रेट राजबहादुर सिंह तथा विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय अनुपम रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ  मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। इसके पश्चात  योगेन्द्र वर्मा व्योम द्वारा गजलकार दुष्यंत कुमार के व्यक्तित्व व कृतित्व पर केन्द्रित आलेख का वाचन किया गया। 

    कवि गोष्ठी में विख्यात कवि डॉ.मक्खन मुरादाबादी ने गीत प्रस्तुत किया- 

नए सृजन पर असमंजस में, 

तुलसी सूर कबीरा। 

गान आज का गाने में सुन, 

दुखी हो उठी मीरा। 

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय अनुपम ने सुनाया- 

जब से चन्दा पर चला, है रोवर प्रज्ञान। 

खोजें उपमा रूप की, भाषा के विद्वान।  

डॉ. कृष्ण कुमार नाज़ ने ग़ज़ल पेश की- 

वादों की फ़ेहरिस्त दिखाई और तक़रीरें छोड़ गए, 

वो सहरा में दरियाओं की कुछ तस्वीरें छोड़ गए। 

मुख्य अतिथि अपर नगर मजिस्ट्रेट राजबहादुर सिंह ने रचना प्रस्तुत की- 

रास्ता होता नहीं मंज़िल कभी ।

 बात मेरी मान ले ऐ दिल कभी। 

कुछ भँवर भी नाव कर देते हैं पार। 

छोड़ देते हाथ कुछ साहिल कभी। 

वरिष्ठ ग़ज़लकार ओंकार सिंह ओंकार ने सुनाया- 

अब ये करोड़ों हाथ जो बेकार हो गए, 

काम इनको कुछ दिलाओ ज़रा होश में रहो। 

मज़दूर ने कमाई है दौलत जो मुल्क में, 

उसको न तुम उड़ाओ ज़रा होश में रहो। 

वरिष्ठ कवि श्रीकृष्ण शुक्ल ने सुनाया- 

जिन दरख्तों को गिराना चाहती थीं आँधियाँ। 

कुछ परिन्दों ने बना रक्खे हैं उनमें आशियाँ। 

 डॉ.मनोज रस्तोगी ने रचना प्रस्तुत की- 

बीत गए कितने ही वर्ष ,

हाथों में लिए डिग्रियां, 

कितनी ही बार जलीं 

आशाओं की अर्थियां, 

आवेदन पत्र अब 

लगते तेज कटारों से।

शायर जुबैर मुरादाबादी ने सुनाया- 

मुद्दतों हमने ज़माने को दिया दरसे हयात। 

मुद्दतों तक हमें रोयेंगे ज़माने वाले। 

हम वो मदहोशें मुहब्बत हैं ज़माने में ज़ुबैर। 

हश्र तक भी जो नहीं होश में आने वाले। 

 योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने दोहे प्रस्तुत किये- 

अट्टहास कर हँस रहा, जालिम भ्रष्टाचार। 

डिग्री थामे हाथ में, युवावर्ग लाचार। 

धन-पद-बल की हो अगर, भीतर कुछ तासीर। 

जीकर देखो एक दिन, वृद्धाश्रम की पीर।

 ज़िया ज़मीर ने ग़ज़ल पेश की- 

हक़ीक़त था मगर अब तो फ़साना हो गया है। 

उसे देखे हुए कितना ज़माना हो गया है। 

ज़रा सी बात पे आंखों के धागे खुल गए हैं। 

ज़रा सी देर में ख़ाली ख़जाना हो गया है।  

राहुल शर्मा ने गीत सुनाया- 

चंद लम्हों की मुलाकात बुरी होती है। 

गर जियादा हो तो बरसात बुरी होती है। 

हर किसी को ये समझ लेते है अपने जैसा। 

अच्छे लोगों में यही बात बुरी होती है।  

राजीव 'प्रखर' ने दोहे प्रस्तुत किए- 

मैंने तेरी याद में, ओ मेरे मनमीत। 

पूजाघर में रख दिए, रचकर‌ अनगिन गीत। 

 मनोज मनु ने गीत सुनाया- 

कुचलकर हक़ ये सरकारें अमन आवाद रखेंगी। 

मगर जब जुल्म पे मजबूरियां फरियाद रखेंगी। 

जमाने को दिया जो ढंग अपनी बात रखने का। 

तुम्हें उसके लिए दुष्यंत, सदियां याद रखेंगी।

मयंक शर्मा ने सुनाया- 

बोल मजूरे ज़ोर लगाकर बोल मजूरे हल्ला, 

मांगें हम ख़ैरात कोई न चाहें सस्ता गल्ला। 

कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर ने सुनाया- 

तेरे क़दमों मे मेरी ख़ाक बिखर जायेगी। 

बाद मरने के यूँ तक़दीर सँवर जायेगी। 

लौट आया है तेरी याद का मौसम फिर से। 

ख़ुश्क आँखो में कोई बूँद ठहर जायेगी।  

कुलदीप सिंह ने सुनाया -

थक जाते हैं खुद के भीतर, दुहरा जीवन जीते जीते। 

बाहर से सब भरे भरे हैं, अंदर से हैं रीते रीते।  

शुभम कश्यप ने सुनाया- 

किस कदर है खूबसूरत शायरी दुष्यंत की। 

ज़िन्दगी की है ज़रूरत शायरी दुष्यंत की। 

दिल से देखोगे जो पढ़कर जान जाओगे 'शुभम'। 

बख्शती है दिल को क़ूवत शायरी दुष्यंत की।

 मनीष मोहक ने सुनाया-

 तराशा है तुझे जिसने लड़कपन में, जवानी में। 

हमेशा याद रखना तू उसे अपनी कहानी में। 

कार्यक्रम में कलक्ट्रेट के प्रशासनिक अधिकारी गोपी कृष्ण, अनुपम अग्निहोत्री, केके गुप्ता ने दुष्यंत कुमार के संदर्भ में अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया। कार्यक्रम संयोजक एवं प्रदर्शनी प्रभारी राहुल शर्मा द्वारा आभार-अभिव्यक्ति प्रस्तुत की गई।

























