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गुरुवार, 19 मार्च 2020
मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ मीना नकवी की गजल --दिन ढले रोज बहा देती हैं काजल यादें....
बन के एहसास पे छा जाती हैं बादल यादें।
और फि़र आँखों को कर देती हैं जल-थल यादें।।
खुशबू माजी़ की मुझे रखती है महकाये हुये।
दिल के गुलशन में यूँ आती हैं मुसलसल यादें।।
रोज़ आँखों से मेरी नींद उडा़ देती थीं।
इसलिये कर दी हैं मैने भी मुक़फ़्फ़ल यादें।।
कितनी तस्वीरें सिमट आती हैं भूली बिसरी।
मुझ को तन्हाई में कर देती हैं पागल यादें।।
सुब्ह ता शाम तसव्वुर में सजा करती हूँ।
दिन ढले रोज़ बहा देती हैं काजल यादें।।
क़तरा क़तरा लहू जज़्बों में उतर आता है।
जैसे एहसास का बन जाती हैं मक़तल यादें।।
सच बताऊँ तो हैं जीने का सहारा 'मीना'।
जेह् न के गोशों में आबाद मुकम्मल यादें।।
***डॉ मीना नक़वी
और फि़र आँखों को कर देती हैं जल-थल यादें।।
खुशबू माजी़ की मुझे रखती है महकाये हुये।
दिल के गुलशन में यूँ आती हैं मुसलसल यादें।।
रोज़ आँखों से मेरी नींद उडा़ देती थीं।
इसलिये कर दी हैं मैने भी मुक़फ़्फ़ल यादें।।
कितनी तस्वीरें सिमट आती हैं भूली बिसरी।
मुझ को तन्हाई में कर देती हैं पागल यादें।।
सुब्ह ता शाम तसव्वुर में सजा करती हूँ।
दिन ढले रोज़ बहा देती हैं काजल यादें।।
क़तरा क़तरा लहू जज़्बों में उतर आता है।
जैसे एहसास का बन जाती हैं मक़तल यादें।।
सच बताऊँ तो हैं जीने का सहारा 'मीना'।
जेह् न के गोशों में आबाद मुकम्मल यादें।।
***डॉ मीना नक़वी
मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ राकेश चक्र की गजल -- खाते नमक देश का हम ,मत इससे गद्दारी कर
कुछ तो तू खुद्दारी कर
सदा देश से यारी कर।।
खाते नमक देश का हम
मत इससे गद्दारी कर।।
देश रहेगा ,हम भी होंगे
मिलकर पहरेदारी कर।।
इधर-उधर की फेंक न तू
कुछ तो राम सवारी कर।।
अन्तः को भी झाँक लिया कर
इसकी रोज बुहारी कर।।
"चक्र " चक्र में घूम रहा है
सबमें प्यार शुमारी कर।।
**डॉ राकेश चक्र
90 बी, शिवपुरी
मुरादाबाद 244001
उ.प्र ., भारत
9456201857
Rakeshchakra00@gmail.com
सदा देश से यारी कर।।
खाते नमक देश का हम
मत इससे गद्दारी कर।।
देश रहेगा ,हम भी होंगे
मिलकर पहरेदारी कर।।
इधर-उधर की फेंक न तू
कुछ तो राम सवारी कर।।
अन्तः को भी झाँक लिया कर
इसकी रोज बुहारी कर।।
"चक्र " चक्र में घूम रहा है
सबमें प्यार शुमारी कर।।
**डॉ राकेश चक्र
90 बी, शिवपुरी
मुरादाबाद 244001
उ.प्र ., भारत
9456201857
Rakeshchakra00@gmail.com
मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार नाज की नज़्म : ज़रूरत और मुहब्बत
मुहब्बत का यहां पर, अजब दस्तूर देखा
जिसे शिद्दत से चाहा, वही मग़रूर देखा
मचलती आरज़ूओ! ज़रा तो रहम खाओ
मेरे हालात पर यूं, ठहाके मत लगाओ
किसी से क्या करूं अब, कोई शिकवा-शिकायत
न छोड़ेगी कहीं का, मुझे मेरी शराफ़त
उफनती हसरतों को, बहुत मजबूर देखा
जिसे शिद्दत से चाहा, वही मग़रूर देखा
नज़ारा तो यहां का, बड़ा ही दिलनशीं है
खिले हैं फूल लाखों, मगर ख़ुशबू नहीं है
पता क्या था लबों से हंसी भी छीन लेगा
ये मौसम खुदग़रज़ है, ये रोने भी न देगा
सहारा था जो दिल का, उसी को दूर देखा
जिसे शिद्दत से चाहा, वही मग़रूर देखा
