सोमवार, 12 मई 2025

मुरादाबाद के साहित्यकार दुष्यंत बाबा की कविता....सैनिक का शौर्य


हम भारत के शूर समर में

भीषण विध्वंस मचाते हैं

आँख उठे भारत माता पर

हम अपना शौर्य दिखाते हैं


भारत की यह पावन माटी,

यहाँ बच्चा-बच्चा वीर है

मत समझो इन्हें तृण अकिंचन

यहाँ तिनका-तिनका तीर है

तनक हवा का मिले इशारा

आंखों में घुस जाते हैं


ठहरे हुए सिंधु में तूने

पहले पत्थर मारा है

मौत मिली उसको ही निश्चित

जो हम से टकराया हैं

अब लहरों की रोक सुनामी

हम तेरे तट पर आते हैं


धर्म नही सिखलाता हिंसा

पर हमको धर्म बचाना है

जन्म लिया है जिस माटी में

उसका भी कर्ज चुकाना है

हाथ में लेकर शस्त्र-शास्त्र

सब इष्ट देव समझाते हैं


जब भी गज की मद मस्ती को

कुत्तों ने कमजोरी माना

ऐसी मार लगाई गज ने

याद आ गए नानी नाना

पिटे हुए कुत्ते भी अक्सर

ऐसे ही दाँत दिखाते है


हम भारत के शूर समर में

भीषण विध्वंस मचाते हैं

आँख उठे भारत माता पर

हम अपना शौर्य दिखाते हैं


✍️ दुष्यंत ‘बाबा’

मानसरोवर, 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

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