::::प्रस्तुति:::::;

योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'

संयोजक- 

संस्था 'अक्षरा' 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल-9412805981

मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर के साहित्यकार स्मृतिशेष दुष्यन्त कुमार की ग़ज़लों पर ओंकार सिंह ओंकार का विस्तृत आलेख ---



 समाज की ज़मीनी सच्चाइयों को स्पष्टता से बयान करने वाले शायर/कवि दुष्यंत कुमार ने कहा था कि मैं उर्दू नहीं जानता परन्तु मैं शह्र और शहर के वज़्न और वजन के फ़र्क़ से वाक़िफ था। परंतु मैं उस भाषा में लिखना चाहता था जिस भाषा में मैं बोलता था । इसलिए मैंने जानबूझकर शहर की जगह नगर नहीं लिखा। 

        वे कहते थे," उर्दू और हिन्दी जब अपने अपने सिंहासन से उतर कर आम आदमी के पास आती है तो दोनों भाषाओं में अन्तर करना मुश्किल हो जाता है। मेरी नियत और कोशिश यही रही है कि मैं इन दोनों भाषाओं को ज़्यादा से ज़्यादा क़रीब ला सकूं। इस लिए ये ग़ज़लें उसी भाषा में कही गई हैं जिसे मैं बोलता हूं।" वे अपने एक शेर में कहते हैं कि-

मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूं।

वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूं।।

   हिन्दी के बहुत से पुराने कवियों ने ग़ज़लें कही हैं। जिनमें निराला जैसी हस्तियां शामिल हैं। लेकिन कवि दुष्यंत ने परंपरागत ग़ज़ल की धारा को मोड़कर जनसंघर्ष की धारा में परिवर्तित कर दिया तथा समय की आवश्यकता के अनुसार उसे नवीनता प्रदान कर दी। राजनीतिज्ञों ने आज़ादी के समय जो जनता से वादे किए थे, दुष्यंत ने राजनीतिज्ञों की कथनी और करनी के अंतर को बड़े व्यंगात्मक और चुटीले अंदाज़ में बयान किया है। उन्होंने कहा-

कहां तो तय था चिराग़ां हर एक घर के लिए।

कहां चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए।।

न हो कमीज़ तो पांवों से पेट ढंक लेंगे,

ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए।।

आदमी की परेशानियों, ग़रीबी, भुखमरी, बेरोजगारी तथा अन्य सामाजिक सरोकारों का उल्लेख करने वाले बहुत से शेर दुष्यंत कुमार ने अपनी ग़ज़लों में दिये हैं जिनमें से से दो शेर पाठकों की सुगमता के लिए प्रस्तुत हैं-

ये सारा जिस्म झुककर बोझ से दुहरा हुआ होगा।

मैं सजदे में नहीं था आपको धोखा हुआ होगा।।

कई फ़ाक़े बिताकर मर गया जो उसके बारे में,

वो सब कहते हैं अब ऐसा नहीं ऐसा हुआ होगा।।

प्रसिद्ध कवि दुष्यंत कुमार ने ग़रीबों और ज़रूरत मंदों को सरकार से दी जाने वाली आर्थिक सहायता या अन्य सहयोग उन तक पहुंचने से पहले  ही समाप्त हो जाती है।इसी का बहुत सुन्दर चित्र अपने एक बहुत सुन्दर शेर में कवि दुष्यंत ने दिया है । उस समय के सरकारी योजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार को व्यक्त करने का इतना अच्छा व्यंग्य शायद ही किसी अन्य कवि / शायर की रचनाओं में मिल पाए।

यहां तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियां,

हमें मालूम है पानी कहां ठहरा हुआ होगा ।।

इसी प्रकार कवि दुष्यंत कुमार के बहुत से शेर याद करने और समय समय-समय पर उदाहरण के तौर पर उल्लेख करने लायक़ हैं। जिनमें से कुछ शेर प्रस्तुत हैं :-

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए।

इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।।

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,

मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।।

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,

हो कहीं भी आग तो फिर आग जलनी चाहिए।।

 दुष्यंत कुमार जनकवि थे ।वे ग़रीबों और कमज़ोरों की तकलीफ़ों को सत्ता के शीर्ष पदाधिकारियों तक पहुंचाना चाहते थे तथा जनता को भी अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने के लिए प्रेरित करते थे। संघर्ष का एक प्रतिरोधी स्वर उनकी शायरी /कविताओं में मिलता है। यही स्वर उनकी शायरी को दीर्घायु बनाता है तथा  उन्हें अन्य कवियों से श्रेष्ठता प्रदान करता है। उनकी शायरी सहज और सरल भाषा में है जिसे आम आदमी समझ सकता है। उनका प्रसिद्ध ग़ज़ल संग्रह "साये में धूप" बार बार पढ़ने योग्य है। उनकी शायरी को जनता लम्बे समय तक याद रखेगी। 


✍️ओंकार सिंह 'ओंकार' 