ख़यालों से मैं अपने, पुराना आदमी हूं
मुसलसल हूं सफ़र में, कोई बहती नदी हूं
कसे फ़िकरे किसी ने, किसी ने आज़माया
सफ़र की उलझनों ने, गले हंसकर लगाया
हर इक इंसां का चेहरा, यहां बेनूर देखा
जिसे शिद्दत से चाहा, वही मग़रूर देखा
तुम्हीं क्या इस जहां में, ग़ज़ब की है ये फ़ितरत
कि जब तक है ज़रूरत, तभी तक है मुहब्बत
रखे क्यों ध्यान कोई, किसी की तिश्नगी का
ये रेगिस्तान ठहरा, हुआ ये कब किसी का
खरोंचों में भी दिल की, छुपा नासूर देखा
जिसे शिद्दत से चाहा, वही मग़रूर देखा
**डॉ कृष्णकुमार 'नाज़'
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह ओंकार का गीत -हरियाली
मन- मोहक सुख देने वाली, होती धरती की हरियाली।
जो दुनिया के हर प्राणी के, जीवन की करती रखवाली। ।
ये हरी क्यारियां, घास हरी, इठलाती- बलखाती ऐसे,
मदमस्त हवा के झोंकों से, लहराता हो आँचल जैसे,
खुशबू से तर करती सबको, भर-भर देती मधु की प्याली।
जब पेड़ो पर बैठे पंछी ,मीठी लय में सब गाते हैं,
तो फूलों से लिपटे भौंरे , उनसे सुर-ताल मिलाते हैं,
यह दृश्य देखकर आंखें भी, होती जाती हैं मतवाली।।
मीठे फल लगते पेड़ों पर, जो भूख मिटाते जन-जन की,
रोगों को दूर भगाते हैं, हरते पीड़ाएँ तन-मन की,
सेवा में तत्पर रहते हैं , पत्ते- पत्ते, डाली-डाली।।
हरियाली कारण वर्षा का ,जलवायु विशुध्द बनाती है ,
हर जीव-जंतु को धरती के , माता बनकर सहलाती है ,
सिंचित करती रस से जीवन , बनकर माली यह हरियाली।।
हितकामी जन इस जगती के, सब मिलकर चिंतन-मनन करें,
हरियाली नष्ट न हो पाए , हम ऐसा कोई जतन करें ,
'ओंकार' तभी इस दुनिया में , सब ओर बढ़ेगी खुशहाली।।
**ओंकार सिंह 'ओंकार'
1-बी-241 बुद्धि विहार, मझोला,
दिल्ली रोड
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश,भारत
मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता की बाल कविता --- कोरोना पर निबंध
टीचर ने निबंध लिखवाया कक्षा में कोरोना पर
नया नया त्योहार इसे बच्चों ने बतलाया हँसकर
होली के ही आसपास ये तो आता है
छुट्टी भी लंबी लंबी ये करवाता है
पास बिना एग्जाम दिए ही करवा देता
हमको ये त्योहार बड़ा ही अच्छा लगता
बस थोड़ी सी बात यही न अच्छी लगती
कोई पार्टी पिकनिक नही करने को मिलती
बार बार ही हाथ धुलाती मम्मी रहती
बाहर मत जाना बस ये ही हमसे कहती
चाट पकौड़ी पिज़्ज़ा बर्गर छुट्टी सबकी
बात बात पर कोरोना की मिलती धमकी
लेकिन ये कोरोना अपने मन भाया है
छुट्टी का आनन्द इसी ने दिलवाया है
आज़ाद किया इसने बच्चों को टेंशन से
उतार पढ़ाई का बोझ दिया बिल्कुल मन से
पढ़कर इसको टीचर जी का सर चकराया
भूल गए वो अपना सारा पढ़ा पढ़ाया
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
बुधवार, 18 मार्च 2020
मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की कहानी -- कोरोनासुर
