मुरादाबाद मंडल के कुरकावली (जनपद संभल) के साहित्यकार त्यागी अशोका कृष्णम् की सद्य कृति "चल मनवा उस पार" (दोहा संग्रह) का लोकार्पण पर्व रविवार 26 नवंबर 2023 को युग परिवर्तन ट्रस्ट(पंजी०) कुरकावली के तत्वावधान में एके रिसोर्ट कुरकावली के सभागार में आयोजित किया गया। इस अवसर पर कवि सम्मेलन एवं विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए विभूतियों को चौ राजेंद्र सिंह त्यागी स्मृति सम्मान, कुँवर अभयपाल त्यागी स्मृति सम्मान एवं कुँवर दिनेश चंद्र त्यागी स्मृति सम्मान देकर विभूषित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ कृष्ण कुमार नाज ने कहा कि त्यागी अशोका कृष्णम जी के दोहों में प्रेम की भीनी-भीनी खुशबू भी है, श्रृंगार की सुंदरता भी है, अध्यात्म की ऊंचाइयां भी हैं, राजनीतिक रस्साकशी भी है तथा समाज में यदा-कदा होने वाली घटनाओं और दुर्घटनाओं का भी वर्णन मिलता है। वह कविता को केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि मां सरस्वती का आशीर्वाद मानकर सृजनरत हैं। यही कारण है कि वह आज साहित्यिक समाज में सबसे अलग अपनी साफ-सुथरी छवि बनाए हुए हैं। वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यिक मुरादाबाद के संस्थापक डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा कि त्यागी अशोका कृष्णम् जी के लोकार्पित दोहा संग्रह में मीरा की दीवानगी है तो रहीम की गहरी दार्शनिक और नैतिक अंतर्दृष्टि भी है। कबीर की रहस्यवादिता है तो जायसी का सूफियाना दर्शन भी है। बिहारी की श्रृंगारिकता है तो तुलसी की भक्ति भावना भी है। वो जहां प्रेम के विविध रूपों को अपने दोहों में चित्रित करते हैं। वहीं सामाजिक सरोकारों की भी चिंता करते हैं। प्रकृति के नैसर्गिक सौन्दर्य का वर्णन करते हैं तो जीवन की विसंगतियों, विषमताओं को भी उजागर करते हैं। जहाँ वह सर्वहारा वर्ग के समर्थन में खड़े होते हैं तो वहीं वह राष्ट्र प्रेम को सर्वोपरि मानते हैं ।
कवि सम्मेलन की शुरुआत प्रदीप कुमार दीप ने माँ सरस्वती की वंदना के साथ की।मुरादाबाद से आए राहुल शर्मा ने कुछ इस प्रकार कहा ....
चंद लम्हों की मुलाकात बुरी होती है।
गर जियादा हो तो बरसात बुरी होती है।
हर किसी को ये समझ लेते हैं अपने जैसा।
अच्छे लोगों की यही बात बुरी होती है।।
डॉ कृष्ण कुमार "नाज" ने गजल पढ़ते हुए कहा-
कभी अँधेरे कभी रोशनी में आते हुए।
मैं चल रहा हूँ वजूद अपना आजमाते हुए।
तुम्हारी यादों ने आसान कर दिया है सफर।
जो चल रही हैं मुझे रास्ता दिखाते हुए।।
मुरादाबाद से आए डॉ मनोज रस्तोगी ने अपनी चर्चित कविता जरूरी है कुत्तों को बिस्कुट खिलाना सुना कर जमकर तालियां बटोरीं ।
चंदौसी से आईं कवयित्री डॉ दुर्गा टंडन ने कहा-
अंगार से भर ले हिरदय, यदि करना है नवसृजन।
तुझे अवतार बन जाना पड़ेगा,विध्वंस करने को प्रथम।
नेहा मलय ने काव्य पाठ करते हुए कहा कि-
मन कहता है मुस्कुरा ले दो पल की है जिंदगानी।
बाद में कौन किसे याद करता है।
नजीबाबाद बिजनौर से आए प्रसिद्ध कवि प्रमोद शर्मा प्रेम ने कहा-
कोई हादसा न हो जाए।
कहीं इन्तहा न हो जाए।
देखकर रंगो बू जमाने के।
सूरज बे वफा न हो जाए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध समाजसेवी एवं शिक्षाविद् प्रेमराज त्यागी ने की।कार्यक्रम में युग परिवर्तन ट्रस्ट के प्रदीप त्यागी, श्रीमान अमित त्यागी,नीलांशु वार्ष्णेय, मंजू त्यागी सहित क्षेत्र के सैंकड़ों गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
युग परिवर्तन ट्रस्ट के अश्विनी रस्तोगी एवं वैशाली रस्तोगी ने फोन के माध्यम से शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए त्यागी अशोक कृष्णम् के लिए अपने प्रतिनिधि द्वारा शॉल भेंट किया।
मंच का संचालन संयुक्त रूप से प्रदीप कुमार "दीप" एवं कार्यक्रम संयोजक कुँवर अंशुमान त्यागी ने किया।
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