1-बी/241 बुद्धि विहार, मझोला,

मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) 244103

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष आनन्द स्वरूप मिश्रा की कहानी ... "मन की पीर"। उनकी यह कहानी प्रकाशित हुई है केजीके इंटर एंड टीचर्स ट्रेनिंग कालेज मुरादाबाद की पत्रिका के वर्ष 1967–68,वॉल्यूम 15 में । उस समय वह वहां अध्यापक थे ।







::::::::प्रस्तुति:::::::
डॉ मनोज रस्तोगी
संस्थापक
साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय
8, जीलाल स्ट्रीट 
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत 



मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष आनन्द स्वरूप मिश्रा की कहानी ...यात्रा के पन्ने । उनकी यह कहानी प्रकाशित हुई है मेरठ कालेज की पत्रिका के वर्ष 51,जनवरी 1961,अंक 1 में । उस समय वह वहां स्नातकोत्तर (हिन्दी) उत्तरार्द्ध के छात्र थे ।





::::::::प्रस्तुति:::::::
डॉ मनोज रस्तोगी
संस्थापक
साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456687822

बुधवार, 30 अगस्त 2023

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की कहानी..... राखी की सौगंध


"अब चलो भी शुभि ..! बाज़ार चलने में देर हो रही है"शुभम ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए घर के बाहर से , अपनी पत्नी शुभि को आवाज़ लगायी . 

"आ गयीं बस...!". कहते हुए शुभि अपना दुपट्टा संभालते हुए मेन गेट से बाहर निकली और गाड़ी में बैठ  गयी.रक्षा बंधन आने में अभी पूरे दस दिन थे, मगर शुभि चाहती थी कि सभी तैयारियां समय रहते पूरी कर  ली जाएँ.अत: वह आज राखी खरीदने शुभम के साथ बाज़ार जा रही थी. राखी की दुकान पर पहुँच कर  तीनों भाइयों और भतीजों के लिए राखी खरीदने के  बाद, वह भाभियों के लिए लेडीज़ राखियाँ पसंद करने लगीं, मोतियों  की लड़ी से सजी लटकन वाली लेडीज़ राखियां उसे बहुत प्यारी लगीं, उसने दुकानदार से कहा कि  "भैया..! ये वाली "दो....राखियाँ  दे दीजिए..... !" मगर ....दो ..शब्द जैसे उसके गले मे अटक गया......! 

   कुछ समय पहले तक शुभि के मायके में सब कुछ ठीक -ठाक था मगर अचानक छोटे भैया राहुल की गृहस्थी में उस वक़्त भूचाल आ गया ,जब उसकी पत्नी रंजना  ने  छोटी -छोटी बातों पर झगड़ा करना शुरू कर दिया, और एक दिन झगड़ा इतना बढ़ा कि वह रूठकर अपने मायके जा बैठी.तब प्रारंभ में सबको यही लगा कि पति- पत्नी का झगड़ा है ,आपस में ही सुलझा लेंगे, मगर धीरे- धीरे जब उसे गये पंद्रह दिन हो गये तब सबको स्थिति की गंभीरता का अनुमान लगने लगा.वह अपने साथ अपने पांच साल के बेटे  अंश को भी ले गयी थी.  घर के सब लोगों ने  रंजना को मनाने की  बहुत कोशिश भी , कई फोन  भी किए, उसके माता- पिता से भी बात की और छोटे भैया ने गलती न होते हुए भी उससे  माफी माँगी, मगर वह  अपने अहम् के कारण आने को तैयार  न थी,छोटे भैया तो जैसे बिलकुल ही टूट  गये थे,  वह अपने कमरे तक सीमित होकर रह गये थे.   माँ का स्वर्गवास तो पहले ही हो चुका था, एक ही मकान में रहते हुए भी तीनों भाइयों के चूल्हे अलग-अलग थे, पिताजी बड़े भैया के साथ रहते थे.अत: छोटे भैया कभी होटल पर या कभी खुद कच्चा -पक्का बनाकर खाना खा लेते थे,इसी प्रकार  धीरे -धीरे तीन महीने बीत चले थे.

   यह सब सोचकर राखी  की दुकान पर पर खड़ी  शुभि की आंखें गीलीं और मन भारी हो चला था. उसने खुद को संयत करते हुए, दुकानदार से कहा, सुनो भैया, ये वाली लेडीज़ राखियाँ  दो नहीं...तीन दे दीजिए ...! "

"मगर शुभि तीन ...!".. शुभम ने कुछ कहना चाहा तो शुभि ने अपनी पलकों को हौले से झपकाते हुए  उसे चुप रहने का संकेत किया.दुकान से निकलकर उसने शुभम से पोस्ट आफिस चलने को कहा, वहांँ जाकर उसने एक चिट्ठी लिखकर , राखियों के साथ भाभी के मायके के पते पर पोस्ट कर दीं 

  रक्षा बंधन का पावन दिन भी आ पहुंचा , शुभि अपने मायके मिठाइयाँ और राखियाँ लेकर पहुँच चुकी थी, दोनों बड़े भाइयों और भाभियों को राखी बांधने के बाद, छोटे भैया की कलाई पर राखी बांधने ही वाली थी कि.....तभी डोरबेल बज उठी,

 बड़ी भाभी ने गेट खोला तो सबके आश्चर्य की सीमा न रही. दरवाजे पर छोटी भाभी रंजना  भतीजे के साथ खड़ी थी.रंजना के एक हाथ में अटैची और दूसरे में चिट्ठी थी .अंदर आते ही रंजना, शुभि से लिपटकर रोने लगी, शुभि की आंखों से भी गंगा- यमुना बह चली थी.घर के सब लोग आश्चर्य में थे कि यह चमत्कार कैसे हुआ ?इस दौरान वह चिट्ठी रंजना के हाथ से छूटकर नीचे गिर पड़ी, जिसे उठाकर राहुल ने मन ही मन एक साँस में पढ़ डाला, चिट्ठी में लिखा था