किसी समय भरतपुर नामक एक राज्य में धर्मराज नाम के एक राजा राज करते थे।उसी राज्य के पड़ोस में एक अन्य राज्य नरकपुर की सीमा लगती थी।नरकपुर नाम के अनुरुप साक्षात नरक ही था।उस राज्य के निवासी अनेक जीव जंतुओं को पकड़ पकड़ कर भक्षण करते थे ।जहरीले जीव जंतु तो जैसे उनका प्रिय आहार थे। उस राज्य का स्वामी अत्यंत क्रूर व निर्दयी "दैत्यराज" नामक राजा था।दोनो राज्यों में कोई मेल मिलाप न था। दैत्यराज ने अनेक बार भरतपुर पर आधिपत्य करना चाहा,परंतु धर्मराज की शूरवीरता के सन्मुख रण में न टिक पाता था। दोनो राज्यों के निवासियों के खानपान और आचार विचार में धरती आकाश का अंतर था।धीरे धीरे समय बीतने के साथ साथ भरतपुर के निवासियों ने अन्य राज्यों में व्यापार के साथ साथ नरकपुर से भी व्यापारिक संबंध बढ़ाने प्रारम्भ कर दिये। दैत्यराज ने भी उन्हें प्रलोभन देकर सस्ते दामों में नरकपुर निर्मित वस्तुएं उपलब्ध करानी प्रारम्भ कर दीं। परंतु एक बार उन विषैले जीवों का भक्षण करते समय नरकपुर में उन विषैले जीवों के विष से एक अत्यंत विषैला राक्षस भयानक अट्टहास करता हुआ प्रकट हुआ और नरकासुर में महामारी का रूप लेकर सहस्त्रों मनुष्यों को लील करता हुआ बोला, "हाहाहाहाहा......मैं कोरोनासुर ....!.सबको .खा जाऊँगा..!..समस्त ब्रह्मांड .....मेरी मुठ्ठी में है...कोई नहीं बचेगा..."इतना कहकर उसने अपने मुख से विष वमन किया....और देखते ही देखते उस विष की बूँदे जहाँ जहाँ पड़ीं वहाँ दूसरा कोरोनासुर प्रकट हो गया,नरकपुर की सीमा को लाँघते हुए अब कोरोनासुर असंख्य रूपो में, अखिल विश्व में उत्पात मचाने लगे।समस्त विश्व में त्राहि त्राहि मच गयी। समस्त विश्व की सेनाऐं उस कोरोनासुर को हराने में असफल हो रही थीं। कोरोनासुर का विष मानवों के जीवन को बड़ी तेजी से समाप्त करने लगा।
अब समस्त संसार भरतपुर के राजा धर्मराज की ओर उन्मुख हो,इस विपदा का समाधान ढूँढने लगा।तब धर्मराज ने कहा,"हे मानवों !..प्रकृति की पूजा करने अर्थात प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं का आदर व संरक्षण करने..,जीवों का संरक्षण करने..यज्ञ हवन के सुंगधित धुएँ... व ,शाकाहार से कोरोनासुर की शक्तियां क्षीण पड़ेंगी और उसका वध सम्भव हो सकेगा ।मेरे राज्य में हर माह असंख्य मानव एक साथ,एक ही स्थान पर कुंभ,गंगा स्नान ,गणपति उत्सव ,दशहरा व होली उत्सव जैसे आयोजन में सम्मिलित होते हैं परंतु हमारी संस्कृति व सभ्यता की विशेषता के कारण कोई विषैला दानव यहाँ आज तक नहीं हुआ है।इस कोरोनासुर के वध का रहस्य हमारे आयुर्वेद में निहित है।आप लोग निश्चिंत रहे...इस कोरोनासुर का वध भरतपुर अवश्य करेगा।यह मेरा वचन है...।"इतना कहकर राजा धर्मराज अपना वचन पूर्ण करने हेतु कोरोनासुर के वध हेतु उठ खड़े हुए।
**मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ ममता सिंह की बाल कविता -- बचपन की यादें
कहाँ खो गया प्यारा बचपन,
मिल जाए यदि कहीं बताना।
भूले बैठे हैं जो इसको,
फिर से उनको याद दिलाना।
गुड़िया गुड्ड़ों की शादी में,
माँ का वह पकवान बनाना।
और दोस्तों के संग मिल कर,
सबका दावत खूब उड़ाना।
बारिश के मौसम में अक्सर,
कागज़ वाली नाव चलाना।
सर्दी ज्वर हो जाने पर फिर,
पापा जी का डाँट लगाना।
कन्धों पर पापा के अपने,
चढ़कर रोज सैर को जाना ।
नींद नहीं आने पर माँ का,
लोरी फिर इक मीठी गाना।
छोटी छोटी बातों पर भी,
गुस्सा अपना बहुत दिखाना।
बहुत प्यार से माँ का मेरी,
आ कर फिर वो मुझे मनाना।
रहीं नहीं पर अब वह बातें,
यह आया है नया ज़माना।
पर कितना मुश्किल है ममता,
उस बचपन की याद भुलाना।
डाॅ ममता सिंह
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मंगलवार, 17 मार्च 2020
मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ मीना नकवी की गजल
कोई तस्वीर दरपन हो गयी है
ज़माने भर से उलझन हो गयी है
वो पत्थर का ख़ुदा जब से हुआ है
मेरी पूजा बिरहमन हो गयी है
ज़रा सा छू लिया क्या चाँद मैैने
सभी तारों से अनबन हो गयी है
हुयी है फूल से जब से मौहब्बत
हवा सहरा में जोगन हो गयी है
अन्धेरे मुह छुपाये फिर रहे हैं
नई क़न्दील रोशन हो गयी है
बहुत मुश्किल है "मीना" साथ रहना
वफ़ा चाहत से बदज़न हो गयी है
**मीना नकवी
ज़माने भर से उलझन हो गयी है
वो पत्थर का ख़ुदा जब से हुआ है
मेरी पूजा बिरहमन हो गयी है
ज़रा सा छू लिया क्या चाँद मैैने
सभी तारों से अनबन हो गयी है
हुयी है फूल से जब से मौहब्बत
हवा सहरा में जोगन हो गयी है
अन्धेरे मुह छुपाये फिर रहे हैं
नई क़न्दील रोशन हो गयी है
बहुत मुश्किल है "मीना" साथ रहना
वफ़ा चाहत से बदज़न हो गयी है
**मीना नकवी
सोमवार, 16 मार्च 2020
संस्कार भारती मुरादाबाद की ओर से रविवार 15 मार्च 2020 को हुआ काव्य फुहार का आयोजन
संस्कार भारती महानगर मुरादाबाद के तत्वावधान में काव्य फुहार एवं कोरोनावायरस जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन आकांक्षा विद्यापीठ मिलन विहार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रघुराज सिंह "निश्चल" ने की। मुख्य अतिथि सम्भल से आये व्यंग्यकार अतुल शर्मा रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में योगेंद्र पाल विश्नोई और संस्कार भारती के प्रांतीय महामंत्री संजीव आकांक्षी रहे।
रश्मि प्रभाकर द्वारा प्रस्तुत माँ सरस्वती की वंदना से आरम्भ इस कार्यक्रम में अशोक विद्रोही ने सुनाया -
कोरोना ने विश्व में मचा दिया कोहराम
होता तेज बुखार और सर्दी खांसी जुकाम
सर्दी खांसी जुकाम चीन से आई बीमारी
मरे हजारों लोग हुई घोषित महामारी
कह विद्रोही बार-बार हाथों को धोना
सावधान लो पहन मास्क न होय कोरोना
डॉ मनोज रस्तोगी ने हास्य कविता पढ़ी -
आज विज्ञान का है पेपर
याद नहीं कोई चैप्टर
जैसे तैसे हनुमान चालीसा गाते हुए
हमने परीक्षा कक्ष में प्रवेश किया
मनोज मनु ने कहा -
फागुन तेरे आ जाने पे
ना जाने क्या बात हुई
खुशियों से दिल झूम उठा
जब रंगों की बारात हुई।
शुभम कश्यप ने कहा कि-
फिजा की जद में अपना गुलिस्ता है
हर एक इंसान यहां नोहा-खुऑं है कोरोना वायरस फैला है जबसे दिलों में भी अपने हैं डर का समां है।
शायर मुरादाबादी ने फरमाया-
उसको मैसेज भिजवाया है हिंदी में
मैंने खुद को समझाया है हिंदी में।
रश्मि प्रभाकर ने कहा कि-
दिल दुखाने की बात करते हो आके जाने की बात करते हो
दर्द देते हो बेशुमार और फिर मुस्कुराने की बात करते हो।
राशिद मुरादाबादी ने कहा कि-
ममता सेवा त्याग ही तो
इसकी पहचान होती है
नारी का सम्मान करो तुम
नारी तो महान होती है।
अनिरुद्ध उपाध्याय आजाद ने कहा कि-
क्या बीत रही होगी
उस मां के दिल पर
जिसका लाल नहीं लौटा
अबकी घर होली पर।
योगेंद्र वर्मा व्योम ने कहा कि-
क्या आपने क्या गैर सब खुशियां बांटे संग
आज मिटे हर शत्रुता कहते सारे रंग।
आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ ने कहा कि-
चढ़कर जो ना उतरे वह खुमार होली है
दुश्मन को जो बना दे यार वह त्यौहार होली है
हर जंग के रंग को जो फीका कर दे ।
