बुधवार, 18 मार्च 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की कहानी -- कोरोनासुर


         किसी समय भरतपुर नामक एक राज्य  में धर्मराज नाम के  एक राजा राज करते थे।उसी राज्य के पड़ोस में एक अन्य राज्य नरकपुर की सीमा लगती थी।नरकपुर नाम के अनुरुप साक्षात नरक ही था।उस राज्य के निवासी अनेक जीव जंतुओं को पकड़ पकड़ कर भक्षण करते थे ।जहरीले जीव जंतु तो जैसे उनका प्रिय आहार थे।  उस राज्य का स्वामी अत्यंत क्रूर व निर्दयी "दैत्यराज" नामक राजा था।दोनो राज्यों में कोई मेल मिलाप न था। दैत्यराज ने अनेक बार भरतपुर पर आधिपत्य करना चाहा,परंतु धर्मराज की शूरवीरता के सन्मुख रण में न टिक पाता था। दोनो राज्यों के निवासियों के खानपान और आचार विचार में धरती आकाश का अंतर था।धीरे धीरे समय बीतने के साथ साथ भरतपुर के निवासियों ने अन्य राज्यों में व्यापार के साथ साथ नरकपुर से भी व्यापारिक संबंध बढ़ाने प्रारम्भ कर दिये। दैत्यराज ने भी उन्हें प्रलोभन देकर सस्ते दामों में नरकपुर निर्मित वस्तुएं उपलब्ध करानी प्रारम्भ कर दीं। परंतु एक बार उन विषैले जीवों का भक्षण करते समय नरकपुर में  उन विषैले जीवों के विष से  एक अत्यंत विषैला राक्षस  भयानक अट्टहास करता हुआ प्रकट हुआ और नरकासुर  में महामारी का रूप लेकर  सहस्त्रों  मनुष्यों को लील करता हुआ बोला,  "हाहाहाहाहा......मैं कोरोनासुर ....!.सबको .खा जाऊँगा..!..समस्त ब्रह्मांड .....मेरी मुठ्ठी में है...कोई नहीं बचेगा..."इतना कहकर उसने अपने मुख से विष वमन किया....और देखते ही देखते उस विष की बूँदे जहाँ जहाँ पड़ीं वहाँ दूसरा कोरोनासुर प्रकट हो गया,नरकपुर की सीमा को लाँघते हुए अब कोरोनासुर असंख्य रूपो में, अखिल विश्व में उत्पात मचाने लगे।समस्त विश्व में त्राहि त्राहि मच गयी। समस्त विश्व की सेनाऐं उस कोरोनासुर को हराने में असफल हो रही थीं। कोरोनासुर का विष मानवों के जीवन को बड़ी तेजी से समाप्त करने लगा।
   अब समस्त संसार भरतपुर के राजा धर्मराज की ओर उन्मुख हो,इस विपदा का समाधान ढूँढने लगा।तब धर्मराज ने कहा,"हे मानवों !..प्रकृति की पूजा करने अर्थात प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं का आदर व संरक्षण करने..,जीवों का संरक्षण करने..यज्ञ हवन के सुंगधित धुएँ... व ,शाकाहार से कोरोनासुर की शक्तियां क्षीण पड़ेंगी और उसका वध सम्भव हो सकेगा ।मेरे राज्य में हर माह असंख्य मानव एक साथ,एक ही स्थान पर कुंभ,गंगा स्नान ,गणपति उत्सव ,दशहरा व होली उत्सव जैसे आयोजन में सम्मिलित होते हैं परंतु हमारी संस्कृति व सभ्यता की विशेषता के कारण कोई विषैला दानव यहाँ आज तक नहीं हुआ है।इस कोरोनासुर के वध का रहस्य हमारे आयुर्वेद में निहित है।आप लोग निश्चिंत रहे...इस कोरोनासुर का वध भरतपुर अवश्य करेगा।यह मेरा वचन है...।"इतना कहकर राजा धर्मराज अपना वचन पूर्ण करने  हेतु कोरोनासुर के वध हेतु उठ खड़े हुए।

**मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

2 टिप्‍पणियां:

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  2. योग गुरु बाबा रामदेव ने आज तीन आयुर्वेदिक दवाइयां लांच की हैं वहीं आयुष मंत्रालय ने उनके प्रचार व विज्ञापन पर रोक भी लगा दी है ।

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