प्रिय भाभी,

बहुत दिन हुए ....!अब नाराजगी छोड़कर अपने घर आ जाओ! भैया की किसी भी गलती की मैं माफी मांगती हूँ....माँ तो इस दुनिया में नहीं है ,मगर  मैंने हमेशा  आप में अपनी माँ को ही देखा है, आप के बिना मेरे भैया अधूरे  हैं और भैया के बिना मैं.... ! और  मैं इस अधूरेपन के साथ  रक्षा बंधन के इस  पावन  त्योहार  को नहीं मना सकती,आपको  इस राखी की  सौगंध...!वापस आ जाओ  भाभी ..... ‌!मैं राह देखूंगी...

आपकी 

शुभि

पत्र पढ़कर ,छोटे भैया राहुल की आंखों से खुशी के आंँसू बह चले थे  ..आज उन्हें अपनी इस छोटी बहन में  माँ का अक्स दिख रहा था. उसकी लायी राखी के  कच्चे  धागों ने उसके बिखरे हुए घर को रक्षा कवच के अटूट बंधन में जो बांँध दिया था.

शुभि ने हौले से रंजना को अलग करके आँसू पोछकर, मुस्कुराते हुए कहा "आओ भाभी.. पहले राखी बंधवा लो, शुभ मुहूर्त बीता जा रहा है..! "

✍️ मीनाक्षी ठाकुर, 

मिलन विहार, 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता का गीत .... राखी का त्योहार....


 

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष आनन्द स्वरूप मिश्रा का कहानी संग्रह ..."इन्तजार"। यह कहानी संग्रह वर्ष 2003 में दिशा पब्लिकेशन्स प्रा. लि. मुरादाबाद से प्रकाशित हुआ है। इसकी भूमिका लिखी है डॉ श्रीमती कौशल कुमारी ने । इस संग्रह छह कहानियां संकलित हैं ।


क्लिक कीजिए और पढ़िए पूरी कृति

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:::::::प्रस्तुति::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8,जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर 9456687822


शुक्रवार, 25 अगस्त 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार दुष्यन्त बाबा के दोहे ....


 



मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की रचना ..अब चांद हमारा अपना है


ना ख्याल ना कोई सपना है

अब  चांद  हमारा  अपना है

गौरवान्वित भारत देश हुआ

उत्साहित पूरा परिवेश हुआ

विज्ञान की जय जयकार करें

वैज्ञानिकों  का  सत्कार  करें


✍️डॉ पुनीत कुमार

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार शशि त्यागी के दस दोहे ....


सकल जगत में मच रही,भारत की है धूम।

चंदामामा    आपके,      घर आएँगे   घूम।।1।।


ध्वज चंदा पर गाड़ कर ,भारत बना विशेष।

अंतरिक्ष की   दौड़ में,   बना   अग्रणी देश।।2।।


नित-नित भारत गढ़ रहा,नए -नए प्रतिमान।

मुग्ध-मग्न हो भज रहा,  नित्य राम ही राम।।3।।


एक ओर   आदित्य हैं,    दूजी ओर प्रज्ञान।

तुला  सरीखे   तोल लो,   ज्ञान और विज्ञान।।4।।


आज विश्व है  देखता,नित भारत की ओर ।

प्रज्ञा  भारत  में भरी,  जिसका ओर न छोर।।5।।


वर्षों रही   निहारती,  धरा   चाँद को  ओर।

मिलना कैसे  हो भला,  रहते हो   उस छोर।।6।।


चंदा मामा ने   दिया,   बहना    को  संदेश।

तेरे  आने  पर   बनूँ,    मैं  भी   यहाँ  विशेष।।7।।


राखी ले बहना चली,लिए मिलन की आस।

अँखियों में आशा भरी,  और  हृदय विश्वास।।8।।


बाँह पसारे था खड़ा,  पथ को रहा   निहार।

रोली-राखी  हो सजी,  भगिनी  मिले  दुलार।।9।।


राखी बाँधी  हाथ में,  आशिष दिया  विशेष।

अग्रिम है  शुभकामना, मंगल  मिले  अशेष।।10।।

✍️शशि त्यागी

अमरोहा

उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद मंडल के नजीबाबाद (जनपद बिजनौर) निवासी साहित्यकार डॉ प्रमोद शर्मा प्रेम का गीत ....जय इसरो जय भारत मां जय जय हिन्दुस्तान


अपने चंदा मामा  के घर में है अपना चंद्रयान।

जय इसरो जय भारत मां जय जय हिन्दुस्तान।


अपना चंदा मामा हमसे रहा नहीं अब दूर

बहुत पड़ोसी देश हमारे जलने को मजबूर

आंखे फाड़े देख रहे हैं ले ले कर संज्ञान।


अपने चंदा मामा के घर में है अपना चंद्रयान।

जय इसरो जय भारत मां जय जय हिन्दुस्तान।


भारत की अनुपम उपलब्धि बजा रही है डंका

हंसने वाले हुए अचंभित मिटी है सारी शंका

सब अभिमानी आज हुए देख-देख हैरान।


अपने चंदा मामा के घर में है अपना चंद्रयान।

जय इसरो जय भारत मां जय जय हिन्दुस्तान।


इसरो का है, यह काम विलक्षण 

हुई गौरवान्वित भारत माता।

उल्लासित है देश समूचा सफल रहा अभियान।

अपने चंदा मामा के घर में है अपना चंद्रयान।

जय इसरो जय भारत मां जय जय हिन्दुस्तान।


यह मंजिल नहीं है अपनी अन्तिम

यह तो भारत का एक शुभ आरंभ है

प्रेम सभी गायेंगे अपने इसरो का गुणगान।


अपने चंदा मामा के घर में है अपना चंद्रयान।

जय इसरो जय भारत मां जय जय हिन्दुस्तान।


✍️ डॉ प्रमोद शर्मा प्रेम 

नजीबाबाद 

जनपद बिजनौर

उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी का गीत..... चंदा तेरी कला जानने भेजा हमने यान