वही आपसी प्यार होली है।।
मयंक शर्मा ने कहा कि -
रंगो के रंग में रंग जाए खेले मिलकर होली
मुंह से मीठा सा बोले भूलके कड़वी बोली।
ईशांत शर्मा ईशु ने कहा कि-
हाथ मिलाना संस्कृति नहीं थी हमारी
हाथ जोड़ने की संस्कृति पड़ रही है सब पर भारी।
संभल से पधारे अतुल कुमार शर्मा ने कहा कि-
मधुशालाएं मौत का सामान बांटने लगे
कुत्ते शराबियों का मुंह चाटने लगे।
रघुराज सिंह निश्चल ने कहा कि-
होली की शुभकामना करें सभी स्वीकार।
हाथ जोड़ करता नमन सब को बारंबार।
कपिल शर्मा ने कहा -
"न यह ऊँचाई सच्ची है, न यह आधार सच्चा है।
अगर सच्चा है दुनिया में, तो माँ का प्यार सच्चा है।"
के० पी० सिंह 'सरल' ने कहा -
"हँसी ठिठोली के बिना, होली लगे उदास।
खुलकर होना चाहिए, खूब हास परिहास।।"
राजीव 'प्रखर' ने कहा -
"राजा-बिन्दर-सोफ़िया, और मियाँ अबरार।
चलो मनाएं प्रेम से, होली का त्योहार।।
गुमसुम पड़े गुलाल से, कहने लगा अबीर।
चल गालों पर खींच दें, प्यार भरी तस्वीर।।
संजीव 'आकांक्षी' का कहना था -
"सारे शहर से अच्छी खासी यारी है।
उसे यह मुगालता बड़ा भारी है।
अब तो दोस्त दुश्मन में भी फर्क करना छोड़ दिया,
ज़हन ओ दिल में सियासत इस कदर जारी है।"
योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने कहा-
"प्यार की कल्पना ही करो मित्रवर,
प्यार की गंध मौसम में घुल जायेगी।"
इस अवसर पर उपस्थित सभी साहित्यकारों ने कोरोना वायरस के प्रति लोगों को जागरूक करने की शपथ लेते हुए सभी लोगों से कोरोना वायरस के बचाव के उपायों को अपनाने एवं सुरक्षा में सरकार की सहायता करने की अपील की।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार योगेंद्र पाल विश्नोई को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए संस्कार भारती के द्वारा संस्कार भारती कला साधक सम्मान से सम्मानित किया गया। युवा शायर शुभम कश्यप को उनके जन्मदिन की बधाई देते हुए सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में हरीश वर्मा, डॉ सौरव भारद्वाज, अशोक कुमार यादव एडवोकेट, रवि चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन युवा गीतकार मयंक शर्मा ने किया ।
:::::::::: प्रस्तुति::::::::
** आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ/राजीव प्रखर
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
रश्मि प्रभाकर द्वारा प्रस्तुत माँ सरस्वती की वंदना से आरम्भ इस कार्यक्रम में अशोक विद्रोही ने सुनाया -
कोरोना ने विश्व में मचा दिया कोहराम
होता तेज बुखार और सर्दी खांसी जुकाम
सर्दी खांसी जुकाम चीन से आई बीमारी
मरे हजारों लोग हुई घोषित महामारी
कह विद्रोही बार-बार हाथों को धोना
सावधान लो पहन मास्क न होय कोरोना
डॉ मनोज रस्तोगी ने हास्य कविता पढ़ी -
आज विज्ञान का है पेपर
याद नहीं कोई चैप्टर
जैसे तैसे हनुमान चालीसा गाते हुए
हमने परीक्षा कक्ष में प्रवेश किया
मनोज मनु ने कहा -
फागुन तेरे आ जाने पे
ना जाने क्या बात हुई
खुशियों से दिल झूम उठा
जब रंगों की बारात हुई।
शुभम कश्यप ने कहा कि-
फिजा की जद में अपना गुलिस्ता है
हर एक इंसान यहां नोहा-खुऑं है कोरोना वायरस फैला है जबसे दिलों में भी अपने हैं डर का समां है।
शायर मुरादाबादी ने फरमाया-
उसको मैसेज भिजवाया है हिंदी में
