कोई तस्वीर दरपन हो गयी है
ज़माने भर से उलझन हो गयी है
वो पत्थर का ख़ुदा जब से हुआ है
मेरी पूजा बिरहमन हो गयी है
ज़रा सा छू लिया क्या चाँद मैैने
सभी तारों से अनबन हो गयी है
हुयी है फूल से जब से मौहब्बत
हवा सहरा में जोगन हो गयी है
अन्धेरे मुह छुपाये फिर रहे हैं
नई क़न्दील रोशन हो गयी है
बहुत मुश्किल है "मीना" साथ रहना
वफ़ा चाहत से बदज़न हो गयी है
**मीना नकवी
ज़माने भर से उलझन हो गयी है
वो पत्थर का ख़ुदा जब से हुआ है
मेरी पूजा बिरहमन हो गयी है
ज़रा सा छू लिया क्या चाँद मैैने
सभी तारों से अनबन हो गयी है
हुयी है फूल से जब से मौहब्बत
हवा सहरा में जोगन हो गयी है
अन्धेरे मुह छुपाये फिर रहे हैं
नई क़न्दील रोशन हो गयी है
बहुत मुश्किल है "मीना" साथ रहना
वफ़ा चाहत से बदज़न हो गयी है
**मीना नकवी
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