 चंदा   तेरी   कला  जानने 

भेजा       हमने        यान

बता सकें दुनियाँ को सारा

तेरा         चंद्र       विधान।

          --------------

तीव्र  वेग  से  उड़ते - उड़ते

पहुंचे          तेरे         पास

तेरी  धरती   को   छूने  का

था         पूरा       विस्वास

आँखमिचौनी को विक्रम ने

चुना        क्षेत्र      सुनसान।

चंदा तेरी-------------------


पर तू ज्यादा खुश मत  होना

हम           फिर        आएंगे

अमर  तिरंगा  फहराकर   ही

वापस                     जाएंगे

हार, शब्द  से   सदा  दूर  ही

रहता          है         विज्ञान।

चंदा तेरी-------------------


इसरो  के   वैज्ञानिक   रखते

हैं         फौलादी         सोच

अथक  परिश्रम से भी करते

कभी        नहीं        संकोच

सूर्य,चंद्र,मंगल,शनि सब पर

भेज     रहे     नित      यान।

चंदा तेरी-------------------


असफलता की नहीं  सोचते

करते        बस         प्रयास

सकल ग्रहों पर पग  धरनेकी

करते        केवल       आस

कब दिन निकला रात होगई

हुआ    न      कोई      भान।

चंदा तेरी-------------------


सारा   भारतवर्ष   खड़ा   है

तन,   मन,   धन   से   साथ

सिर्फ  जीत  के लिए प्रार्थना

करता       है       दिन- रात

हिम्मत करने  वालों  के संग

रहता         है        भगवान।

चंदा तेरी-------------------


✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

                  

मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह ओंकार के तीन मुक्तक ....



"पहुंच गए हम चांद पर", भेज रहे संदेश।

कितना ऊंचा उठ गया, आज हमारा देश।।

उन्नति का इससे जुड़ा,  एक नया अध्याय,

भारत अब संचार का, बना बड़ा  परिवेश।।1।।


घटीं चांद से दूरियां, बढ़ा देश का मान।

दक्षिण ध्रुव पर चांद के, पहुंचा अपना यान।।

लहर तिरंगा ने किया, चंद्र विजय का घोष,

सारा जग करने लगा, भारत का जय गान।।2।।

 

विद्वानों ने  देश  के,    करके  अद्भुत  काम।

दुनिया में रौशन किया, आज देश का नाम।।

वर्षों  करके  साधना,  जीत  लिया  है  चांद,

'इसरो' है 'ओंकार' अब, अपना तीरथ धाम।।3।।


✍️ ओंकार सिंह 'ओंकार'

1-बी/241 बुद्धि विहार, मझोला,

मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) 244103

मुरादाबाद के साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम के नौ दोहे ....


मिला तिरंगे को नया, आज मान-सम्मान । 

पहुँच गया जब चाँद पर, विश्वासों का यान ।। 1।।

दृढ़ संकल्पों के सफल, जग में हम पर्याय । 

झंडा गाढ़ा चाँद पर, लिखा नया अध्याय।। 2।।

भारत की उपलब्धि से बढ़ी जगत में शान । 

मूक-बधिर से हो गये, चीन- रूस-जापान।। 3।।

भारत का संसार में, बढ़ा मान-सम्मान । 

कामयाब जब हो गई, सपनों भरी उड़ान ।।4।।

 सुन चंदा की भूमि से, भारत का जय नाद । 

संकल्पों ने भी किया, दृढ़ता का अनुवाद ।।5।। 

चन्द्रयान की सफलता, बना हमारा गर्व ।

 हर जन के मन में मना, नया राष्ट्रीय पर्व ।।6।।

 मिलने पहुँचा चाँद से, भारत का विश्वास । 

लो हमने भी रच दिया, एक नया इतिहास ।। 7।।

दुनिया में फिर से बनी, एक अलग पहचान।

पहुँच गया लो चाँद पर, अपना हिन्दुस्तान।। 8।।

आज तिरंगे की हुई, जग में जय-जयकार |

मिशन चन्द्रमा का हुआ, सपना जब साकार ।।9।।

✍️ योगेन्द्र वर्मा व्योम

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर के दो दोहे


 

मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर) निवासी साहित्यकार गजेंद्र सिंह एडवोकेट का आलेख .....बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी प्रोफेसर महेंद्र प्रताप। उनका यह आलेख अमरोहा से प्रकाशित दैनिक आर्यावर्त केसरी के गुरुवार 24 अगस्त 2023 के अंक में प्रकाशित हुआ है ।

 