मैंने खुद को समझाया है हिंदी में।
रश्मि प्रभाकर ने कहा कि-
दिल दुखाने की बात करते हो आके जाने की बात करते हो
दर्द देते हो बेशुमार और फिर मुस्कुराने की बात करते हो।
राशिद मुरादाबादी ने कहा कि-
ममता सेवा त्याग ही तो
इसकी पहचान होती है
नारी का सम्मान करो तुम
नारी तो महान होती है।
अनिरुद्ध उपाध्याय आजाद ने कहा कि-
क्या बीत रही होगी
उस मां के दिल पर
जिसका लाल नहीं लौटा
अबकी घर होली पर।
योगेंद्र वर्मा व्योम ने कहा कि-
क्या आपने क्या गैर सब खुशियां बांटे संग
आज मिटे हर शत्रुता कहते सारे रंग।
आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ ने कहा कि-
चढ़कर जो ना उतरे वह खुमार होली है
दुश्मन को जो बना दे यार वह त्यौहार होली है
हर जंग के रंग को जो फीका कर दे ।
वही आपसी प्यार होली है।।
मयंक शर्मा ने कहा कि -
रंगो के रंग में रंग जाए खेले मिलकर होली
मुंह से मीठा सा बोले भूलके कड़वी बोली।
ईशांत शर्मा ईशु ने कहा कि-
हाथ मिलाना संस्कृति नहीं थी हमारी
हाथ जोड़ने की संस्कृति पड़ रही है सब पर भारी।
संभल से पधारे अतुल कुमार शर्मा ने कहा कि-
मधुशालाएं मौत का सामान बांटने लगे
कुत्ते शराबियों का मुंह चाटने लगे।
रघुराज सिंह निश्चल ने कहा कि-
होली की शुभकामना करें सभी स्वीकार।
हाथ जोड़ करता नमन सब को बारंबार।
कपिल शर्मा ने कहा -
"न यह ऊँचाई सच्ची है, न यह आधार सच्चा है।
अगर सच्चा है दुनिया में, तो माँ का प्यार सच्चा है।"
के० पी० सिंह 'सरल' ने कहा -
"हँसी ठिठोली के बिना, होली लगे उदास।
खुलकर होना चाहिए, खूब हास परिहास।।"
राजीव 'प्रखर' ने कहा -
"राजा-बिन्दर-सोफ़िया, और मियाँ अबरार।
चलो मनाएं प्रेम से, होली का त्योहार।।
गुमसुम पड़े गुलाल से, कहने लगा अबीर।
चल गालों पर खींच दें, प्यार भरी तस्वीर।।
संजीव 'आकांक्षी' का कहना था -
"सारे शहर से अच्छी खासी यारी है।
उसे यह मुगालता बड़ा भारी है।
अब तो दोस्त दुश्मन में भी फर्क करना छोड़ दिया,
ज़हन ओ दिल में सियासत इस कदर जारी है।"
योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने कहा-
"प्यार की कल्पना ही करो मित्रवर,
प्यार की गंध मौसम में घुल जायेगी।"
इस अवसर पर उपस्थित सभी साहित्यकारों ने कोरोना वायरस के प्रति लोगों को जागरूक करने की शपथ लेते हुए सभी लोगों से कोरोना वायरस के बचाव के उपायों को अपनाने एवं सुरक्षा में सरकार की सहायता करने की अपील की।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार योगेंद्र पाल विश्नोई को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए संस्कार भारती के द्वारा संस्कार भारती कला साधक सम्मान से सम्मानित किया गया। युवा शायर शुभम कश्यप को उनके जन्मदिन की बधाई देते हुए सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में हरीश वर्मा, डॉ सौरव भारद्वाज, अशोक कुमार यादव एडवोकेट, रवि चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन युवा गीतकार मयंक शर्मा ने किया ।
:::::::::: प्रस्तुति::::::::
** आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ/राजीव प्रखर
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मुरादाबाद की साहित्यकार रश्मि प्रभाकर की गजल - ठहरी हुई है जिंदगी तेरे रूठने के बाद ...
