मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से रविवार चार मई 2025 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन मिलन विहार स्थित मिलन धर्मशाला में हुआ।
ओंकार सिंह ओंकार द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रघुराज सिंह निश्चल ने आतंकवाद पर विचार रखते हुए कहा -
जय पाना आतंकवाद पर, लगता कठिन प्रतीत रे।
घर में ही जब साॅंप पल रहे, कैसे होवे जीत रे।।
मुख्य अतिथि डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा -
गोलों के बीच,
तोपों के बीच ,
दब गई आवाज
चीखों के बीच,
घुटता है दम अब
बारूदी झोंको के बीच
विशिष्ट अतिथि के रूप में समीर तिवारी ने व्यंग्य के पैने तीर इस प्रकार छोड़े -
पैर पसारे सो रहे, अफसर लेकर घूस।
आग ओढ़कर जी रही, झोपड़ियों की फूस।।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए जितेंद्र जौली ने कहा ....
दो वक्त की रोटियाॅं, उसको नहीं नसीब।
गर्मी में फुटपाथ पर, सोता मिला गरीब।।
रामदत्त द्विवेदी की व्यथा थी -
स्थिति उसकी हुई है मीन जैसी।
या तड़फती जल बिना कोई मीन जैसी।
ओंकार सिंह ओंकार ने अपने भावों को शब्द देते हुए कहा -
जाति-धर्म के नाम पर, फैलाते आतंक।
पूरी धरती के लिए, वे हैं बड़े कलंक।।
ऐसे दुष्टों से करो, नहीं नर्म व्यवहार।
अब इनको दण्डित करो, होकर सभी निशंक।।
पदम बेचैन के अनुसार -
शिक्षक आपस में नाराज,
खुशहाली कहाॅं से आए।
योगेन्द्र वर्मा व्योम के उद्गार थे -
निर्दोषों के खून से, हुई धरा भी लाल।
भारत मां इस हाल पर, करती बहुत मलाल।।
पहलगाम से देश को, मिला यही संदेश।
अबकी जड़ से ख़त्म हो, आतंकवादी क्लेश।।
मनोज वर्मा मनु का कहना था -
उम्मीद थी कि उनसे मिलेंगे ज़रूर हम,
होगी कभी किस्मत भी मेहरबान एक दिन।
राजीव प्रखर ने देश के लिए बलिदान करने वालों को नमन करते हुए कहा -
मातृभूमि पर बलि होने के, अनगिन सपने पलते हैं।कोमल कण कोमलता तज कर, अंगारों में ढलते हैं। तब नैनों का नीर सूख कर, रच देता है नवगाथा, जब भारत के वीर बाॅंकुरे, लिए तिरंगा चलते हैं।
रवि चतुर्वेदी ने दुश्मन देश को चेतावनी देते हुए कहा -
भारत का हर बच्चा-बच्चा,
घातक एटम बम होगा।
मीनाक्षी ठाकुर की अभिव्यक्ति थी -
उग रहा सूरज नया
हर एक पथ पर,
सो गया दानव,
मनुज में देव जागा।
देख अपनी ओर
आता रोशनी को,
मुँह छुपा अंँधकार
उल्टे पांँव भागा।
धूप आकर अंजुरी में
भर गयी है।
रात ने देखी सुबह तो
डर गयी है।
रामदत्त द्विवेदी ने आभार अभिव्यक्त किया।
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