दैनिक आर्यावर्त केसरी के 22 अगस्त 2023 के अंक में स्वर्गीय प्रोफेसर महेंद्र प्रताप जी के विषय में डॉ मनोज रस्तोगी जी का आलेख पढते ही, मैं उनसे संबंधित मधुर, स्मृतियों के अतीत में खो गया । वह समय 55 वर्ष पीछे रह गया लेकिन मनोज जी का लेख पढते ही उनकी स्मृतियाँ सजीव हो उठी। 
हिन्दू कालेज मुरादाबाद से बी ए की कक्षा उत्तीर्ण करके मैंने के जी के कालेज मुरादाबाद में एम ए अर्थशास्त्र में प्रवेश लिया । आदरणीय गुरुदेव प्रोफेसर महेंद्र प्रताप उस समय हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष थे । महाविद्यालय की कालेज मैगजीन वर्ष 1968–69 के प्रकाशन के लिए गठित संपादक मंडल में मुख्य संपादक प्रोफेसर महेंद्र प्रताप ही थे तथा उनके नेतृत्व में प्रो नंदलाल मोइत्रा प्रवक्ता अंग्रेजी विभाग,तथा संपादक अंग्रेजी, डाक्टर शिव बालक शुक्ल प्रवक्ता हिंदी विभाग तथा संपादक हिंदी खंड तथा छात्र संपादकों में मेरे अतिरिक्त कुमारी वंदना वर्मा बी ए प्रथम वर्ष तथा छात्र संपादक हिंदी खंड स्नातक स्तर, विजय प्रताप सिंह बी ए द्वितीय वर्ष , छात्र संपादक अंग्रेजी खंड स्नातक स्तर, कुमारी यशोधरा जोशी एम ए द्वितीय वर्ष अंग्रेजी तथा छात्र संपादक अंग्रेजी खंड परास्नातक स्तर थे । उक्त मैगजीन में मेरा भी एक लेख प्रकाशित हुआ था यह स्मारिका मेरी जानकारी के अनुसार डॉ मनोज रस्तोगी के साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय में सुरक्षित है ।



  वे कटरा नाज के गेट के पास एक दुमंजिले भवन में, जिसे शायद हर गुलाल बिल्डिंग कहते थे, में निवास किया करते थे । मैगजीन की सामग्री के चयन के लिए अनेक बार उनके निवास पर जाना हुआ करता था । वंदना और यशोधरा के साथ मिलकर रचनाओं की जांच पड़ताल की जाती थी तदुपरान्त उनके सामने सामग्री रखी जाती थी जिनके बारे में वे महत्त्वपूर्ण सुझाव और परामर्श दिया करते थे । उस समय उनका व्यवहार पूर्णतया मित्रवत होता था । विचार विमर्श के पश्चात अंत में वे अंतिम चयन किया करते थे । उस क्षण उनके परामर्श का वह अपनापन आज भी मेरी यादों में सुरक्षित है तथा गर्व की अनुभूति देता है। उनका आभामंडल इतना दैदीप्यमान रहता था, हर क्षण चेहरे पर तेज चमकता था उनकी समझाने की शैली भी अद्वितीय रहती थी ।
1969 में, मैं एम ए अर्थशास्त्र के द्वितीय वर्ष का छात्र था। मेरे साथी शर्मेन्द्र त्यागी भी थे, जो कालांतर में वर्ष १९८९ में मुरादाबाद पश्चिम से जनता दल के विधायक निर्वाचित हुए थे और मुलायम सिंह की सरकार में विधि राज्य मंत्री बने थे, मैं और शर्मेन्द्र त्यागी दोनों ही जनपद बिजनौर की धामपुर तहसील क्षेत्र के निवासी थे छात्र संघ का चुनाव घोषित हो चुका था हमने बिजनौर जनपद के छात्रों को संगठित करके अध्यक्ष पद के लिए शर्मेन्द्र त्यागी का नामांकन करा दिया तथा चुनाव प्रचार में लग गये इसकी सूचना प्रो महेंद्र प्रताप जी को हुई तो उन्होंने हम दोनों को बुलवाया और निर्देश दिए कि चुनाव शांति पूर्वक और कालेज की प्रतिष्ठा के अनुरूप ही होना चाहिए उनके निर्देशों का पालन करते हुए शालीनता से चुनाव संपन्न हुआ और शर्मेन्द्र त्यागी को विजय मिली।

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उस समय बी ए कक्षाओं की फीस 15 रूपये और एम ए तथा एल एल बी की कक्षाओं की फीस 18 रुपये प्रतिमाह कालेज में जमा कराई जाती थी लेकिन अनेक छात्रों की आर्थिक स्थिति इस फीस को जमा करने की नहीं होती थी और इस कारण छात्रों को पढा़ई बीच में रोकनी पड़ती थी, ऐसे समय प्रोफेसर महेंद्र प्रताप जी देवदूत बनकर ऐसे छात्रों के जीवन में आते थे उस समय प्रवेश के समय प्रत्येक छात्र को एक रुपया पुअर ब्वायज फंड में जमा करना होता था ऐसे छात्र की फीस प्रोफेसर साहब की संस्तुति पर उस फंड से करा दी जाती थी तथा तैयारी करने के लिए वे अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करके लाईब्रेरी से पुस्तकें भी जारी करा दिया करते थे। इस सब के पीछे एक ही उद्देश्य रहता था कि कोई छात्र अध्ययन से वंचित न रह जाए। 
आर एस एम कालेज धामपुर जिला बिजनौर के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष डाक्टर शंकर लाल शर्मा ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़ में हिंदी में पी एच डी करने के लिए अपना नामांकन कराया था और काफी कार्य भी हो चुका था इसी बीच डाक्टर शर्मा की नियुक्ति आर एस एम कालेज धामपुर के हिंदी विभाग में प्रवक्ता के रूप में हो गयी जिसके कारण पी एच डी कार्य के लिए अलीगढ़ जाना संभव नहीं हो पा रहा था। डाक्टर शर्मा ने मुरादाबाद में प्रोफेसर महेंद्र प्रताप से मिलकर अपनी समस्या बताई। इस पर सहानुभूति पूर्वक प्रोफेसर साहब ने उनका निर्देशक बनना स्वीकार किया और इस प्रकार पी एच डी नामांकन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से रूहेलखंड यूनिवर्सिटी बरेली में स्थानांतरित हो गया तथा शेष कार्य अपने निर्देशन में कराया फलस्वरूप डाक्टर शर्मा को पी एच डी की उपाधि प्राप्त हो सकी।