🎤✍️ रश्मि प्रभाकर
10/184 फेज़ 2, बुद्धि विहार, आवास विकास, मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
फोन नं. 9897548736
वाट्स एप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में प्रत्येक रविवार को वाट्स एप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया जाता है । रविवार 15 मार्च 2020 को आयोजित 193 वें वाटसएप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में सर्व श्री डॉ मनोज रस्तोगी , रवि प्रकाश, राजीव प्रखर , डॉ रीता सिंह , मनोज मनु, अशोक विश्नोई , नृपेंद्र शर्मा सागर,अखिलेश वर्मा, इंदु रानी, राशिद मुरादाबादी, सन्तोष कुमार शुक्ल और श्री कृष्ण शुक्ल ने अपनी हस्तलिपि में रचनाएं प्रस्तुत की.....
रविवार, 15 मार्च 2020
मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की कुंडलियां
------------------ 1 -----------------------
छोटे शहरों के मजे , महानगर बेकार
अमरीका में मच रहा , देखो हाहाकार
देखो हाहाकार , गली अब पतली भाती
कोरोना की छींट , चीन से यहाँ न आती
कहते रवि कविराय , मास्क के पड़ते टोटे
बड़े - बड़े भयभीत , बड़ों के दर्शन छोटे
------------------- 2 ------------------------
शुरू नमस्ते कर रहे , लंदन वाले लोग
कोरोना का वायरस , दुनिया भर में रोग
दुनिया भर में रोग , प्रिंस ने चलन चलाया
खींचा अपना हाथ , याद फिर भारत आया
कहते रवि कविराय , सभी हैं अब इस रस्ते
हाथ मिलाना छोड़ , विश्व में शुरू नमस्ते
--------------------3-----––--------- ------
भारी बीमारी हुई , कोरोना हर ओर
जैसे सेंध लगा रहा , दुनिया भर में चोर
दुनिया भर में चोर , कहाँ रुकने में आई
आते - जाते लोग , हाथ छूना दुखदाई
कहते रवि कविराय ,जिंदगी इससे हारी
हल्के मत लें आप , महामारी यह भारी
–------------------4-------------------------
आए कवि - सम्मेलनी, बोरिंग कवि भरपूर
बैठे थे सब पास में , लेकिन छह फिट दूर
लेकिन छह फिट दूर , सभी श्रोता उकताए
हूटिंग से पर नहीं ,अडिग कवि जी हट पाए
कहते रवि कविराय , छींक कुछ श्रोता लाए
भागे कवि रण छोड़ , मंच पर नजर न आए
आयोजक कहने लगे , जाओ अब बैरंग
जाओ अब बैरंग , हास्य कवि हँसकर बोले
नहीं टलेंगे बिना , आपका बटुआ खोले
कहते रवि कविराय , देय देकर फिर सोना
आयोजक मायूस , हाय निर्दय कोरोना
---------------------- 6 ----------------------
झाड़ा - फूँकी चल रही , कुछ गंडे ताबीज
बाबाजी बतला रहे , कोरोना क्या चीज
कोरोना क्या चीज ,फूँक से इसे उड़ाएँ
बाबा जी के पास , आप आ इसे झड़ाएँ
कहते रवि कविराय , देह यदि खाए जाड़ा
डॉक्टर की लें राय , भूलकर करें न झाड़ा
** रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 999 7615451
छोटे शहरों के मजे , महानगर बेकार
अमरीका में मच रहा , देखो हाहाकार
देखो हाहाकार , गली अब पतली भाती
कोरोना की छींट , चीन से यहाँ न आती
कहते रवि कविराय , मास्क के पड़ते टोटे
बड़े - बड़े भयभीत , बड़ों के दर्शन छोटे
------------------- 2 ------------------------
शुरू नमस्ते कर रहे , लंदन वाले लोग
