गुरुवार, 19 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह ओंकार का गीत -हरियाली


मन- मोहक सुख देने वाली, होती धरती की हरियाली।
जो दुनिया के हर प्राणी के, जीवन की करती रखवाली। ।

ये हरी क्यारियां, घास हरी, इठलाती- बलखाती ऐसे,
मदमस्त हवा के झोंकों से, लहराता हो आँचल जैसे,
खुशबू से तर करती सबको, भर-भर देती मधु की प्याली।

जब पेड़ो पर बैठे पंछी ,मीठी लय में सब गाते हैं,
तो फूलों से लिपटे भौंरे , उनसे सुर-ताल मिलाते हैं,
यह दृश्य देखकर आंखें भी, होती जाती हैं मतवाली।।

मीठे फल लगते पेड़ों पर, जो भूख मिटाते जन-जन की,
रोगों को दूर भगाते हैं, हरते पीड़ाएँ तन-मन की,
सेवा में तत्पर रहते हैं ,  पत्ते- पत्ते, डाली-डाली।।

हरियाली कारण वर्षा का ,जलवायु विशुध्द बनाती है ,
हर जीव-जंतु को धरती के , माता बनकर सहलाती है ,
सिंचित करती रस से जीवन , बनकर माली यह हरियाली।।

हितकामी जन इस जगती के, सब मिलकर चिंतन-मनन करें,
हरियाली नष्ट न हो पाए , हम ऐसा कोई जतन करें ,
'ओंकार' तभी इस दुनिया में , सब ओर बढ़ेगी खुशहाली।।

**ओंकार सिंह 'ओंकार'
1-बी-241 बुद्धि विहार, मझोला,
दिल्ली रोड
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश,भारत



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