बिजनौर जनपद के अनेक छात्र प्रतिदिन नजीबाबाद, नगीना, धामपुर, स्योहारा तथा मुरादाबाद जनपद के कांठ क्षेत्र से जम्मू तवी से सियालदाह जाने वाली एक्सप्रेस यात्री गाड़ी से मुरादाबाद के विभिन्न कालेजों में पढ़ने के लिए आया करते थे। एक बार जम्मू तवी सियालदाह एक्सप्रेस में रेलवे मजिस्ट्रेट ने भारी पुलिस बल के साथ चैकिंग अभियान चलाया और अनेक लोगों को बिना टिकट यात्रा करते हुए धर दबोचा। इनमें छात्र भी शामिल थे। यह समाचार मुरादाबाद के कालेज क्षेत्रों में तुरंत फैल गया। हिन्दू कालेज और के जी के कालेज के ही अधिकतर छात्र इस घटना से प्रभावित हुए थे इसलिए फौरन दोनों महाविद्यालयों के जिम्मेदार प्रोफेसर एक्शन में आ गये। मैं उस समय  ‌‌‌वकालत करते हुए ही मुरादाबाद डिवीजनल सुपरिटेण्डेन्ट उत्तर रेलवे की ओर से रेलवे एडवोकेट नियुक्त हो चुका था। प्रोफेसर महेंद्र प्रताप का अधिकार पूर्वक संदेश मुझे प्राप्त हुआ कि तुरंत प्रभावी कार्रवाई कराकर छात्रों को जेल से मुक्त कराया जाए। उस आज्ञा की अवज्ञा का तो कोई प्रश्न ही नहीं था। अत: संदेश मिलते ही फौरन आवश्यक कार्यवाही करते हुए जुर्माने की राशि की व्यवस्था कराकर जमा कराई गई और नियमानुसार रिहाई संभव हो सकी यदि वो रुचि न लेते तो अनेक छात्रों का कैरियर बर्बाद हो ही जाता यह एक आदर्श गुरु वाला आचरण था अपने शिष्यो के प्रति।
  स्मृतियों के झरोखे में एक स्मृति यह भी है कि अपने गुरु का मान किस प्रकार किया जाता है प्रोफेसर महेंद्र प्रताप की शिक्षा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से हुई थी इस विश्वविद्यालय में धर्म और दर्शन विभाग में डा बीएल अत्रे कार्यरत थे यद्यपि प्रोफेसर प्रताप हिंदी के छात्र थे तथापि दोनों के संबंध गुरु शिष्य वाले थे डाक्टर बीएल अत्रे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के समकालीन थे । उनके पुत्र डा जगत प्रकाश आत्रेय के जी के कालेज मुरादाबाद में दर्शन शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष थे। डाक्टर जगत प्रकाश आत्रेय की पत्नी प्रकाश आत्रेय गोकुलदास हिन्दू गर्ल्स कालेज मुरादाबाद में मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्षा थीं और मैं भी इसी कालेज में कार्यरत था । 1972  में एक दिन डाक्टर जगत प्रकाश आत्रेय की ओर से निमंत्रण मिला कि अमुक समय पर मेरे आवास पर पहुंचना है चूंकि उनकी धर्मपत्नी डाक्टर प्रकाश आत्रेय गोकुलदास हिन्दू गर्ल्स कालेज में कार्यरत थीं इसलिए मुझे भी वहाँ अपनी उपस्थिति दर्ज करानी थी। वहाँ डा आत्रेय के पिता डाक्टर बीएल आत्रेय आए हुए थे वे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के दर्शन तथा धर्म शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुए थे । शिक्षा जगत में उनकी बड़ी महत्ता थी ।धीरे धीरे वहाँ प्रो बदन सिंह वर्मा, अध्यक्ष राजनीति शास्त्र विभाग, प्रो आर एम माथुर अध्यक्ष भूगोल विभाग, पीएनटंडन चीफ प्रोक्टर तथा अध्यक्ष समाज शास्त्र विभाग, प्रो आर एन मेहरोत्रा प्रवक्ता अर्थशास्त्र विभाग, जय मोहन लाईब्रेरी विभाग, डाक्टर शिव बालक शुक्ल प्रवक्ता हिंदी विभाग के जी के कालेज मुरादाबाद भी आ गये थे वहाँ प्रो महेंद्र प्रताप पहुँच गये थे । मुरादाबाद के शिक्षकों की ओर से प्रो महेंद्र प्रताप ने डाक्टर बीएल आत्रेय को कश्मीरी दुशाला ओढाकर आदरपूर्वक सम्मानित किया वह क्षण वास्तव में दुर्लभ तथा दर्शनीय था ।

 