कोरोना का वायरस , दुनिया भर में रोग
दुनिया भर में रोग , प्रिंस ने चलन चलाया
खींचा अपना हाथ , याद फिर भारत आया
कहते रवि कविराय , सभी हैं अब इस रस्ते
हाथ मिलाना छोड़ , विश्व में शुरू नमस्ते
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भारी बीमारी हुई , कोरोना हर ओर
जैसे सेंध लगा रहा , दुनिया भर में चोर
दुनिया भर में चोर , कहाँ रुकने में आई
आते - जाते लोग , हाथ छूना दुखदाई
कहते रवि कविराय ,जिंदगी इससे हारी
हल्के मत लें आप , महामारी यह भारी
–------------------4-------------------------
आए कवि - सम्मेलनी, बोरिंग कवि भरपूर
बैठे थे सब पास में , लेकिन छह फिट दूर
लेकिन छह फिट दूर , सभी श्रोता उकताए
हूटिंग से पर नहीं ,अडिग कवि जी हट पाए
कहते रवि कविराय , छींक कुछ श्रोता लाए
भागे कवि रण छोड़ , मंच पर नजर न आए
--------------------5 -------------------------कोरोना ने कर दिया , कवि सम्मेलन भंग
आयोजक कहने लगे , जाओ अब बैरंग
जाओ अब बैरंग , हास्य कवि हँसकर बोले
नहीं टलेंगे बिना , आपका बटुआ खोले
कहते रवि कविराय , देय देकर फिर सोना
आयोजक मायूस , हाय निर्दय कोरोना
---------------------- 6 ----------------------
झाड़ा - फूँकी चल रही , कुछ गंडे ताबीज
बाबाजी बतला रहे , कोरोना क्या चीज
कोरोना क्या चीज ,फूँक से इसे उड़ाएँ
बाबा जी के पास , आप आ इसे झड़ाएँ
कहते रवि कविराय , देह यदि खाए जाड़ा
डॉक्टर की लें राय , भूलकर करें न झाड़ा
** रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 999 7615451
मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी की कविता -- जागरूक होकर करो कोरोना से युद्ध
कोरोना का हो गया
दुनियाँ में फैलाव
औषधीश हैरान हैं
कैसे करें बचाव।
औषधि मिल पाई नहीं
मिला न कोई भेद
ताप,छींक, खांसी करे
श्वसन तंत्र में छेद।
करो नमन करबद्ध हो
नहीं मिलाओ हाथ
भीड़ भरे स्थान से
इसे न लाओ साथ।
मास्क लगाके हीचलो
रखो जेब में सोप
गर्म नीर में धोइये
धोती कुर्ता टोप।
जागरूक होकर करो
कोरोना से युद्ध
तभी बचेगी जिंदगी
होगा तन-मन शुद्ध।
शुद्ध बुद्धि के सामने
टिकता नहीं अशुद्ध
हार मानकर बैठता
नहीं कभी प्रबुद्ध
सफर त्यागकरके सभी
करो फोन पर बात
तभी संक्रमण को सखे
दे पाओगे मात।
**वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फ़ोन नम्बर 9719275453
दुनियाँ में फैलाव
औषधीश हैरान हैं
कैसे करें बचाव।
औषधि मिल पाई नहीं
मिला न कोई भेद
ताप,छींक, खांसी करे
श्वसन तंत्र में छेद।
करो नमन करबद्ध हो
नहीं मिलाओ हाथ
भीड़ भरे स्थान से
इसे न लाओ साथ।
मास्क लगाके हीचलो
रखो जेब में सोप
गर्म नीर में धोइये
धोती कुर्ता टोप।
जागरूक होकर करो
कोरोना से युद्ध
तभी बचेगी जिंदगी
होगा तन-मन शुद्ध।
शुद्ध बुद्धि के सामने
टिकता नहीं अशुद्ध
हार मानकर बैठता
नहीं कभी प्रबुद्ध
सफर त्यागकरके सभी
करो फोन पर बात
तभी संक्रमण को सखे
दे पाओगे मात।
**वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फ़ोन नम्बर 9719275453
शनिवार, 14 मार्च 2020
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