राजनीति के क्षेत्र में वे डा राम मनोहर लोहिया की राजनीति के पक्षधर थे तथा मुरादाबाद सीट पर आमोद कुमार अग्रवाल को चुनाव लडा़या करते थे। आमोद कुमार अग्रवाल उस समय मुरादाबाद के एच एस बी इंटर कालेज में अध्यापन कार्य किया करते थे । चुनाव संबंधी बैठकों में पंडित मदनमोहन व्यास( हिंदी अध्यापक पारकर इंटर कालेज मुरादाबाद)  कठघर  क्षेत्र निवासी हिंदी अध्यापक रामप्रकाश शर्मा, प्रो पी एन टंडन, अंग्रेजी टीचर बीवी शर्मा आदि बुद्धि जीवी सम्मिलित हुआ करते थे और यदाकदा मैं भी अपने कुछ साथियों के साथ बैठकों के अतिरिक्त चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के निष्पादन के लिए चला जाया करता था।
 उस समय मीडिया की सक्रियता आज जैसी नहीं थी। केवल प्रिंट मीडिया का ही दौर हुआ करता था। साहित्यिक गतिविधियों, राजनैतिक हलचलों और कालेज संबंधी समाचारों के लिए उनके मुरादाबाद की उस समय की मीडिया से मधुर संबंध रहते थे।

 ‌दैनिक जय जगत हिंदी समाचार पत्र के संपादक पंडित सत्यदेव उपाध्याय, दैनिक मुरादाबाद टाईम्स के संपादक ठाकुर शिवराम सिंह तथा पत्रकारिता जगत के अनेक बंधुओं से उनके आत्मीयता पूर्ण संबंध हुआ करते थे। प्रोफेसर महेंद्र प्रताप बहुत विशाल और बहु आयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे मुझे लगता है कि स्मृतियों के झरोखों से मैं बहुत कुछ निकाल चुका हूँ लेकिन शायद अभी भी प्रोफेसर महेंद्र प्रताप की सेवा में कहने को बहुत कुछ शेष है प्रोफेसर महेंद्र प्रताप को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि...


✍️ गजेन्द्र सिंह, एडवोकेट

धामपुर

जनपद बिजनौर

उत्तर प्रदेश, भारत

( लेखक धामपुर प्रेस क्लब के संरक्षक तथा जिला अधिवक्ता एसोसिएशन धामपुर के संस्थापक अध्यक्ष हैं) 

गुरुवार, 24 अगस्त 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज वर्मा मनु का गीत ....जय जय जय हिंदुस्तान करो

 


स्मरण योग्य है ये हर क्षण,

 सब गौरव गान महान करो ,

 भारत माता  की  जय  बोलो,

 जय जय जय हिंदुस्तान करो,,


है आज रचा इतिहास अलग,

भू छोड़  गगन में चाँद तलक,,

जा  पहुंचा   अपना   चंद्रयान ,

दक्षिण ध्रुव परअभियान तलक,,

रवि तक न पहुँच पाया हो जहां

इस पर क्यों न अभिमान करो,,

भारत माता की जय बोलो,,,


कितने  साधन  संपन्न  देश ,

जिनकी अलबेली  माया  है,

यह कीर्तिमान दुनिया में पर, 

भारत  के  हिस्से  आया  है,

अध्यात्म यहाँ, विज्ञान यहाँ ,

पूरण हर काज विवान करो,,

भारत माता की जय बोलो..


किस तरह सफलता  पाई  है,

जन जन ने भी अब मान लिया, 

अनुभव  ही  सच्चा  साथी  है,

संघर्षों  से  यह   जान  लिया,, 

रचने पग  पग  अध्याय  नए, 

चेतना  नवल  संधान  करो,,

भारतमाता  की  जय  बोलो,

जय जय जय हिंदुस्तान करो,,

✍️मनोज वर्मा 'मनु’

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत


 

मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर ) निवासी साहित्यकार डॉ अनिल शर्मा अनिल के दो दोहे ....


 

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ महेश दिवाकर का गीत ....चंदा मामा के घर पहुंचा, भारत का विज्ञान


महा गर्व से झूम रहा है, 

सारा हिंदुस्थान ।

चंदा मामा के घर पहुंचा, 

भारत का विज्ञान ।।


दृढ़ इच्छा,संकल्प-शक्ति से,

निश्चित मिलता लक्ष्य।

धरा-गगन के पार क्षितिज पर, 

पहुंची चंद्र-उड़ान ।।


अमित कृपा है राम-कृष्ण की,

हुई साधना पूर्ण ।

सकल विश्व दे रहा बधाई, 

भारत देश महान ।।


आजादी का अमृत महोत्सव, 

अद्भुत है उत्कर्ष ।

गूँज रहा सारी दुनिया में, 

भारत का उत्थान ।।


चंद्रयान को मिली सफलता, 

कर्म-धर्म की जीत ।

ध्येय हमारा जन-मंगल है, 

मानवता कल्याण ।।


देख रही हैं महाशक्तियाँ ।

भारत की उपलब्धि ।।

असमंजस में हुए निशाचर 

विफल हुआ अनुमान ।।


सोमदेव से मंगल तक का, 

सफल विजय संकल्प ।

सूर्यदेव के चरण-कमल तक, 

नहीं रुके अभियान ।।


भारत जग का मुकुट बनेगा, 

समय नहीं फिर दूर ।

दुनियाभर के देश करेंगे, 

भारत का गुणगान ।।

✍️ डॉ महेश 'दिवाकर'

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत


मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर का मुक्तक ....चाँद ने भी आज तो जय हिंद गाया है.


विजय इतिहास लिखकर चांद पर हमने दिखाया है, 

बना पहला जगत में देश ,भारत मुस्कुराया है, 

हमारे हौसलो की बात तो बस चांद से पूछो, 

सुना है चाँद ने भी आज तो जय हिंद गाया है.


✍️मीनाक्षी ठाकुर

मिलन विहार

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद मंडल के कुरकावली (जनपद संभल) के साहित्यकार त्यागी अशोका कृष्णम के दोहे और मुक्तक